जबलपुर. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) से जवाब मांगा है. कोर्ट ने पूछा है कि क्या विदेशों की तरह भारत में भी पैदल यात्रियों को सड़क की दायीं ओर चलने का नियम बनाया जा सकता है.
यह सवाल जबलपुर निवासी ज्ञान प्रकाश की याचिका पर उठाया गया. याचिका में कहा गया कि भारत में बायीं ओर चलने से पैदल यात्रियों की जान को खतरा है. उन्होंने बताया कि 2022 में 50 हजार सड़क हादसों में से 18 हजार मौतें पैदल चलने वालों की हुई. यानी 36 प्रतिशत मौतें. याचिकाकर्ता ने कहा कि दायीं ओर चलने से सामने से आ रहे वाहन दिखते हैं. इससे हादसे टाले जा सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर केंद्र और एनएचएआई से 10 नवंबर तक सभी तथ्यों और आंकड़ों के साथ विस्तृत जवाब मांगा है. कोर्ट ने यह भी याद दिलाया कि 21 मई 2025 को उसने ट्रैफिक कंट्रोल और अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे. उनका सही क्रियान्वयन अब तक नहीं हुआ.
भारत में वाहन और पैदल यात्री दोनों को बायीं ओर चलने की सलाह दी जाती है, जिससे ट्रैफिक अनुशासित रहे. लेकिन इससे पैदल लोग पीछे से आने वाले वाहनों को नहीं देख पाते, जिससे हादसे की आशंका बढ़ जाती है. यह नियम हर स्थिति में सुरक्षित नहीं है. दायीं ओर पैदल चलने से यात्रियों को सामने से आने वाले वाहनों को सीधे देखकर समय रहते बचाव का मौका मिलता है. इससे सड़क हादसों का खतरा कम होता है. ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया में भी लोग पैदल बायीं ओर ही चलते हैं. अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, रूस, चीन में लोग दायीं ओर पैदल चलते हैं. याचिकाकर्ता ने शीर्ष कोर्ट को बताया कि भारत का मोटर व्हीकल एक्ट-1988 वर्ष 1958 में विएना में हुए अंतरराष्ट्रीय समझौते और ब्रिटिशकाल से प्रेरित है.
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