अर्चना, लूणकरणसर. राजस्थान के कई ग्रामीण क्षेत्रों में रोजमर्रा की जिंदगी कठिनाइयों से भरी है। बीकानेर जिले की लूणकरणसर तहसील का नाथवाना गांव इस हकीकत का स्पष्ट उदाहरण है। धूल भरे कच्चे रास्तों पर स्कूल जाने वाले बच्चे, दूर से पानी लाने वाली महिलाएँ और खेतों में सूरज ढलने तक मेहनत करने वाले किसान ग्रामीण जीवन की चुनौतियों का हिस्सा हैं। इन बुनियादी समस्याओं के बीच इंफ्रास्ट्रक्चर यानी सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और संचार जैसी सुविधाएँ जीवन में सुधार की सबसे बड़ी उम्मीद हैं।
राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों ने इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में लंबे समय तक बाधा डाली। थार मरुस्थल का बड़ा हिस्सा, कम वर्षा और बिखरी हुई आबादी के कारण ग्रामीण इलाकों में सड़कें, बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी रही। हालांकि पिछले दो दशकों में स्थिति बदलनी शुरू हुई। राज्य सरकार की आर्थिक समीक्षा 2024-25 के अनुसार राजस्थान का कुल सड़क नेटवर्क अब 3,01,810 किलोमीटर से अधिक है। ग्रामीण इलाकों में दो लाख छह हज़ार किलोमीटर से अधिक सड़कें बन चुकी हैं और लगभग 49,000 गांव अब सड़क नेटवर्क से जुड़े हैं।
पेयजल की स्थिति में भी सुधार आया है। राज्य में 15,000 से अधिक गांवों तक शुद्ध पेयजल पहुँचाया गया है। ट्यूबवेल और हैंडपंप लगाए गए हैं, पुराने स्रोतों की मरम्मत की जा रही है और सिंचाई के लिए 700 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। नाबार्ड ने मरुस्थलीय और आदिवासी क्षेत्रों के लिए सैकड़ों नई ग्रामीण सड़कों की मंजूरी दी और पेयजल योजनाओं पर 9.3 अरब रुपये खर्च किए जा रहे हैं। ये प्रयास ग्रामीण ढांचे में बदलाव की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
नाथवाना गांव में बदलाव की आहट पहले ही महसूस की जा सकती है। अब कई बच्चों के लिए स्कूल तक पक्की सड़कें बनी हैं, बिजली की आपूर्ति बेहतर हुई है और अधिकांश घरों तक कनेक्शन पहुंचा है। मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की सुविधा भी गांव तक पहुँच गई है, जिससे पढ़ाई और सूचना तक पहुंच आसान हुई है। सरकारी स्वास्थ्य केंद्र की मौजूदगी भी एक सकारात्मक संकेत है।
लेकिन चुनौतियाँ अब भी हैं। मानसून के दौरान निचले इलाकों में जलभराव हो जाता है, सड़कें टूट जाती हैं और गाँववासियों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं। बिजली की आपूर्ति अनियमित है, ट्रांसफार्मर खराब होने पर मरम्मत में हफ्तों लगते हैं। पेयजल स्थायी नहीं है और कई घर अब भी दूर स्थित हैंडपंप या टैंकर पर निर्भर हैं। सिंचाई सीमित है, जिससे किसान वर्षा पर निर्भर रहते हैं और उत्पादन अस्थिर रहता है। स्वास्थ्य केंद्र मौजूद होने के बावजूद गंभीर बीमारी या आपात स्थिति में ग्रामीणों को जिला या कस्बे तक जाना पड़ता है।
ग्रामीण अनुभव बताते हैं कि छोटे सुधार जीवन को बेहतर बना रहे हैं, लेकिन अगले स्तर के सुधार की आवश्यकता है। सड़कें केवल यात्रा का माध्यम नहीं, बल्कि रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक जुड़ाव का आधार हैं। बिजली पढ़ाई और छोटे व्यवसायों को सक्षम बनाती है। पानी खेती और स्वास्थ्य का आधार है। स्वास्थ्य केंद्र और डिजिटल कनेक्टिविटी जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के उपकरण हैं।
भविष्य की प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि नाथवाना जैसे गांवों में सड़कें टिकाऊ बनाई जाएँ, बिजली स्थिर और सौर ऊर्जा आधारित हो, हर घर तक पाइपलाइन से पानी पहुँचे और उसकी गुणवत्ता जांची जाए। स्वास्थ्य केंद्रों को आधुनिक उपकरणों और प्रशिक्षित स्टाफ से लैस किया जाए। किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सिंचाई सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाएँ और नहरों की समय पर मरम्मत सुनिश्चित की जाए। डिजिटल कनेक्टिविटी स्थायी और गुणवत्तापूर्ण हो ताकि शिक्षा और रोजगार के अवसर गांव में ही उपलब्ध हों।
यदि ये सुधार समयबद्ध तरीके से पूरे किए जाएँ तो नाथवाना जैसे गांव पूरी तरह बदल सकते हैं। बच्चों की पढ़ाई बिना रुकावट पूरी होगी, किसान उत्पादन बढ़ाकर सीधे बाजार तक पहुँच पाएंगे, महिलाएं सुरक्षित और सशक्त होंगी और युवाओं को रोजगार के अवसर गांव में ही मिलेंगे। मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर पलायन की मजबूरी कम करेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को तेजी से विकसित करेगा। नाथवाना की कहानी यह दिखाती है कि इंफ्रास्ट्रक्चर केवल सड़क और सीमेंट का काम नहीं, बल्कि ग्रामीण जीवन की धड़कन है, जो गांवों को जीवंत बनाती है और लोगों को आगे बढ़ने की शक्ति देती है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

