वास्तु शास्त्र के अनुसार बालकनी को स्टोर बनाना घर की समृद्धि और सेहत के लिए अशुभ संकेत

वास्तु शास्त्र के अनुसार बालकनी को स्टोर बनाना घर की समृद्धि और सेहत के लिए अशुभ संकेत

प्रेषित समय :19:25:55 PM / Tue, Oct 28th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

आधुनिक जीवनशैली में घर के हर कोने का उपयोग सुविधानुसार करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। शहरों में सीमित जगह के चलते लोग अक्सर अपने घर की बालकनी को अतिरिक्त सामान रखने के स्थान यानी स्टोर रूम की तरह इस्तेमाल करने लगे हैं। लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार यह आदत न केवल घर की ऊर्जा प्रणाली को बाधित करती है, बल्कि परिवार की मानसिक शांति और आर्थिक स्थिरता पर भी नकारात्मक असर डाल सकती है।

वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार घर की बालकनी सिर्फ एक खुला स्थान नहीं, बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश का सबसे अहम मार्ग होती है। यह जगह सूर्य के प्रकाश, वायु प्रवाह और प्राकृतिक ऊर्जा के संतुलन के लिए बनाई जाती है। जब इस स्थान को भारी, बेकार या अनुपयोगी वस्तुओं से भर दिया जाता है, तो यह ऊर्जा प्रवाह को अवरुद्ध कर देता है। इसका परिणाम यह होता है कि घर में धीरे-धीरे नकारात्मक ऊर्जा का जमाव होने लगता है, जो परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य, विचारों और संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

वास्तु शास्त्र कहता है कि घर के हर हिस्से की अपनी एक दिशा और ऊर्जा होती है। बालकनी का स्थान यदि उत्तर दिशा, पूर्व दिशा या ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में है, तो उसे विशेष रूप से साफ-सुथरा और हल्का रखना चाहिए। ये दिशाएँ सूर्य की सकारात्मक ऊर्जा और जीवन शक्ति को घर के भीतर लाने का माध्यम मानी जाती हैं। ऐसे में यदि इन दिशाओं की बालकनी में भारी सामान, टूटे-फूटे फर्नीचर, पुराने उपकरण या अनुपयोगी वस्तुएँ रख दी जाती हैं, तो यह घर की बरकत को रोक देती हैं। धीरे-धीरे घर में आर्थिक समस्याएँ, तनाव और असंतुलन की स्थिति बन सकती है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि बालकनी को स्टोर रूम की तरह इस्तेमाल करने का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह है कि घर के लोगों का आत्मविश्वास कमजोर होने लगता है। लगातार अव्यवस्था और बंद ऊर्जा के कारण मन में असुरक्षा और असंतोष का भाव बढ़ता है। कई बार व्यक्ति बिना किसी ठोस कारण के मानसिक रूप से बेचैन रहने लगता है। यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो घर के वातावरण में भारीपन, उदासी और झगड़ों की प्रवृत्ति तक बढ़ सकती है।

वास्तु सिद्धांतों के अनुसार, बालकनी को हल्का और खुला रखना आवश्यक है ताकि प्राकृतिक रोशनी और हवा का आवागमन निर्बाध रूप से होता रहे। इससे घर में प्राण ऊर्जा (life force energy) का संतुलन बना रहता है। यदि जगह की कमी के कारण बालकनी में कुछ वस्तुएँ रखनी ही पड़ें, तो उनका चयन बहुत सोच-समझकर करना चाहिए। इस स्थान पर केवल हल्की वस्तुएँ या पौधे रखना शुभ माना जाता है, जो ऊर्जा को बढ़ाते हैं। लोहे के भारी रैक, पुराने बक्से, टूटे हुए सामान या फालतू वस्तुएँ इस जगह पर रखने से बचना चाहिए।

उत्तर दिशा की बालकनी को हमेशा खुला और स्वच्छ रखने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह दिशा कुबेर देवता की मानी गई है — जो धन, समृद्धि और अवसरों का प्रतीक हैं। यदि इस दिशा की बालकनी में भारी वस्तुएँ रख दी जाती हैं, तो माना जाता है कि धन का प्रवाह रुकने लगता है और व्यक्ति को आर्थिक संघर्ष झेलना पड़ता है। इसी प्रकार, पूर्व दिशा सूर्य देव की दिशा है, जो जीवन शक्ति और स्वास्थ्य का प्रतीक है। यदि इस दिशा की बालकनी अवरुद्ध हो जाती है, तो स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें और मानसिक थकान बढ़ सकती हैं। वहीं ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा को घर की सबसे शुभ दिशा माना जाता है। इसे हमेशा स्वच्छ, हल्का और ऊर्जावान रखना चाहिए। यहाँ भार डालने या स्टोर बनाने से घर की समृद्धि में बाधा आती है और मानसिक तनाव बढ़ता है।

वास्तु विशेषज्ञों का कहना है कि बालकनी में रखे गए भारी सामान केवल भौतिक अव्यवस्था नहीं पैदा करते, बल्कि प्रतीकात्मक रूप से जीवन में भी बोझ बढ़ा देते हैं। घर के सदस्यों को आगे बढ़ने में कठिनाई महसूस होती है, निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है और जीवन की दिशा में अड़चनें आने लगती हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि घर की बालकनी हमेशा व्यवस्थित, स्वच्छ और ऊर्जा प्रवाह के अनुकूल बनी रहे।

आजकल के शहरी घरों में जगह की कमी एक वास्तविक समस्या है, लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार, स्थान की कमी के बावजूद ऊर्जा प्रवाह को बाधित नहीं करना चाहिए। घर में जो वस्तुएँ अनुपयोगी हैं, उन्हें निकालना या दान करना शुभ माना गया है। यह न केवल मानसिक शांति देता है बल्कि नई संभावनाओं के द्वार भी खोलता है।

कुछ विशेषज्ञ यह भी सुझाव देते हैं कि बालकनी में तुलसी, मनी प्लांट, एलोवेरा या फूलों के पौधे रखना अत्यंत शुभ होता है। ये पौधे नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करके वातावरण को शुद्ध करते हैं। वहीं अगर बालकनी में छोटे-छोटे जल तत्व या मिट्टी के दीपक सजाए जाएँ, तो घर में सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य का प्रवाह बढ़ता है।

वास्तु शास्त्र के सिद्धांत केवल परंपरा नहीं बल्कि ऊर्जा विज्ञान पर आधारित हैं। बालकनी को स्वच्छ, खुला और प्रकाशमान रखना केवल आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी घर की सेहत और जीवनशैली के लिए लाभदायक है। इसलिए वास्तु विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि घर की इस जगह को कभी भी बेकार वस्तुओं का अड्डा न बनाएं, बल्कि इसे ऊर्जा, सौंदर्य और शांति का केंद्र बनाकर रखें।

जब घर की बालकनी सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत बनती है, तो उसका असर पूरे परिवार की मानसिकता, स्वास्थ्य और समृद्धि पर दिखाई देता है। इसीलिए कहा गया है — जहाँ सूर्य की किरणें और स्वच्छ हवा स्वतंत्र रूप से आती हैं, वहाँ सदैव सुख, शांति और सौभाग्य का वास होता है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-