पुराने वाहन स्क्रैप कराने पर परिवहन टैक्स में 50% की छूट, प्रदूषणकारी गाड़ियों को सड़कों से हटाने के लिए प्रोत्साहन योजना लागू

पुराने वाहन स्क्रैप कराने पर परिवहन टैक्स में 50% की छूट, प्रदूषणकारी गाड़ियों को सड़कों से हटाने के लिए प्रोत्साहन योजना लागू

प्रेषित समय :20:06:56 PM / Thu, Oct 16th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर : देश में वायु प्रदूषण के गंभीर संकट से निपटने और सड़कों से पुराने, अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के उद्देश्य से, केंद्र सरकार द्वारा समर्थित वाहन स्क्रैपेज नीति (Vehicle Scrappage Policy) को अब बड़े वित्तीय प्रोत्साहन के साथ लागू किया जा रहा है। इसी कड़ी में, परिवहन विभाग ने एक महत्त्वपूर्ण घोषणा की है जिसके तहत 15 से 20 साल पुराने अपने वाहनों को पंजीकृत स्क्रैप सेंटर में स्क्रैप कराने वाले संबंधित व्यक्तियों को परिवहन विभाग को देय टैक्स (Road Tax) में 50 प्रतिशत तक की भारी छूट प्रदान की जाएगी। यह कदम न केवल पर्यावरण की सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा प्रयास है, बल्कि यह वाहन मालिकों को अपनी पुरानी गाड़ियों को बदलकर नए, अधिक ईंधन कुशल और कम प्रदूषणकारी वाहन खरीदने के लिए प्रेरित करने का एक महत्त्वपूर्ण वित्तीय जरिया भी है।

यह प्रोत्साहन योजना सरकार के व्यापक प्रदूषण नियंत्रण और वाहन आधुनिकीकरण कार्यक्रम का हिस्सा है। पुराने वाहन, खासकर जो 15 वर्ष से अधिक पुराने हैं, वे नए वाहनों की तुलना में 10 से 25 गुना अधिक प्रदूषक कण उत्सर्जित करते हैं। इन वाहनों की संख्या सड़कों पर अधिक होने से वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार ख़राब होता जा रहा है, जिससे शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। इसी समस्या को देखते हुए, यह योजना शुरू की गई है।

योजना का विवरण और लाभ

परिवहन विभाग द्वारा घोषित यह 50% की छूट अलग-अलग प्रकार के वाहनों के लिए अलग-अलग अवधि के लिए लागू होगी। निजी (Non-Transport) वाहनों को स्क्रैप कराने पर, उनके नए वाहन के पंजीकरण के लिए देय रोड टैक्स में यह 50 प्रतिशत की छूट 15 वर्ष की अवधि के लिए दी जाएगी। वहीं, वाणिज्यिक (Transport) वाहनों के मामले में, यह टैक्स छूट 8 वर्ष तक के लिए मान्य होगी। यह प्रावधान विशेष रूप से वाणिज्यिक क्षेत्र को ध्यान में रखकर किया गया है, जहाँ वाहनों का उपयोग अधिक होता है और उन्हें जल्दी बदलने की आवश्यकता होती है।

यह योजना न केवल वाहन मालिकों के लिए वित्तीय रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए भी एक बड़ा बूस्टर साबित हो सकती है। पुरानी गाड़ियाँ हटने पर, बाज़ार में नई गाड़ियों की मांग बढ़ेगी, जिससे उत्पादन में वृद्धि होगी, रोज़गार सृजित होंगे, और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह स्क्रैपेज नीति अगले कुछ वर्षों में देश में 100 लाख से अधिक नए वाहनों की बिक्री को बढ़ावा दे सकती है।

स्क्रैपिंग की प्रक्रिया और चुनौतियाँ

इस योजना का लाभ उठाने के लिए वाहन मालिक को अपने 15 या 20 साल पुराने वाहन को सरकारी मान्यता प्राप्त ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशन (ATS) पर ले जाना होगा। अगर वाहन फिटनेस टेस्ट में फेल हो जाता है, या मालिक स्वेच्छा से उसे स्क्रैप कराना चाहता है, तो उसे एक पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा (RVSF) केंद्र पर जाना होगा। स्क्रैपिंग के बाद, मालिक को एक 'स्क्रैपिंग प्रमाण पत्र' प्रदान किया जाएगा। इसी प्रमाण पत्र को नए वाहन के पंजीकरण के समय दिखाने पर 50% टैक्स छूट का लाभ मिल सकेगा।

हालांकि, इस नीति को सफल बनाने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं। पहली और सबसे बड़ी चुनौती, देश भर में पर्याप्त संख्या में पंजीकृत स्क्रैपिंग केंद्रों की स्थापना करना है। वर्तमान में, कई छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे केंद्र मौजूद नहीं हैं, जिससे वाहन मालिकों को स्क्रैपिंग के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ सकती है। दूसरी चुनौती, स्क्रैपिंग मूल्य को लेकर है। वाहन मालिक को अपनी पुरानी गाड़ी का उचित मूल्य मिलना चाहिए, जो उन्हें नया वाहन खरीदने के लिए एक पर्याप्त डाउन पेमेंट जुटाने में मदद करे। तीसरी चुनौती, लोगों के बीच इस योजना के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, ताकि वे अवैध या गैर-मान्यता प्राप्त स्क्रैपिंग इकाइयों के जाल में न फँसें।

पर्यावरण और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि इस योजना का सबसे बड़ा लाभ पर्यावरण और जन-स्वास्थ्य को होगा। पुराने वाहनों के हटने से सड़कों पर प्रदूषण का स्तर काफी कम होगा। खासकर दिल्ली-एनसीआर और मुंबई जैसे अत्यधिक प्रदूषित शहरों में, जहाँ परिवहन क्षेत्र प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है, यह नीति एक साँस लेने योग्य भविष्य सुनिश्चित करने में सहायक होगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के डेटा के अनुसार, BS-I या BS-II मानकों वाले पुराने डीज़ल वाहनों को हटाना वायु में सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर ($\text{PM}_{10}$) और फाइन पार्टिकुलेट मैटर ($\text{PM}_{2.5}$) के उत्सर्जन को नाटकीय रूप से कम कर सकता है।

संक्षेप में, यह 50% टैक्स छूट की घोषणा भारत की जलवायु कार्रवाई प्रतिबद्धताओं और स्वच्छ हवा के लक्ष्य की दिशा में एक ठोस वित्तीय कदम है। यह नीति पुरानी गाड़ियों को सड़कों से हटाकर सुरक्षा, ऊर्जा दक्षता और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देगी, जिससे देश के नागरिक और अर्थव्यवस्था दोनों लाभान्वित होंगे। अब राज्य सरकारों और संबंधित विभागों को इस योजना को ज़मीनी स्तर पर तेज़ी और पारदर्शिता के साथ लागू करना होगा ताकि इसका लाभ आम जनता तक पहुँच सके।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-