बांसवाड़ा में परमाणु बिजलीघर: सागर किनारे अपेक्षाकृत सुरक्षित, लेकिन महिसागर किनारे असुरक्षित! गुजरात में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र क्यों हटाया गया??

बांसवाड़ा में परमाणु बिजलीघर: सागर किनारे अपेक्षाकृत सुरक्षित, लेकिन महिसागर किनारे असुरक्षित! गुजरात में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र क्यों हटाया गया??

प्रेषित समय :19:27:15 PM / Sat, Sep 27th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

* प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी
बिजली प्राप्त करने के कई तरीके हैं, लेकिन इसमें सबसे खतरनाक है- परमाणु बिजलीघर.
बांसवाड़ा में परमाणु बिजलीघर पर भी कई सवालिया निशान हैं, ऐसा माना जाता है, कि समुद्र किनारे, सागर किनारे परमाणु बिजलीघर अपेक्षाकृत सुरक्षित होते हैं, लेकिन महिसागर किनारे परमाणु बिजलीघर सबसे असुरक्षित हैं, तो क्या विनाश की कीमत पर विकास की चाहत सही है?
बड़े खतरों के कारण ही देश में अनेक जगहों पर परमाणु बिजलीघरों का विरोध होता रहा है.
भारत में परमाणु बिजलीघरों का विरोध विभिन्न राज्यों में हुआ है, गुजरात के मीठी विरदी, तमिलनाडु के कुडनकुलम, पश्चिम बंगाल के हरिपुर में स्थानीय निवासियों ने पर्यावरणीय चिंताओं, विस्थापन, भूमि अधिग्रहण आदि के कारण विरोध किया.
भावनगर, गुजरात (मीठी विरदी) में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निवासियों ने विरोध किया, जिसके बाद संयंत्र को स्थानांतरित कर दिया गया, तो पीपुल्स मूवमेंट अगेंस्ट न्यूक्लियर एनर्जी जैसे समूहों ने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र को बंद करने विरोध प्रदर्शन किया, जबकि पश्चिम बंगाल के हरिपुर गांव में प्रस्तावित परमाणु रिएक्टरों का स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं, कुछ ऐसा ही विरोध बांसवाड़ा में भी है, लेकिन यदि बगैर संपूर्ण समीक्षा किए बांसवाड़ा में प्रोजेक्ट जारी रहता है और भविष्य में कोई दुर्घटना होती है, तो यह तय है कि इसका खामियाजा वागड़ के साथ-साथ गुजरात को भी उठाना पड़ेगा.
एनपीसीआईएल ने गुजरात के भावनगर जिले के मीठी विरदी गांव में 6000 मेगावाट का परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसका स्थानीय समुदाय से भारी विरोध किया था, यही नहीं, पर्यावरण पर इस संयंत्र के प्रभाव का आकलन करने वाली एक पर्यावरणीय जन सुनवाई विवादों में घिर गई थी, क्योंकि यह एक अपूर्ण और गैर-मान्यता प्राप्त अध्ययन के आधार पर आयोजित की गई थी, नतीजा.... एनपीसीआईएल ने वर्ष 2017 में मीठी विरदी परियोजना को छोड़ दिया.
माही परियोजना सहित राजस्थान की अनेक सिंचाई परियोजनाओं से जुड़े रहे सेवानिवृत्त अधिशासी अभियंता भंवर पंचाल का सवाल है कि- इस परमाणु बिजलीघर के लिए, राजस्थान के या गुजरात के, किसके हिस्से से पानी जायगा?
वैसे भी राजस्थान के हिस्से में बहुत कम पानी है, जाहिर है, राजस्थान के हिस्से से पानी गया, तो न केवल वर्तमान सिंचाई योजनाआएं कमजोर होंगी, वरन प्रस्तावित सिंचाई योजनाएं भी बंद हो जाएंगी.
उल्लेखनीय है कि पानी के पास परमाणु बिजलीघर लगाने के कई नुकसान हैं, संयंत्र से विसर्जित गर्म पानी से जलीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हो सकते हैं, तो रेडियोधर्मी कचरा जल को दूषित कर सकता है, भले ही ऐसे संयंत्रों से निकलने वाला पानी रेडियोधर्मी न हो, फिर भी वह गर्म पानी होता है, जिससे जल व्यवस्था प्रभावित हो सकती है.
सबसे बड़ा खतरा भूकंप से है, यदि ऐसा होता है, तो नुकसान कितने क्षेत्र में होगा, कहां-कहां होगा, इसका अनुमान लगाना भी आसान नहीं है.
बांसवाड़ा में परमाणु बिजलीघर लगाना माही में पानी की उपलब्धता के कारण आर्थिक रूप से तो लाभकारी है, लेकिन जोखिमों के मद्देनजर बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह है? 

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-