जबलपुर. जबलपुर का नाम एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरव से ऊँचा हुआ है। शहर के दो जुड़वां भाई, प्रोफेसर अनिल कुमार वाजपेयी और प्रोफेसर सुनील कुमार वाजपेयी, अमेरिका की प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा जारी की गई विश्व के शीर्ष दो प्रतिशत वैज्ञानिकों (World’s Top 2% Scientists) की सूची में शामिल किए गए हैं। इस उपलब्धि के बाद जबलपुर शहर में खुशी की लहर दौड़ गई है और स्थानीय शैक्षणिक जगत में गर्व और उत्साह का माहौल है।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा हर वर्ष प्रकाशित की जाने वाली यह सूची वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय में अत्यंत प्रतिष्ठित मानी जाती है। इसमें दुनिया भर के उन वैज्ञानिकों को शामिल किया जाता है जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय शोध कार्य किया है। इस सूची को वैज्ञानिकों के शोधपत्रों की संख्या, उद्धरणों (citations) की दर, तथा वैज्ञानिक प्रभाव (scientific impact) के आधार पर तैयार किया जाता है। इस वर्ष इस सूची में जबलपुर के इन दोनों भारतीय वैज्ञानिक भाइयों का नाम शामिल होना न केवल मध्य प्रदेश बल्कि पूरे देश के लिए गर्व की बात है।
प्रोफेसर अनिल कुमार वाजपेयी और प्रोफेसर सुनील कुमार वाजपेयी, दोनों ही शासकीय विज्ञान महाविद्यालय, जबलपुर के रसायन शास्त्र विभाग से जुड़े रहे हैं। दोनों ने अपने करियर के दौरान पॉलीमर विज्ञान (Polymer Science) और बहुलक रसायन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उनके शोध विशेष रूप से बायोमेडिकल उपयोगों (Biomedical Applications) पर केंद्रित रहे हैं, जिनमें दवा वितरण प्रणाली (Drug Delivery Systems), जैव अनुकूल पदार्थ (Biocompatible Materials) और पर्यावरण के अनुकूल पॉलीमर तैयार करने पर महत्वपूर्ण कार्य शामिल है।
जुड़वां भाइयों की यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि भारतीय वैज्ञानिक विश्व स्तर पर अपने शोध और नवाचार के बल पर निरंतर प्रगति कर रहे हैं। दोनों प्रोफेसरों ने अपने पूरे जीवन को शिक्षा और शोध के क्षेत्र में समर्पित किया है। उनके कई शोधपत्र अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में प्रकाशित हुए हैं और उन्हें विश्वभर के वैज्ञानिकों द्वारा उद्धृत किया गया है। यही कारण है कि उनके कार्यों को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने वैश्विक वैज्ञानिक प्रभाव के आधार पर शीर्ष स्थान पर आंका है।
स्थानीय शिक्षाविदों और छात्रों के बीच यह खबर गर्व का विषय बन गई है। शासकीय विज्ञान महाविद्यालय, जबलपुर के प्राचार्य ने इसे शहर के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर वाजपेयी बंधुओं का यह सम्मान विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा स्रोत है और यह सिद्ध करता है कि समर्पण और निरंतर प्रयास से कोई भी व्यक्ति विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना सकता है।
यह गौरवशाली क्षण जबलपुर के उन सभी शिक्षकों और छात्रों के लिए भी विशेष है, जिन्होंने इन दोनों वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में काम किया है। सोशल मीडिया पर इस खबर के सामने आते ही जबलपुर के नागरिकों, पूर्व छात्रों और स्थानीय वैज्ञानिक समुदाय ने बधाइयों की बाढ़ ला दी। ट्विटर और फेसबुक पर #ProudOfJabalpurScientists और #TopScientistsFromIndia जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। लोगों ने इन दोनों वैज्ञानिकों को शहर का गौरव बताया और उनके योगदान को “जबलपुर का ज्ञान दीप” कहा।
यह सूची इस वर्ष भी स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक विशेष टीम द्वारा तैयार की गई है, जिसमें विश्वभर के वैज्ञानिकों के डेटा का विश्लेषण किया गया। इस डेटा को Elsevier और Scopus जैसे अंतरराष्ट्रीय शोध डेटाबेस से लिया गया। इसमें विभिन्न विज्ञान शाखाओं जैसे भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीवविज्ञान, चिकित्सा, पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग से संबंधित शोधकर्ताओं का मूल्यांकन किया गया। भारत से लगभग दो हज़ार वैज्ञानिक इस सूची में शामिल किए गए हैं, जिनमें जबलपुर के वाजपेयी बंधु भी शामिल हैं।
यह उपलब्धि न केवल व्यक्तिगत सम्मान है बल्कि यह जबलपुर के शैक्षणिक और शोध परिदृश्य की साख को भी मजबूत करती है। यह इस बात का प्रमाण है कि छोटे शहरों के शिक्षण संस्थान भी वैश्विक स्तर के शोध में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं। प्रोफेसर वाजपेयी बंधुओं ने हमेशा इस बात पर ज़ोर दिया है कि शिक्षा और शोध का असली उद्देश्य समाज को लाभ पहुँचाना है। उनके शोध न केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित रहे, बल्कि उन्होंने औद्योगिक और चिकित्सा क्षेत्रों में व्यावहारिक रूप से भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
इस खबर के प्रकाशित होते ही जबलपुर के शैक्षणिक संस्थानों में जश्न का माहौल है। छात्रों ने मिठाइयाँ बाँटीं और शिक्षकों ने इस उपलब्धि को “नवोदित वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणास्रोत” बताया। शहर के कई विज्ञान प्रेमियों ने यह भी कहा कि अब जबलपुर को “विज्ञान नगरी” के रूप में पहचान दिलाने का समय आ गया है।
दैनिक भास्कर, पत्रिका, नई दुनिया और अन्य प्रमुख हिंदी मीडिया पोर्टलों ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया है। सभी ने इसे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा जारी “विश्व के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों” की सूची पर आधारित बताया। इन रिपोर्टों के अनुसार, यह सूची वैज्ञानिकों की “career-long impact” और “single year performance” दोनों मानदंडों पर तैयार की गई है।
जबलपुर के लोगों के लिए यह गर्व का विषय है कि शहर से निकलकर दो ऐसे वैज्ञानिक आज विश्व मंच पर चमक रहे हैं, जिन्होंने अपने समर्पण और परिश्रम से यह उपलब्धि हासिल की। प्रोफेसर अनिल कुमार वाजपेयी और प्रोफेसर सुनील कुमार वाजपेयी की यह सफलता आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन गई है। उनकी यह यात्रा यह संदेश देती है कि ज्ञान, लगन और दृढ़ता से कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

