पटना/रांची. बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति में शनिवार को एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला, जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और इंडिया ब्लॉक (महागठबंधन) दोनों को ही महत्वपूर्ण झटके लगे. एक ओर, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की उम्मीदवार और भोजपुरी फिल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री सीमा सिंह का मढ़ौरा विधानसभा सीट से नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया, जिससे एनडीए को चुनाव शुरू होने से पहले ही एक सीट पर झटका लगा. दूसरी ओर, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने महागठबंधन से अपना नाता तोड़ते हुए छह सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी, जिसने इंडिया ब्लॉक के लिए राज्य में सीटों के समीकरण को पूरी तरह से उलझा दिया है.
मढ़ौरा सीट से एलजेपी (रामविलास) की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरीं अभिनेत्री सीमा सिंह का नामांकन पत्र रद्द होने की खबर ने न केवल एनडीए खेमे में निराशा फैलाई, बल्कि सोशल मीडिया पर भी यह खबर तेजी से ट्रेंड करने लगी. सीमा सिंह ने हाल ही में राजनीति में कदम रखा था और वह चिराग पासवान की पार्टी के लिए एक ग्लैमरस चेहरा मानी जा रही थीं. उनका नामांकन रद्द होने का कारण अभी तक स्पष्ट रूप से सामने नहीं आया है, लेकिन माना जा रहा है कि यह दस्तावेजों में त्रुटि या तकनीकी खामियों के कारण हुआ है. यह घटना एनडीए के सीट-बंटवारे और उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया पर सवाल खड़े करती है, और विपक्ष को इस पर हमलावर होने का मौका मिल गया है. इस सीट पर अब एनडीए के पास कोई उम्मीदवार न होने के कारण, यह सीट सीधे तौर पर विपक्षी खेमे के लिए एक आसान जीत में तब्दील हो सकती है, जब तक कि गठबंधन कोई वैकल्पिक रणनीति नहीं अपनाता.
ठीक इसी समय, विपक्षी खेमे इंडिया ब्लॉक में भी दरार सामने आई है. झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने बिहार की छह विधानसभा सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने घोषणा की कि उनकी पार्टी चकाई, धमदाहा, कटोरिया, पिरपैंती, मनीहारी और जमुई सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा, "हम महागठबंधन के साथ नहीं लड़ेंगे, बल्कि अपनी ताकत पर उतरेंगे." जेएमएम का यह फैसला तब आया है जब लंबे समय से चली आ रही सीट-बंटवारे की बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई थी. इस निर्णय से इंडिया ब्लॉक के नेताओं में हड़कंप मच गया है, क्योंकि इससे गठबंधन की एकता और मजबूती पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जेएमएम का यह कदम इन छह सीटों पर वोटों के विभाजन का कारण बन सकता है, जिससे सीधे तौर पर एनडीए को फायदा पहुँचने की संभावना है.
जेएमएम का यह निर्णय राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस जैसे प्रमुख सहयोगियों के साथ चल रही अंदरूनी खींचतान को उजागर करता है. जेएमएम बिहार में एक सीमित लेकिन कुछ आदिवासी बहुल क्षेत्रों में मजबूत पकड़ रखती है, और उसका अकेले चुनाव लड़ना महागठबंधन के लिए चुनावी गणित को मुश्किल बना देगा. दूसरी तरफ, एनडीए के लिए मढ़ौरा सीट पर उम्मीदवार का न होना एक बड़ा नुकसान है, खासकर तब जब गठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव में कड़ी टक्कर का सामना कर रहा है.
इस दोहरी राजनीतिक घटना ने बिहार के चुनाव प्रचार को और अधिक तीव्र और अप्रत्याशित बना दिया है. राजनीतिक गलियारों में इस बात पर बहस तेज हो गई है कि क्या जेएमएम के इस कदम से इंडिया ब्लॉक की केंद्रीय नेतृत्व की तालमेल क्षमता पर असर पड़ेगा और क्या मढ़ौरा की घटना एनडीए के चुनावी प्रबंधन की कमजोरी को दर्शाती है. दोनों ही प्रमुख गठबंधनों के शीर्ष नेताओं को अब जल्द से जल्द डैमेज कंट्रोल की रणनीति बनानी होगी ताकि इन झटकों का असर आगामी मतदान पर कम से कम हो सके. चुनावी समर की शुरुआत से पहले ही हुई यह उठापटक साफ संकेत देती है कि बिहार का यह चुनाव अप्रत्याशित नतीजों से भरा रहने वाला है.
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