घर में वास्तु दोष मिटाने का उपाय वास्तु कलश स्थापना बनी चर्चा का विषय

घर में वास्तु दोष मिटाने का उपाय वास्तु कलश स्थापना बनी चर्चा का विषय

प्रेषित समय :19:55:12 PM / Wed, Aug 20th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

भारत में घर और भवन निर्माण के साथ वास्तु शास्त्र सदियों से जुड़ा हुआ है. माना जाता है कि घर की ऊर्जा, उसके निर्माण की दिशा, वास्तु-सिद्धांतों और उसमें की गई धार्मिक-आध्यात्मिक स्थापनाओं से प्रभावित होती है. जब घर या भवन में नकारात्मक ऊर्जा यानी वास्तु दोष उत्पन्न होता है, तो उसके निवारण के लिए कई उपाय बताए जाते हैं. इन दिनों सोशल मीडिया और धार्मिक समुदायों में जिस उपाय की सबसे अधिक चर्चा है, वह है — वास्तु कलश की स्थापना.

वास्तु कलश का महत्व
वास्तु शास्त्र के जानकार मानते हैं कि घर में यदि किसी भी प्रकार का वास्तु दोष हो, तो “वास्तु कलश” स्थापित करने से उसका प्रभाव कम या समाप्त किया जा सकता है. यह उपाय विशेष रूप से घर के उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में करने की सलाह दी जाती है.

यदि कलश मिट्टी का हो, तो उसका कहीं से भी खंडित (टूटा) न होना चाहिए.

यदि कलश धातु का हो — जैसे सोना, चांदी, तांबा या पीतल — तो उसमें भी कोई दरार नहीं होनी चाहिए.

स्थापना की विधि
धार्मिक परंपरा के अनुसार वास्तु कलश की स्थापना के लिए विशेष सामग्रियों का उपयोग किया जाता है.

सबसे पहले कलश में गंगाजल और शुद्ध जल भरा जाता है.

उसके भीतर सुपारी, हल्दी की गांठ, सिक्के, चांदी के सिक्के, पीली कौड़ियां और सामर्थ्य अनुसार कोई रत्न या उपरत्न रखा जाता है.

इसके बाद कलश पर मौली (कलावा) बांधी जाती है.

कलश के मुंह पर आम के पत्ते सजाए जाते हैं और उसके ऊपर नारियल रखा जाता है.

नारियल पर भी कलावा बांधकर उसे पवित्र रूप दिया जाता है.

कलश को जिस स्थान पर स्थापित करना है, उसके नीचे सूखे चावल या गेहूं की परत बिछाई जाती है.

विशेष महत्व
धार्मिक दृष्टि से माना जाता है कि जब इस कलश के साथ श्री यंत्र की स्थापना की जाए तो यह उपाय और भी अधिक प्रभावकारी हो जाता है. इससे उस भूखंड या घर की सकारात्मक ऊर्जा कई गुना बढ़ जाती है.

धार्मिक मान्यता और आस्था
पुरोहितों और वास्तु विशेषज्ञों का कहना है कि वास्तु कलश केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि ऊर्जा का स्रोत है. इसे स्थापित करने से घर में सुख-समृद्धि का प्रवाह होता है, मानसिक तनाव दूर होता है और नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव घटता है. यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और आज भी उतनी ही आस्था के साथ मानी जाती है.

सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टि
आधुनिक शहरी समाज में जहां लोग ज्यादातर फ्लैट्स और अपार्टमेंट्स में रहते हैं, वहां भी वास्तु कलश की स्थापना एक आसान और व्यावहारिक उपाय के रूप में अपनाई जा रही है. वास्तु विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बड़े वास्तु सुधार संभव न हों, तो कलश-स्थापना जैसे छोटे उपाय भी असरदार सिद्ध हो सकते हैं.

विशेषज्ञों की राय
कुछ आधुनिक आर्किटेक्ट और ऊर्जा विज्ञान के शोधकर्ता मानते हैं कि वास्तु कलश जैसे पारंपरिक उपाय मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी सकारात्मक असर डालते हैं. जब व्यक्ति विश्वास और श्रद्धा से कोई प्रतीक अपने घर में स्थापित करता है, तो उसके भीतर आत्मविश्वास और शांति का भाव बढ़ता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-