जबलपुर ने दीवाली की रात स्वच्छता की रोशनी से लिखा इतिहास, रात तीन बजे शुरू हुआ अभियान चार घंटे में चमक उठा शहर

जबलपुर ने दीवाली की रात स्वच्छता की रोशनी से लिखा इतिहास, रात तीन बजे शुरू हुआ अभियान चार घंटे में चमक उठा शहर

प्रेषित समय :15:30:25 PM / Tue, Oct 21st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. दीपों की जगमगाहट में सजी जबलपुर की दिवाली इस बार स्वच्छता के नए इतिहास की साक्षी बनी. जैसे ही शहर के घरों में दीपक जल रहे थे और लोग पूजा-अर्चना में व्यस्त थे, भोर के सन्नाटे में जबलपुर की सड़कों पर दो हजार से अधिक सफाई सैनिकों की आवाज़ और कदमों की आहट सुनाई दे रही थी.

रात के तीन बजे से ही महापौर जगत बहादुर सिंह ‘अन्नू’, कलेक्टर राघवेन्द्र सिंह और नगर निगम आयुक्त रामप्रकाश अहिरवार के मार्गदर्शन में शहर के दो हजार से अधिक सफाई सैनिक मैदान में उतर आए. उनका लक्ष्य स्पष्ट था-दिवाली के दूसरे दिन शहर को चमकाना और जबलपुर को स्वच्छता के नए मानकों तक पहुँचाना. चार घंटे की मेहनत के बाद पूरा शहर झिलमिलाकर चमक उठा, और यह महा स्वच्छता अभियान प्रशासनिक प्रतिबद्धता और नागरिक सहभागिता का जीवंत उदाहरण बन गया.

रात के अंधेरे में भी न तो किसी सफाई सैनिक ने थकान महसूस की और न ही कोई शिकायत की. हर गली, चौक और सड़क को झाड़ू की लय में सजाने का कार्य पूरे जोश के साथ किया गया. नगर निगम की सभी 16 संभागों की टीमें अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय रहीं और अधिकारी लगातार निगरानी करते रहे ताकि कोई इलाका सफाई से छूट न जाए.

भोर की पहली किरण फूटने तक कलेक्टर  और निगमायुक्त  खुद मैदान में डटे रहे. उन्होंने टीम के साथ सिविक सेंटर चौपाटी, भारत माता चौक, करमचंद चौक, प्रेस कॉम्प्लेक्स, मालवीय चौक, तीन पत्ती चौक, बड़ा फुहारा, छोटा फुहारा, दमोहनाका, रानीताल, यादव कॉलोनी, विजय नगर, अधारताल और गढ़ा क्षेत्रों का सघन निरीक्षण किया.

जैसे-जैसे सड़कों पर सफाई का असर दिखा, नागरिकों के चेहरे पर संतोष और गर्व की मुस्कान फैल गई. राह चलते लोगों ने सफाई सैनिकों की सराहना की और कहा कि दिवाली के दूसरे दिन शहर को इतनी जल्दी और इतनी साफ-सुथरी शक्ल में देखना अपने आप में सुखद अनुभव है.

निरीक्षण के दौरान जब कलेक्टर ने देखा कि चार घंटे में सड़कों की धूल गायब हो चुकी है और जगह-जगह स्वच्छता की चमक बिखरी है, तो उन्होंने उत्साहपूर्वक कहा—“वाह, वेल डन टीम नगर निगम.” इसके बाद उन्होंने सफाई सैनिकों को अपने हाथों से मिठाई खिलाई और घर ले जाने के लिए भी डिब्बे दिए. कलेक्टर ने कहा कि यह सिर्फ सफाई नहीं, बल्कि शहर के प्रति प्रेम और जिम्मेदारी की पहचान है.

इस स्नेहपूर्ण क्षण ने सफाईकर्मियों को गदगद कर दिया. कई महिला सफाई संरक्षकों ने कलेक्टर और निगमायुक्त को दीपावली की शुभकामनाएं दीं और कहा कि इस बार की दिवाली उनके लिए खास बन गई क्योंकि वे अपने शहर की सफाई में योगदान देकर गर्व महसूस कर रही हैं.

नगर निगम की सड़कों पर इस दौरान उत्साह और ऊर्जा का अनोखा दृश्य देखा गया. अधिकारी सफाई कार्य की मॉनिटरिंग कर रहे थे, वहीं सफाई सैनिक पूरे जोश से काम में जुटे थे. चमचमाती सड़कों और झिलमिलाती लाइटों के बीच जब सूरज की पहली किरण पड़ी, तो ऐसा प्रतीत हुआ मानो जबलपुर ने खुद को नए रूप में सजा लिया हो.

रास्ते चलते राहगीरों ने भी नगर निगम की इस नई पहल की सराहना की और कलेक्टर एवं निगमायुक्त की भूरी-भूरी प्रशंसा की. यह देखकर अधिकारियों और सफाईकर्मियों दोनों का उत्साह और बढ़ गया. सफाई कार्य पूरा होने के बाद कलेक्टर और निगमायुक्त ने हाथों में मिठाई के डिब्बे लेकर घर लौटने वाले सफाई सैनिकों को सम्मानित किया.

इस अभियान के दौरान नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारी भी रातभर सक्रिय रहे. अपर आयुक्त (वित्त) प्रशांत गोटिया, उपायुक्त संभव अयाची, स्वास्थ्य अधिकारी अंकिता बर्मन, कार्यालय अधीक्षक दिलीप दुबे, सहायक यंत्री देवेंद्र चौहान, सहायक नोडल अधिकारी अभिनव मिश्रा, सहायक स्वास्थ्य अधिकारी अनिल बारी, धर्मेंद्र राज, पोलाराव, अर्जुन यादव सहित सभी 16 संभागों के मुख्य स्वच्छता निरीक्षक और स्वच्छता निरीक्षक अभियान में मौजूद रहे. उन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था को सटीक बनाए रखा और हर कार्य का समय पर समन्वय किया.

कलेक्टर राघवेन्द्र सिंह ने मौके पर कहा कि जबलपुर को स्वच्छ और सुंदर बनाना केवल नगर निगम का नहीं, बल्कि हर नागरिक का दायित्व है. उन्होंने सफाई सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा, “यह आपका परिश्रम ही है जिससे शहर गर्व से कह सकता है कि हम स्वच्छता में भी आगे हैं.” उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन ऐसे अभियानों को नियमित रूप से जारी रखेगा ताकि शहर की सुंदरता सिर्फ त्योहारों तक सीमित न रहे, बल्कि रोजमर्रा की आदत बन सके.

दिवाली की रात शुरू हुआ यह अभियान वास्तव में एक नई सोच का परिचायक है—यह सोच कि स्वच्छता किसी एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि नागरिक संस्कृति का हिस्सा है. जबलपुर प्रशासन ने यह दिखा दिया कि इच्छा शक्ति और संगठन क्षमता से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. दो हजार सफाई सैनिकों का एक साथ जुटना, अधिकारी वर्ग का मैदान में उतरना और शहरवासियों की सहभागिता—इन तीनों ने मिलकर इस अभियान को एक यादगार उदाहरण बना दिया.

सुबह जब शहरवासी अपने घरों से बाहर निकले, तो उन्हें लगा मानो पूरा जबलपुर दीपावली की रोशनी में नहीं, बल्कि स्वच्छता की चमक में नहा गया हो. जगह-जगह चमचमाती सड़कें, चमकते फव्वारे और झिलमिलाती चौकियां देखकर नागरिकों ने प्रशासन को धन्यवाद दिया और सोशल मीडिया पर भी ‘क्लीन जबलपुर’ की तस्वीरें साझा कीं.

यह महा स्वच्छता अभियान केवल सफाई तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने प्रशासनिक समर्पण, नेतृत्व और नागरिक सहभागिता की नई मिसाल कायम की. दीपावली की रात जबलपुर ने यह साबित कर दिया कि जब संकल्प और सहयोग एक साथ जुड़ते हैं, तो हर शहर अपनी कहानी खुद लिखता है—और इस बार जबलपुर ने अपनी कहानी “स्वच्छता के उजाले” से लिखी है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-