नई दिल्ली. बाजार में एक बार फिर से 2, 5, 10 और 20 रुपये की लोकप्रिय कीमतों पर रोजमर्रा के सामान मिलने की उम्मीद है. यह बड़ा बदलाव सरकार द्वारा जीएसटी दरों में कटौती और उसके बाद कंपनियों को मिले नए निर्देशों के कारण हो रहा है. अब कंपनियां कम कीमतों पर पुराने पैक बेचने के बजाय, उन्हीं कीमतों पर थोड़ा ज्यादा वजन वाले पैक बाजार में ला रही हैं. इससे न सिर्फ उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी बल्कि दुकानदारों और ब्रांड्स को भी पुराने लोकप्रिय सिस्टम पर लौटने में आसानी होगी.
दरअसल, सितंबर 2022 में लागू हुई जीएसटी दरों में कटौती के बाद कंपनियों को नियमों के स्पष्ट न होने के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ा. चूंकि सरकार ने यह साफ नहीं किया था कि कंपनियां कम कीमतों की भरपाई वजन बढ़ाकर कर सकती हैं या नहीं, इसलिए ब्रांड्स ने अपने पैक की कीमतें असमान रूप से घटा दीं.
उदाहरण के लिए, पारले-जी का 5 रुपये वाला पैक 4.45 रुपये में बिकने लगा और 1 रुपये की कैंडी 88 पैसे में मिलने लगी. इन गैर-राउंड कीमतों की वजह से न तो ग्राहक संतुष्ट थे और न ही दुकानदार. ग्राहकों को छुट्टे पैसे लेने या देने में भारी परेशानी होती थी और कई दुकानदार तो फर्क चुकाने के लिए मिठाई या टॉफी थमा देते थे. डिजिटल पेमेंट करने वालों से पूरी रकम ली जाती थी, जिससे असुविधा और बढ़ गई थी.
अब सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर कंपनियां सामान का वजन बढ़ाकर पुरानी कीमतों पर उसे बेचती हैं, तो इसे जीएसटी नियमों का उल्लंघन नहीं माना जाएगा. इस स्पष्टीकरण के बाद पारले, बिसलेरी, मोंडेलेज़ जैसी बड़ी एफएमसीजी कंपनियों ने पुराने दामों पर नए पैक की तैयारी शुरू कर दी है. रिपोर्ट के अनुसार, पारले प्रोडक्ट्स के उपाध्यक्ष मयंक शाह ने बताया कि अब बिस्कुट और स्नैक्स के पैक में 11-12 प्रतिशत तक ज्यादा वजन होगा, लेकिन दाम वही (5 से 10 रुपये) रहेंगे. स्नैक्स इंडस्ट्री में तो नया उत्पादन शुरू भी हो चुका है.
हालांकि अमूल ने फिलहाल अपने पुराने दामों पर वापस लौटने से इनकार किया है. अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर जयेन मेहता का कहना है कि जब तक सरकार कोई औपचारिक आदेश नहीं जारी करती, वे अपने उत्पादों के ग्रामेज और कीमतों में बदलाव नहीं करेंगे. उनका मानना है कि सरकार का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सीधा लाभ देना था और अगर वजन बढ़ाकर ही कीमतें वही रखनी हैं, तो ग्राहक को उसका स्पष्ट लाभ नहीं मिलेगा.
गौरतलब है कि एफएमसीजी कंपनियों ने पहले भी महंगाई के दौर में पैकेट का वजन कम (श्रिंकफ्लेशन) कर दिया था ताकि 5 रुपये या 10 रुपये जैसे दाम कायम रखे जा सकें. अब वही कंपनियां इस बार त्रस्ञ्ज कटौती का फायदा सीधे ग्राहकों तक पहुंचाने की कोशिश में हैं.

