जबलपुर. विंध्य क्षेत्र की नैसर्गिक सुंदरता और वन्यजीवों से समृद्ध मध्य प्रदेश के पर्यटन उद्योग के लिए आज एक अत्यंत उत्साहजनक खबर सामने आई है. जबलपुर को केंद्र बनाकर इसके निकटवर्ती वन क्षेत्र में प्रदेश की पहली लेपर्ड सफारी की स्थापना के लिए योजना ने अब अंतिम रूप ले लिया है. इस महत्वाकांक्षी परियोजना को सीधे जबलपुर शहर के भीतर नहीं, बल्कि इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण पर्यटन गलियारों से जुड़ते हुए विकसित किया जाएगा, जिसका उद्देश्य जबलपुर को ‘वन्यजीव पर्यटन के प्रवेश द्वार’ के रूप में स्थापित करना है. यह पहल न सिर्फ क्षेत्र के पर्यावरण प्रेमियों के लिए एक नया आकर्षण होगी, बल्कि यह राज्य में तेंदुओं के संरक्षण की बढ़ती आवश्यकता और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने की एक महत्वपूर्ण एवं दूरदर्शी रणनीति भी मानी जा रही है.
वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की है कि सफारी के लिए चिह्नित भूमि जबलपुर से कुछ ही दूरी पर स्थित है और इसे विशेष रूप से भेड़ाघाट-धुआंधार जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों की ओर जाने वाले मार्ग के आसपास चुना गया है. इस रणनीतिक चयन का मुख्य कारण यह है कि यहां तेंदुओं की आवाजाही पहले से ही अधिक है, जो इसे इन शानदार बिग कैट्स के प्राकृतिक व्यवहार को प्रदर्शित करने के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है. योजना के शुरुआती चरणों में, इस सफारी को एक नियंत्रित वातावरण में विकसित किया जाएगा जहां मुख्य रूप से उन तेंदुओं को रखा जाएगा जिन्हें घनी मानव आबादी वाले क्षेत्रों से बचाया गया है या जो घायल होने या किसी अन्य कारण से जंगल में वापस छोड़े जाने योग्य नहीं रहे हैं. इस प्रकार, यह सफारी एक आदर्श संरक्षण और पुनर्वास केंद्र के रूप में कार्य करेगी, जहां दर्शक सुरक्षित दूरी से तेंदुओं को उनके अर्ध-प्राकृतिक आवास में देख सकेंगे. यह कदम वन्यजीव प्रबंधन के आधुनिक सिद्धांतों के अनुरूप है, जो संरक्षण और शिक्षा को एक साथ जोड़ता है.
तेंदुए (लेपर्ड) भारतीय वन्यजीव पारिस्थितिकी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और मध्य प्रदेश को ‘तेंदुआ राज्य’ का दर्ज़ा प्राप्त है. हालाँकि, शहरीकरण और वन क्षेत्रों के सिकुड़ने के कारण, मानव बस्तियों में इनके प्रवेश की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं, जिससे संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो रही है. यह सफारी एक ऐसे सुरक्षित आश्रय स्थल के रूप में काम करेगी जो तेंदुओं के लिए एक निवारक बाड़ का काम करेगी, साथ ही जनता को इन जीवों के बारे में शिक्षित करने और उनके प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक ज़िम्मेदार तरीका प्रदान करेगी.
पर्यटन और आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से, इस सफारी का महत्व अपार है. अभी तक जबलपुर को मुख्य रूप से मार्बल रॉक्स (भेड़ाघाट) और धार्मिक स्थलों के लिए जाना जाता था. लेपर्ड सफारी का जुड़ना जबलपुर के पर्यटन सर्किट में एक नया, मज़बूत आयाम जोड़ देगा. पर्यटन विशेषज्ञों का मानना है कि यह नया वन्यजीव आकर्षण जबलपुर को कान्हा और बांधवगढ़ जैसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यानों से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करेगा, जिससे इन पार्कों का दौरा करने वाले पर्यटक अब जबलपुर में एक दिन अतिरिक्त रुकने के लिए प्रेरित होंगे. इससे स्थानीय पर्यटन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आर्थिक गतिविधियों में तेज़ी आने की उम्मीद है. एक अध्ययन के अनुसार, इससे जबलपुर क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों की संख्या में 25% से 35% तक की वृद्धि दर्ज की जा सकती है. स्थानीय होटल उद्योग, गाइड सेवा प्रदाता, और टैक्सी ऑपरेटरों के चेहरों पर खुशी साफ दिखाई दे रही है. शहर के एक प्रमुख होटल व्यवसायी ने टिप्पणी की, "यह सिर्फ एक नई सफारी नहीं है, यह हमारे क्षेत्र के लिए एक नया ब्रांडिंग अवसर है. पर्यटक अब भेड़ाघाट के साथ-साथ वन्यजीवों का अनुभव भी ले पाएंगे."
परियोजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए, वन विभाग ने उच्च गुणवत्ता वाले पर्यटक बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता दी है. इसमें अत्याधुनिक अवलोकन टावर, तेंदुओं के लिए सुरक्षित और विशाल बाड़े, तथा पर्यावरण-अनुकूल पर्यटक सुविधा केंद्र शामिल होंगे. इन सुविधाओं को अंतर्राष्ट्रीय वन्यजीव सफारी मानकों के अनुसार तैयार किया जाएगा. हालांकि, इस महत्वाकांक्षी योजना को साकार करने की राह में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जिनमें सबसे प्रमुख सफारी क्षेत्र के आसपास की ज़मीन का अधिग्रहण और निर्माण कार्य के दौरान पर्यावरण को न्यूनतम क्षति सुनिश्चित करना है. अधिकारियों ने इस बात पर ज़ोर दिया है कि सभी निर्माण और विकास कार्य पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) के सख्त दिशानिर्देशों के तहत किए जाएंगे और पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा.
इसके अलावा, सफारी के सुचारू संचालन के लिए कुशल मानव संसाधन की आवश्यकता होगी. इसलिए, योजना में वन्यजीव प्रबंधन और पर्यटक सुरक्षा में विशेषज्ञता रखने वाले अनुभवी कर्मचारियों को तैनात करने और स्थानीय समुदायों को गाइड, प्रकृतिवादी और रेंजर के रूप में प्रशिक्षित करने का प्रावधान शामिल है. यह समावेशी दृष्टिकोण सुनिश्चित करेगा कि परियोजना का लाभ केवल बाहर के निवेशकों तक ही सीमित न रहे, बल्कि स्थानीय लोगों को भी स्थायी रोज़गार के अवसर मिलें.
मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े एक उच्च पदस्थ सूत्र ने बताया कि इस परियोजना को राज्य सरकार की 'इको-टूरिज्म प्रोत्साहन नीति' के तहत उच्च प्राथमिकता दी गई है. उन्होंने कहा, "हमारी सरकार विकास और संरक्षण के बीच संतुलन साधने के लिए प्रतिबद्ध है. जबलपुर के नज़दीक यह लेपर्ड सफारी न केवल वन्यजीवों को सुरक्षित आश्रय देगी, बल्कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी गति प्रदान करेगी. इसमें निगरानी और सुरक्षा के लिए नवीनतम तकनीक का उपयोग किया जाएगा, ताकि पर्यटकों और वन्यजीवों दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके." उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सफारी के संचालन में पर्यटकों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखा जाएगा, जिसके लिए अंतर्राष्ट्रीय सफारी प्रबंधन नियमों का सख्ती से पालन किया जाएगा. यह घोषणा जबलपुर के नागरिकों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है, जो अब अपने शहर के निकट इस बड़े वन्यजीव केंद्र के ज़मीन पर उतरने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं, जो जबलपुर क्षेत्र को मध्य प्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर एक विशिष्ट पहचान दिलाएगा.
अंततः, जबलपुर क्षेत्र की यह लेपर्ड सफारी सिर्फ एक नया पर्यटन स्थल नहीं है; यह मध्य प्रदेश के वन्यजीव संरक्षण की कहानी में एक महत्वपूर्ण मोड़ है. यह दिखाता है कि कैसे उचित योजना और दूरदर्शिता के साथ, हम अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करते हुए भी आर्थिक विकास के मार्ग खोल सकते हैं.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

