जबलपुर के विकास की नई नींव 259 करोड़ का 3 किलोमीटर लंबा बंदरिया तिराहा-साईं मंदिर फ्लाईओवर, जाम की समस्या का स्थायी समाधान

जबलपुर के विकास की नई नींव 259 करोड़ का 3 किलोमीटर लंबा बंदरिया तिराहा-साईं मंदिर फ्लाईओवर, जाम की समस्या का स्थायी समाधान

प्रेषित समय :19:20:24 PM / Sun, Nov 2nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. मध्य प्रदेश की संस्कारधानी जबलपुर के नागरिक लंबे समय से जिस समस्या से जूझ रहे थे. अब उसके समाधान की ओर निर्णायक कदम बढ़ा दिया गया है. शहर में पहले से मौजूद फ्लाईओवरों की श्रृंखला में एक और महत्वपूर्ण कड़ी जुडऩे जा रही है. केंद्र सरकार ने 259 करोड़ रुपये की भारी भरकम लागत वाले 3 किलोमीटर लंबे नए फ्लाईओवर के निर्माण को सैद्धांतिक मंजूरी दी है. जो शहर के सबसे व्यस्त मार्गों में से एक बंदरिया तिराहा से साईं मंदिर तक का सफर सुगम बनाएगा.

यह घोषणा न केवल शहर के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगी बल्कि जबलपुर की जीवनरेखा पर लगे ट्रैफिक जाम के ग्रहण को भी दूर करने का वादा करती है. हालांकि यह परियोजना जितनी राहत भरी है, उतनी ही बड़ी चुनौतियां भी अपने साथ लेकर आई हैए जिनके सफल प्रबंधन पर ही इस महत्वाकांक्षी योजना की सफलता निर्भर करेगी. यह फ्लाईओवर परियोजना केवल कंक्रीट और स्टील का ढांचा मात्र नहीं है. यह जबलपुर की गतिशील अर्थव्यवस्था के लिए एक आवश्यक उत्प्रेरक है.

बंदरिया तिराहा और उसके आसपास का क्षेत्र शहर के वाणिज्यिक, आवासीय व प्रशासनिक गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र है. यह मार्ग सीधे नर्मदा तट गौरीघाट जैसे महत्त्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थलों को जोड़ता हैए जहां पर्वों और सप्ताहांत में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. वर्तमान मेंए इन क्षेत्रों में लगने वाला लंबा जाम न केवल घंटों का बहुमूल्य समय बर्बाद करता हैए बल्कि व्यावसायिक गतिविधियों की लागत को भी बढ़ा देता है और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है.

विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस फ्लाईओवर के निर्माण से यातायात की गति 40 से 50 प्रतिशत तक की वृद्धि होगी. जिससे सालाना करोड़ों रुपये की ईंधन और समय की बचत होगी, जिसका सीधा सकारात्मक असर शहर की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. परियोजना की संरचना और महत्वरू यह 3 किलोमीटर लंबा फ्लाईओवर गोरखपुर और रामपुर जैसे प्रमुख चौराहों को जोड़ते हुए बंदरिया तिराहा से शुरू होगा और साईं मंदिर के आगे तक जाएगा. इसकी 16 मीटर चौड़ाई को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह वाहनों के सुचारू प्रवाह को सुनिश्चित कर सके. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस फ्लाईओवर में दो महत्त्वपूर्ण रोटरी ;त्वजंतलद्ध और रैंप ;त्ंउचेद्ध शामिल होंगे.

एक रोटरी बंदरिया तिराहा पर बनेगीए जिसमें गोरखपुर की ओर एक रैंप उतरेगा. दूसरी रोटरी रामपुर चौक पर बनाई जाएगीए जिसका रैंप रामपुर शक्ति भवन की ओर उतरेगा. इन रोटरी और रैंप की परिकल्पना इसीलिए की गई है ताकि फ्लाईओवर पर दौडऩे वाला ट्रैफिक बिना रुके गंतव्य तक पहुँच सकेए जबकि नीचे का ट्रैफिक स्थानीय जरूरतों के हिसाब से चलता रहे. यह इंजीनियरिंग योजना शहर के भीड़.भाड़ वाले शहरी क्षेत्रों में यातायात प्रबंधन का एक उन्नत मॉडल प्रस्तुत करती है.

चुनौतियां, गतिरोध और प्रबंधन की आवश्यकता-

हालांकि 259 करोड़ रुपये की यह महत्वाकांक्षी योजना चुनौतियों से अछूती नहीं है. सबसे बड़ी चुनौती निर्माण के दौरान यातायात का प्रबंधन है. बंदरिया तिराहा से साईं मंदिर का मार्ग पहले से ही अत्यधिक व्यस्त है. फ्लाईओवर का निर्माण शुरू होते हीए इस मार्ग पर अगले दो से तीन वर्षों के लिए यातायात पूरी तरह से बाधित हो जाएगा. प्रशासन को इस दौरान वैकल्पिक मार्गों की पहचान करनी होगी और नागरिकों को होने वाली असुविधा को न्यूनतम करने के लिए एक कठोर और प्रभावी यातायात डाइवर्जन प्लान लागू करना होगा.

सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव-

विश्लेषण के तहत यह देखना भी ज़रूरी है कि यह फ्लाईओवर सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से क्या प्रभाव डालेगा. एक ओरए यह परियोजना निश्चित रूप से वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण को कम करने में सहायक होगीए क्योंकि यातायात जाम की स्थिति में इंजन निष्क्रिय नहीं रहेंगे. दूसरी ओरए फ्लाईओवर के नीचे की जगह का उपयोग ग्रीन कॉरिडोर या पार्किंग के रूप में करने की योजना बनानी होगी ताकि शहरी सौंदर्य प्रभावित न हो.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-