जबलपुर में संघ के शीर्ष मस्तिष्क देश के भविष्य की दिशा और समाज परिवर्तन की रूपरेखा पर कर रहे गहन मंथन

जबलपुर में संघ के शीर्ष मस्तिष्क देश के भविष्य की दिशा और समाज परिवर्तन की रूपरेखा पर कर रहे गहन मंथन

प्रेषित समय :20:17:59 PM / Tue, Oct 28th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शीर्ष नेतृत्व और अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बहुप्रतीक्षित बैठक मंगलवार को जबलपुर में दूसरे चरण के विचार-विमर्श के साथ आरंभ हुई। इस बैठक को न केवल संगठनात्मक दृष्टि से, बल्कि राष्ट्रीय नीति और सामाजिक दिशा के संदर्भ में भी एक निर्णायक पड़ाव माना जा रहा है।

कचनार सिटी के शांत वातावरण में, परंपरागत भारतीय शैली में सजे सभागार में देश के 46 संगठनात्मक प्रांतों से आए 500 से अधिक वरिष्ठ कार्यकर्ता और अधिकारी एकत्र हुए हैं। इन सबका साझा उद्देश्य-संघ के आगामी शताब्दी वर्ष (2026) की तैयारियों को अंतिम रूप देना और "पंच परिवर्तन" अभियान को समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुँचाना।

इस बैठक की विशेषता यह है कि इसमें संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत स्वयं उपस्थित हैं। उनके साथ सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी, क्षेत्र प्रचारक, सह सरकार्यवाह और विभाग प्रमुख निरंतर चर्चाओं में जुटे हैं। संघ के भीतर इसे “शताब्दी पूर्व का सबसे व्यापक चिंतन सत्र” कहा जा रहा है, जो देश में होने वाले सामाजिक परिवर्तनों की दिशा तय कर सकता है।

बैठक के दूसरे चरण में मंगलवार को विचार-विमर्श का केंद्र रहा—संघ द्वारा घोषित ‘पंच परिवर्तन’ के पांच प्रमुख आयाम:
स्व-बोध, नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता और कुटुंब प्रबोधन।
इन पांचों विषयों को 2026 तक जमीनी स्तर पर कैसे लागू किया जाए, इस पर विस्तृत चर्चा हुई।

समाज और राष्ट्र के भविष्य की रूपरेखा

संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि यह बैठक मात्र संगठनात्मक नहीं, बल्कि राष्ट्रव्यापी दृष्टि को आकार देने का प्रयास है। उन्होंने कहा, “शताब्दी वर्ष केवल उत्सव का नहीं, आत्ममंथन और संकल्प का अवसर है। हमारा उद्देश्य है कि समाज के हर वर्ग तक संगठन का सकारात्मक संदेश पहुँचे-युवाओं से लेकर महिलाओं तक, गाँवों से लेकर नगरों तक।”

इस दिशा में “सघन गृह संपर्क अभियान” की रूपरेखा लगभग अंतिम चरण में है। इस अभियान के माध्यम से संघ कार्यकर्ता घर-घर जाकर समाज से संवाद करेंगे, सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करेंगे और पर्यावरण, शिक्षा, परिवार तथा सामाजिक सद्भाव जैसे विषयों को केंद्र में रखेंगे।

सूत्रों के अनुसार, बैठक में यह भी तय किया गया है कि आने वाले महीनों में देशभर में हिंदू सम्मेलनों की श्रृंखला आयोजित की जाएगी। ये सम्मेलन केवल धार्मिक आयोजन नहीं होंगे, बल्कि सामाजिक एकता, पर्यावरणीय जिम्मेदारी और सांस्कृतिक पुनर्जागरण के मंच बनेंगे।

जबलपुर में 41 साल बाद ऐतिहासिक बैठक

जबलपुर शहर लगभग 41 वर्षों बाद संघ की इतनी बड़ी राष्ट्रीय बैठक की मेज़बानी कर रहा है। शहर के लिए यह गौरव और उत्साह का विषय है। प्रशासन ने सुरक्षा और आवागमन की विशेष व्यवस्था की है। कचनार सिटी के आसपास का इलाका पूरी तरह संघ के झंडों, घोषवाक्यों और स्वागत बैनरों से सज गया है। स्थानीय स्वयंसेवक आने वाले प्रतिनिधियों के स्वागत में तैनात हैं।

जबलपुर के नागरिकों के बीच भी इस बैठक को लेकर उत्सुकता साफ देखी जा सकती है। स्थानीय संगठनों और शिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधि भी संघ के सामाजिक अभियानों में सहयोग के लिए आगे आ रहे हैं।

भागवत और होसबाले की उपस्थिति से बढ़ा महत्व

संघ प्रमुख मोहन भागवत के आने से बैठक का महत्व और बढ़ गया है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, उन्होंने सोमवार देर रात वरिष्ठ प्रचारकों के साथ लंबी चर्चा की, जिसमें वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों और समाज में बढ़ती वैचारिक ध्रुवीकरण की प्रवृत्ति पर भी चिंता व्यक्त की गई।
उन्होंने कहा कि “संगठन का लक्ष्य सत्ता नहीं, समाज है। यदि समाज में समरसता और आत्मविश्वास कायम होगा, तो राष्ट्र स्वतः सशक्त होगा।”

सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने अपने संबोधन में संगठन के विस्तार पर जोर देते हुए कहा कि “संघ का कार्य अब गांवों से निकलकर हर वर्ग तक पहुँचना चाहिए। समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचने की यही सदी की सबसे बड़ी आवश्यकता है।”

राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ

भाजपा सहित संघ से जुड़े कई अनुषांगिक संगठनों—जैसे विश्व हिंदू परिषद, भारतीय मजदूर संघ, विद्यार्थी परिषद और सेवा भारती—के शीर्ष पदाधिकारी भी इन विचार सत्रों में भाग ले रहे हैं।
हालांकि यह बैठक औपचारिक रूप से गैर-राजनीतिक बताई जा रही है, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे लोकसभा चुनाव 2029 की सामाजिक रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। भाजपा के कई वरिष्ठ नेता भी जबलपुर पहुंचे हैं, हालांकि वे बैठक में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं हैं।

संघ सूत्रों के अनुसार, चर्चाओं में यह भी उभरकर सामने आया कि देश के बदलते सामाजिक समीकरणों और वैश्विक परिदृश्य में भारत की भूमिका पर विशेष रूप से विचार किया जाए। संगठन मानता है कि आत्मनिर्भरता, पर्यावरण-संतुलन और सामाजिक समरसता के बिना भारत का विकास अधूरा रहेगा।

पर्यावरण और स्वदेशी पर नया फोकस

‘पंच परिवर्तन’ के अंतर्गत पर्यावरण को विशेष महत्व दिया गया है। संघ अब इसे केवल “संघ शाखा” तक सीमित न रखकर “समाज की आदत” बनाने पर जोर दे रहा है। जल संरक्षण, वृक्षारोपण और जैव विविधता के संरक्षण के लिए बड़े अभियान प्रस्तावित हैं।
साथ ही, स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और स्थानीय उद्योगों के प्रोत्साहन पर भी चर्चा हुई है।

2026 के शताब्दी वर्ष का एजेंडा

आरएसएस की स्थापना 1925 में हुई थी। 2026 में संघ अपने 100 वर्ष पूरे करेगा। इस अवसर को लेकर व्यापक योजनाएं तैयार की जा रही हैं। देश के प्रत्येक प्रांत में "शताब्दी सप्ताह" के आयोजन होंगे, जिसमें सांस्कृतिक प्रदर्शनियों, सामूहिक वृक्षारोपण, रक्तदान शिविरों और सामाजिक सेवा कार्यों की रूपरेखा बनाई जा रही है।

संघ चाहता है कि शताब्दी वर्ष केवल उसके स्वयंसेवकों तक सीमित न रहे, बल्कि इसे समाज के व्यापक भागीदारी के साथ मनाया जाए। इसके लिए “जनसंघर्ष नहीं, जनसंपर्क” की नीति अपनाई जा रही है।

जबलपुर की हवा में संवाद की नई ऊर्जा

शहर में संघ की उपस्थिति का असर स्थानीय सामाजिक संगठनों और नागरिक मंचों पर भी दिख रहा है। विश्वविद्यालयों और विद्यालयों में भी “चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण” विषयक संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।युवा वर्ग में यह जिज्ञासा बढ़ी है कि “संघ शताब्दी वर्ष में भारत कैसा होगा?”  इस प्रश्न का उत्तर संभवतः आने वाले तीन दिनों में जबलपुर से ही निकलेगा।जबलपुर में चल रही यह बैठक केवल संघ के लिए नहीं, बल्कि भारतीय समाज के लिए एक वैचारिक मोड़ की तरह है। जब देश तेज़ी से बदलते वैश्विक परिवेश में अपनी पहचान और दिशा तलाश रहा है, तब संघ के शीर्ष मस्तिष्कों का यह मंथन सामाजिक एकता, पर्यावरणीय संतुलन और सांस्कृतिक आत्मविश्वास की नई राह दिखा सकता है।आने वाले दिनों में जब इस बैठक के निष्कर्ष सार्वजनिक होंगे, तो यह स्पष्ट होगा कि संघ अपनी शताब्दी वर्ष की दहलीज़ पर कौन-सी नई दिशा और दृष्टि लेकर आगे बढ़ रहा है। फिलहाल इतना तय है-जबलपुर की यह शरद ऋतु भारत के वैचारिक भविष्य को आकार देने वाली ऋतु साबित हो सकती है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-