बॉलीवुड में सामाजिक संदेश और मनोरंजन का संतुलन बनाने का कार्य हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है, लेकिन सुभाष कपूर ने अपनी नई फिल्म जॉली एलएलबी 3 के माध्यम से इसे प्रभावी ढंग से किया है. फिल्म ने ग्रेटर नोएडा के भट्टा परसौल में 2011 के किसान आंदोलन से प्रेरणा लेकर राजस्थान की पृष्ठभूमि में कहानी को ढाला है. यह फिल्म सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि कानूनी और सामाजिक जागरूकता का संदेश देती है.
फिल्म का केंद्रीय कथानक किसानों की परेशानियों और भूमि अधिग्रहण के खिलाफ उनकी लड़ाई को केंद्र में रखता है. कहानी के अनुसार, राजाराम, परसौल गाँव, बीकानेर के सीमांत किसान और कवि, को सिस्टम धोखा देता है और उसके हितों की जगह एक रियल एस्टेट व्यवसायी खेतान (गजराज राव) के फायदे को प्राथमिकता दी जाती है. राजाराम की मृत्यु के बाद उसकी विधवा जानकी (सीमा बिस्वास) कानूनी मदद के लिए एक NGO की शरण लेती है और इसी दौरान दो जॉली वकीलों अक्षय कुमार और अर्ज़द वारसी से संपर्क करती है.
फिल्म में अक्षय कुमार और अर्ज़द वारसी ने अपनी भूमिकाओं के जरिए कहानी को रोचक और व्यावसायिक दृष्टि से सशक्त बनाया है. ये दोनों वकील कानून की भाषा में पारंगत नहीं हैं, लेकिन उनके साहस और जज़्बे ने किसानों की ओर से लड़ाई लड़ने की ताकत दिखाई. कहानी का प्रवाह स्वाभाविक और गतिशील है, जिससे दर्शक न्याय और सामाजिक चेतना के बीच गहरा संबंध महसूस कर सकते हैं.
सुभाष कपूर ने फिल्म में किसानों के हितों की पैरवी करते हुए पूंजीपतियों के दृष्टिकोण को भी स्थान दिया है. गजराज राव ने कॉर्पोरेट क्लास की चिंताओं को बड़े प्रभावशाली ढंग से पर्दे पर उतारा है. फिल्म में NGO संस्कृति और कॉर्पोरेट के प्रति उनकी दासता को भी उजागर किया गया है. हालांकि फिल्म का दृष्टिकोण कुछ हद तक एकतरफा हो जाता है, फिर भी यह भूमिहीन और सीमांत किसानों की मुश्किलों पर ध्यान केंद्रित करती है.
फिल्म का मुख्य संदेश यह है कि सामाजिक और कानूनी अनुबंध में अमीर और गरीब के लिए अलग नियम नहीं होने चाहिए. कपूर ने यह दिखाया है कि समाज में न्याय और समानता के लिए सामाजिक संविदा का होना जरूरी है.
फ्रैंचाइज़ी फिल्म होने के कारण जॉली एलएलबी 3 में कुछ संरचनात्मक सीमाएँ भी हैं. पिछले दो हिस्सों से निर्मित उम्मीदों और पहचान को पूरा करना निर्देशक के लिए चुनौती बन जाता है. कोर्टरूम के संवाद कभी-कभी उपदेशात्मक और भारी लगने लगते हैं. इसके अलावा, अक्षय कुमार के जुड़ने से फिल्म का व्यावसायिक मूल्य बढ़ा, लेकिन कहानी का मूल स्वर थोड़ा कमजोर पड़ता है.
फिल्म में सौरभ शुक्ला की भूमिका सबसे चमकदार है. उनका जज त्रिपाठी का किरदार पहले ही हिंदी सिनेमा में प्रतिष्ठित हो चुका है और इस तीसरे हिस्से में उन्होंने नए आयाम जोड़कर इसे और जीवंत बनाया है. जज त्रिपाठी के संवाद, उनके हास्य तत्व और कोर्टरूम की प्रतिक्रियाएँ फिल्म में एक अलग ही जीवन्तता भर देती हैं.
फिल्म के हास्य और गंभीर सामाजिक संदेश के बीच संतुलन बनाना निर्देशक की सबसे बड़ी उपलब्धि है. जॉली एलएलबी 3 दर्शकों को हंसाती भी है और सोचने पर मजबूर भी करती है. अक्षय कुमार और अर्ज़द वारसी के बीच की केमिस्ट्री, उनकी अनूठी वकालत की शैली, और कोर्टरूम ड्रामा फिल्म के मुख्य आकर्षण हैं.
फिल्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है कि यह किसानों की वास्तविक समस्याओं और उनके संघर्षों को मुख्यधारा में लाती है. भूमि अधिग्रहण, न्याय की प्रक्रिया, और गरीब किसानों के हक की लड़ाई को दर्शक सीधे महसूस कर सकते हैं. वहीं, कॉर्पोरेट और राजनीतिक दबाव के खिलाफ किसानों की लड़ाई को पर्दे पर प्रभावी ढंग से पेश किया गया है.
फिल्म की तकनीकी विशेषताओं की बात करें तो सिनेमैटोग्राफी, बैकग्राउंड स्कोर और सेट डिज़ाइन ने फिल्म की गंभीरता और हास्य तत्व को एक साथ संतुलित किया है. कोर्टरूम सीन, ग्रामीण परिदृश्य और कृषि भूमि की दृश्यावली दर्शकों को पूरी कहानी में बांधे रखती है.
फिल्म का मुख्य संदेश यह है कि समाज में समानता और न्याय के लिए सभी वर्गों को साथ लाना आवश्यक है. गरीब और सीमांत किसानों के मुद्दे को फिल्म ने प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है. न्याय की प्रक्रिया में बाधाएँ, सरकारी और कॉर्पोरेट दबाव, और सामान्य किसानों की संघर्षगाथा को कहानी का केंद्र बनाकर निर्देशक ने समाज में जागरूकता फैलाने का काम किया है.
फिल्म के कुछ हिस्सों में संवाद भारी और उपदेशात्मक हो सकते हैं, लेकिन यह फिल्म के उद्देश्य को कमजोर नहीं करता. जॉली एलएलबी 3 ने साबित कर दिया है कि मनोरंजन और सामाजिक संदेश का संयोजन बॉलीवुड में संभव है.
निर्देशक: सुभाष कपूर
कलाकार: अक्षय कुमार, अर्ज़द वारसी, सौरभ शुक्ला, गजराज राव, सीमा बिस्वास, हुमा कुरैशी, अमृता राव, राम कपूर
समय: 157 मिनट
कहानी: भूमि अधिग्रहण और पति की मृत्यु के बाद विधवा महिला न्याय पाने के लिए दो जॉली वकीलों की मदद लेती है.
कुल मिलाकर, जॉली एलएलबी 3 दर्शकों को किसानों की समस्याओं और कानून की ताकत को समझने का अवसर देती है. यह फिल्म मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक और कानूनी जागरूकता फैलाने में सफल रही है. अक्षय कुमार और अर्ज़द वारसी की जॉली वकीलों की जोड़ी ने फिल्म को और रोचक बनाया है. वहीं, सौरभ शुक्ला ने अपने जज त्रिपाठी के किरदार के जरिए फ्रैंचाइज़ी में जान डाल दी है.
फिल्म न केवल हंसाती है बल्कि दर्शकों को सोचने पर मजबूर भी करती है कि कानून और न्याय की प्रक्रिया में किसानों और गरीबों के लिए स्थान कितना महत्वपूर्ण है. जॉली एलएलबी 3 इस साल की प्रमुख सामाजिक संदेश वाली बॉलीवुड फिल्मों में शुमार होने लायक है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

