जबलपुर. एमपी हाईकोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरन का ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया है. जस्टिस ने मंत्री विजय शाह के कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए विवादित बयान और दमोह में कुशवाहा समाज के युवक से ब्राह्मण वर्ग के युवक के पैर धुलवाने के मामलों में स्वत: संज्ञान लिया था. गौरतलब है कि जस्टिस अतुल श्रीधरन ने दमोह के पैर धुलाई कांड पर स्वतरू संज्ञान लेते हुए तल्ख टिप्पणियां की थीं.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पहले उन्हें छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट भेजने की अनुशंसा की थी. लेकिन केंद्र सरकार के आग्रह पर पुनर्विचार करते हुए आदेश संशोधित किया गया. हाल ही में जस्टिस श्रीधरन ने दमोह में ओबीसी युवक से एक व्यक्ति के पैर धुलवाने और गंदा पानी पिलाने की घटना में टिप्पणी करते हुए दोषियों पर एनएसए के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 27 अगस्त 2025 को 14 जजों के ट्रांसफर की सिफारिश की थीए जिनमें जस्टिस अतुल श्रीधरन का नाम भी शामिल था. एक रिपोर्ट के मुताबिकए अगर उन्हें छत्तीसगढ़ भेजा जाता तो वे वहां दूसरे सबसे सीनियर जज होते, जबकि इलाहाबाद हाईकोर्ट में उनकी सीनियरिटी सातवें नंबर पर रहेगी.
2016 में नियुक्त हुए थे हाईकोर्ट में जज-
जस्टिस श्रीधरन को 2016 में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया था. बतौर वकील वे वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रह्मण्यम के चैंबर में पांच साल रहे. इसके बाद उन्होंने इंदौर में वकालत शुरू की. वर्ष 2023 में उन्होंने स्वेच्छा से स्थानांतरण की मांग की थी. तब उन्हें जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट भेजा गया था, जहां से उन्हें 2025 में पुन: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में बुला लिया गया.
दमोह मामले में सख्त रुख ने दिलाई पहचान-
दमोह जिले में मंदिर के अंदर एक ओबीसी युवक से एक व्यक्ति के पैर धुलवाने और गंदा पानी पिलाने की घटना पर जस्टिस अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति प्रदीप मित्तल की युगलपीठ ने स्वत: संज्ञान लिया था. कोर्ट ने दमोह पुलिस को दोषियों पर एनएसए ;राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए थे. सुनवाई के दौरान जस्टिस श्रीधरन ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र सभी अपनी स्वतंत्र पहचान का दावा कर रहे हैं. यदि इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो डेढ़ सदी के भीतर खुद को हिंदू कहने वाले लोग आपस में लड़कर अस्तित्वहीन हो जाएंगे. हाईकोर्ट के आदेश पर दमोह पुलिस ने पटेरा थाना क्षेत्र के ग्राम सतरिया में हुई इस घटना में पांच आरोपियों पर एनएसए के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार किया था.
सख्त, निष्पक्ष व बेबाक न्यायाधीश के रूप में पहचान-
जस्टिस अतुल श्रीधरन का नाम ऐसे न्यायाधीशों में गिना जाता है जिन्होंने सामाजिक न्याय और प्रशासनिक जवाबदेही पर बार-बार जोर दिया है. उनके आदेश न केवल कानूनी दृष्टि से बल्कि सामाजिक चेतना के स्तर पर भी चर्चा में रहे हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

