कविता / दीवाली का दीया

कविता / दीवाली का दीया

प्रेषित समय :19:38:22 PM / Sat, Oct 18th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

 मुनीष भाटिया

दीवाली आई उजाला लेकर,

घर-घर दीप जले निरंतर,

पर मन के भीतर जो अंधेरा बसता,

उसे मिटाएगा कब कौन अंदर?

हम बाहर तो प्रकाश करते हैं,

पर भीतर धुंध घनी गहरी है,

अपने दोषों को भूल गए सब,

दूसरों की चर्चा खूब चलती है।

गर दीप जले मन के अंदर,

वही सच्चा प्रकाश कहलाए,

आत्मविश्वास की जोत जलाकर,

जीवन का अर्थ समझ में आए।

पहले खुद को जानो सच्चे मन से,

अंतर के दर्पण में झांको अब,

बदले की भावना छोड़कर पीछे,

नफरत का आवरण उतारो सब।

जब अपने दोष पहचान लेंगे,

होगा सच्चा प्रायश्चित वही,

मिलेगा सत्य का मार्ग वहीं,

जहां परमात्मा का वास सही।

आत्मनिरीक्षण की लौ जलाकर,

करें दीवाली सच्ची यही,

जब मन भी हो प्रकाशित भीतर,

तभी उजियारा हो निराली यही।

-मुनीष भाटिया 

5376, ऐरो सिटी 

मोहाली 

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Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-