एमपी: जबलपुर में चौसठ योगनी मंदिर भेड़ाघाट में चोरी की कोशिश, प्राचीन दरवाजे को काटने का प्रयास, मंदिर में मौजूद है बेशकीमती दुर्लभ प्रतिमाएं

एमपी: जबलपुर में चौसठ योगनी मंदिर भेड़ाघाट में चोरी की कोशिश

प्रेषित समय :15:19:43 PM / Wed, Oct 8th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. एमपी के जबलपुर में विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल भेड़ाघाट के पास  नर्मदा नदी के तट पर हजारों साल पुराने चौसठ योगिनी मंदिर में चोरी को कोशिश हुई है. अज्ञात चोरों ने कलचुरी काल के प्राचीन दरवाजे को काटने की कोशिश कीए हालांकि वे इसमें सफल नहीं हो सके.

पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने घटना की जानकारी भेड़ाघाट थाने में दर्ज कराई. पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उन लोगों की तलाश शुरू कर दी है, जिन्होंने मंदिर के दरवाजे को काटने का प्रयास किया. इस मंदिर को भारत की धरोहर कहा जाता है. मंदिर परिसर में हजारों साल पुरानी कलचुरी कालीन प्रतिमाएं स्थापित हैं. जिनका अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य लाखों रुपए में आंका जाता है. यही वजह है कि शातिर चोरों की नजर अब इस प्राचीन धरोहर पर पड़ी है. जब धुआंधार में नर्मदा महोत्सव चल रहा था और सैकड़ों लोग वहां इकटठा थे, इस दौरान अज्ञात लोगों ने मंदिर के मुख्य लकड़ी के दरवाजे को किसी धारदार औजार से काटने की कोशिश की. घटना की जानकारी मिलते ही पुरातत्व विभाग के अधिकारी मंदिर पहुंचे और जांच कर रिपोर्ट तैयार की. इसके बाद विभाग की ओर से भेड़ाघाट थाना पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई.

गार्ड चला गया था महोत्सव में-

स्थानीय लोगों के अनुसार चोरी का यह प्रयास संभवत: नर्मदा महोत्सव के दौरान ही हुआ. मंदिर की देखरेख के लिए नियुक्त चौकीदार रात में महोत्सव देखने चला गया था, तभी चोरों ने मौका पाकर दरवाजे को काटने का प्रयास किया. दरवाजे पर आरी जैसी किसी वस्तु से बने निशान स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं. हालांकि चोर दरवाजा पूरी तरह नहीं काट पाए और बिना कुछ चुराए ही भाग गए.

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं-

स्थानीय लोगों का मानना है कि यह प्राचीन मंदिर देश की अनमोल धरोहर है, इसलिए इसकी सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता पर होनी चाहिए. वे मांग कर रहे हैं कि मंदिर परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और एक निगरानी समिति का गठन किया जाएए जो समय.समय पर सुरक्षा की समीक्षा करे. पुरातत्व विभाग के पूर्व अधिकारियों के अनुसार मंदिर की प्रतिमाएं और दरवाजे अत्यंत प्राचीन हैं, इसलिए उनकी वास्तविक कीमत का आकलन करना कठिन है, लेकिन उनकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता अपार है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-