नई दिल्ली. देश के पूर्वी और मध्य हिस्सों में चक्रवात ‘मॉन्था’ (Cyclone Montha) ने तबाही मचा दी है. समुद्र से उठे इस तूफान का असर अब तक कई राज्यों में महसूस किया जा रहा है - पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु में भारी बारिश का अलर्ट जारी है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि अगले दो दिनों तक तेज़ हवाएँ और मूसलाधार बारिश का सिलसिला जारी रहेगा.
आईएमडी के अनुसार, चक्रवात ‘मॉन्था’ फिलहाल कमजोर होकर एक सुस्पष्ट निम्न दबाव क्षेत्र (well-marked low-pressure area) में बदल गया है, जो इस समय दक्षिण छत्तीसगढ़ के ऊपर स्थित है. विभाग ने अपने बुलेटिन में कहा कि यह प्रणाली धीरे-धीरे उत्तर दिशा की ओर बढ़ते हुए पूर्वी मध्यप्रदेश की ओर जाएगी और आगे कमजोर होगी. हालांकि, इसके बावजूद पूर्वी भारत और पहाड़ी इलाकों में अगले 48 घंटे तक भारी बारिश और भूस्खलन की आशंका बनी रहेगी.
आईएमडी ने कहा है कि “बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम में 31 अक्टूबर तक भारी से बहुत भारी वर्षा हो सकती है, जबकि कुछ स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा की संभावना भी है.” विभाग ने ट्वीट कर चेतावनी दी कि उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम के जिलों में भूस्खलन की घटनाएं हो सकती हैं, खासकर दार्जिलिंग और कालिम्पोंग में.
तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भी मॉन्था का असर दिखा. हैदराबाद और वारंगल में लगातार हो रही तेज बारिश से सड़कों पर जलभराव हो गया. वारंगल कलेक्टर डॉ. सत्य शारदा ने बताया कि पूरे ज़िले में औसतन 29 सेंटीमीटर तक वर्षा दर्ज की गई. उन्होंने कहा, “हमने दो दिन पहले ही एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए थे. सभी स्कूलों और बाजारों को बंद कर दिया गया. गर्भवती महिलाओं और मरीजों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया. निचले इलाकों में रहने वालों को भी राहत शिविरों में शिफ्ट कर दिया गया है.”
वारंगल में भारी वर्षा के चलते कई कॉलोनियों में पानी भर गया. राज्य की वन एवं बंदोबस्ती मंत्री कोंडा सुरेखा ने कहा कि “बारिश ने सड़कों को नदियों में बदल दिया है. कई परिवारों ने घर खाली करने से इनकार कर दिया, जिससे राहत कार्य में मुश्किलें आईं. प्रशासन ने नावों और बचाव टीमों को तैनात किया है.”
तेलंगाना के अलावा आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम और विशाखापट्टनम जिलों में भी तेज हवाओं के साथ बारिश जारी है. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, राज्य में अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है और एक व्यक्ति लापता है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने बयान जारी कर कहा, “अगर अगले दो दिन तक हम यही रफ्तार बनाए रखें, तो हम लोगों को बड़ी राहत दे सकते हैं. मगर यह लड़ाई अब भी खत्म नहीं हुई है.”
मॉन्था का असर अब धीरे-धीरे उत्तर की ओर बढ़ रहा है. बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बारिश शुरू हो गई है. पटना, भागलपुर, मधुबनी और किशनगंज में तेज़ बारिश के कारण सड़कें जलमग्न हैं. आईएमडी ने कहा है कि “बिहार में 31 अक्टूबर को भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना है. कुछ जिलों में बिजली गिरने और खेतों में जलभराव की स्थिति भी बन सकती है.”
उत्तर प्रदेश में बलिया, गाज़ीपुर और गोरखपुर जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है. मौसम विभाग के मुताबिक, शुक्रवार तक कुछ इलाकों में 70 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से हवाएँ चल सकती हैं. प्रशासन ने लोगों को सलाह दी है कि वे पेड़ों या बिजली के खंभों के नीचे न जाएँ.
झारखंड में भी मॉन्था का असर देखने को मिला है. रांची और धनबाद में देर रात से लगातार बारिश जारी है. राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने स्कूलों को बंद करने का निर्देश दिया है. ग्रामीण इलाकों में फसलें जलमग्न होने से किसानों में चिंता बढ़ गई है.
चक्रवात का प्रभाव नेपाल तक पहुँच गया है. पड़ोसी देश के 26 जिलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है. नेपाल के मौसम विभाग ने कहा कि “कोशी, मधेश और बागमती प्रांतों में नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. साप्तकोशी, तामोर, अरुण, दूधकोशी, कंकाई और बागमती नदियों में अचानक बाढ़ आने का खतरा है.” स्थानीय प्रशासन ने नदी किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और ऊँचे स्थानों पर जाने की सलाह दी है.
विशेषज्ञों का मानना है कि मॉन्था का यह दौर एक बार फिर भारत की जलवायु संवेदनशीलता को उजागर करता है. अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में बंगाल की खाड़ी से उठने वाले चक्रवात सामान्य हैं, लेकिन इस बार इसका दायरा ज़्यादा बड़ा और असर ज़्यादा लंबा साबित हो रहा है. मौसम विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, जलवायु परिवर्तन के कारण ऐसे तूफानों की तीव्रता और वर्षा की मात्रा दोनों में वृद्धि देखी जा रही है.
आंकड़ों के अनुसार, चक्रवात मॉन्था ने पिछले तीन दिनों में तेलंगाना, छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में औसतन 150 से 200 मिमी तक वर्षा दर्ज कराई है. कई जगहों पर खेतों में पानी भर जाने से खरीफ फसलों को नुकसान हुआ है. कृषि विशेषज्ञों ने चेताया है कि अगर अगले 48 घंटे में बारिश नहीं रुकी, तो धान की फसल को भारी क्षति हो सकती है.
इस बीच, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की 18 टीमें देश के विभिन्न हिस्सों में तैनात की गई हैं. बिहार में पाँच, पश्चिम बंगाल में चार, तेलंगाना में छह और झारखंड में तीन टीमें राहत कार्यों में जुटी हैं. सेना और वायुसेना को भी स्टैंडबाय पर रखा गया है ताकि जरूरत पड़ने पर एयरलिफ्ट और आपात आपूर्ति भेजी जा सके.
आईएमडी के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय मोहपात्रा ने कहा, “यह चक्रवात अब कमजोर हो चुका है, लेकिन इसका अवदाब अभी भी सक्रिय है. अगले दो दिनों तक पूर्वी भारत में व्यापक वर्षा जारी रहेगी.” उन्होंने यह भी कहा कि पहाड़ी इलाकों में यात्रा करने वाले लोग और पर्यटक अगले कुछ दिन तक सतर्क रहें.
राज्यों के बिजली विभागों को अलर्ट पर रखा गया है क्योंकि कई जगहों पर ट्रांसफॉर्मर डूब गए हैं. स्वास्थ्य विभागों ने भी संभावित जलजनित रोगों से बचाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है.
देश के कई हिस्सों में रेल और हवाई सेवाएं प्रभावित हुई हैं. हैदराबाद और भुवनेश्वर के बीच चलने वाली कई ट्रेनें रद्द कर दी गईं. कुछ उड़ानों को भी रद्द या डायवर्ट किया गया.
लोगों को सलाह दी गई है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करें. सोशल मीडिया पर #CycloneMontha और #StaySafeIndia ट्रेंड कर रहे हैं, जहाँ लोग अपने क्षेत्रों की स्थिति और राहत कार्यों की तस्वीरें साझा कर रहे हैं.
मौसम विभाग ने उम्मीद जताई है कि शनिवार शाम तक मॉन्था का प्रभाव काफी कम हो जाएगा. हालांकि, इसका अवदाब क्षेत्र कुछ समय तक हल्की बारिश कराता रहेगा.
देश भर में मॉन्था की मार झेल रहे लोग फिलहाल राहत और डर — दोनों के बीच हैं. आसमान से गिरती तेज़ बूँदों के बीच एक ही उम्मीद है कि यह तूफान जल्द थमे और जीवन फिर सामान्य पटरी पर लौटे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

