विशेष संवाददाता, जबलपुर. शहर की सड़कों पर ट्रैफिक का शोर तो रोज़ सुनाई देता है, पर अब वक्त आ गया है कि जबलपुर अपनी सड़कों से एक नई आवाज़ निकाले-“लेफ्ट टर्न चाहिए.” नगर निगम प्रशासन ने शहर के प्रमुख चौराहों पर अतिक्रमण मुक्त लेफ्ट टर्न की दिशा में कदम बढ़ाया है, और यह पहल सिर्फ यातायात सुधार नहीं, बल्कि शहर की सभ्यता और अनुशासन को लौटाने की मुहिम बनती जा रही है.
कभी कहा गया था कि अगर किसी शहर में लेफ्ट टर्न लेते वक्त वाहन 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पा ले, तो समझ लेना चाहिए कि उस शहर में यातायात की समस्या नहीं है. इसी सोच के साथ आठ साल पहले तत्कालीन नगर निगम आयुक्त आईएएस वेद प्रकाश ने जबलपुर में इस अभियान की शुरुआत की थी. उस समय नागरिकों ने इस विचार का स्वागत किया था और शहर में ट्रैफिक सुधार की दिशा में नई उम्मीदें जगी थीं. मगर समय के साथ वह मुहिम थम गई, और सड़कों पर फिर से ठेले, टपरे और अवैध कब्जों का कब्जा लौट आया.
शहर में यातायात व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने की दिशा में एक बार फिर उम्मीद की किरण जगी है. नगर निगम प्रशासन ने प्रमुख चौराहों और तिराहों पर अतिक्रमण मुक्त लेफ्ट टर्न को लेकर नई पहल शुरू की है. यह वही प्रयास है जिसकी नींव आठ साल पहले रखी गई थी और जो अब मौजूदा निगमायुक्त रामप्रकाश अहिरवार के नेतृत्व में फिर रफ्तार पकड़ता दिख रहा है.
शनिवार को नगर निगम, जिला प्रशासन और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम ने शहर के कई हिस्सों में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की. कलेक्टर राघवेन्द्र सिंह, पुलिस अधीक्षक संपत उपाध्याय और निगमायुक्त अहिरवार के मार्गदर्शन में बनी कार्ययोजना के अनुसार आई.एस.बी.टी. दीनदयाल चौक और आसपास के इलाकों से अभियान की शुरुआत की गई. निगम का अतिक्रमण दस्ता मौके पर पहुंचा और सड़कों पर बने ठेले, टपरे तथा अस्थाई ढांचों को हटाकर लेफ्ट टर्न को पूरी तरह अतिक्रमण मुक्त किया गया. इससे न केवल वाहनों की आवाजाही सुगम हुई बल्कि पैदल चलने वालों के लिए भी रास्ता आसान बना.
इसी क्रम में रामपुर से गोरखपुर मार्ग तक भी कार्रवाई हुई. सड़कों के किनारे अवैध रूप से लगी दुकानों और ठेलों को हटाया गया. कई जगह नागरिकों ने खुद प्रशासन का सहयोग किया, तो कहीं तालियों से टीम का स्वागत हुआ. लोगों ने कहा कि यह पहल नियमित बने तो जबलपुर की सड़कों पर जाम और दुर्घटनाओं की स्थिति काफी हद तक घट जाएगी.
निगमायुक्त रामप्रकाश अहिरवार ने बताया कि यह अभियान एक दिन का नहीं है, बल्कि शहर के हर मार्ग को व्यवस्थित करने की दिशा में दीर्घकालिक पहल है. उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे सड़क किनारे या लेफ्ट टर्न वाले हिस्सों में अतिक्रमण न करें ताकि यातायात व्यवस्था को प्रभावी बनाया जा सके. उनका कहना है कि प्रशासन का उद्देश्य किसी की आजीविका खत्म करना नहीं बल्कि शहर की सुरक्षा और सुगमता सुनिश्चित करना है.
अभियान के दौरान विद्युत पोलों पर लगे फटे और अवैध बैनर-पोस्टरों को भी हटाया गया. सड़कों की सफाई के साथ नगर निगम की स्वच्छता टीम ने शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने की दिशा में काम किया. निगम अधिकारियों के मुताबिक यह प्रक्रिया अन्य इलाकों में भी जारी रहेगी, विशेष रूप से व्यस्त बाजारों और प्रमुख मार्गों पर.
नागरिक संगठनों ने इसे “शहर को सांस लेने देने की कोशिश” बताया. नागरिक मंचों ने कहा कि यह सिर्फ ट्रैफिक सुधार नहीं बल्कि शहरी जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने का प्रयास है. जबलपुर जैसे बढ़ते शहर में जहां रोज़ाना हजारों वाहन सड़कों पर उतरते हैं, वहां सुगम लेफ्ट टर्न यातायात की रीढ़ बन सकते हैं.
व्यापारी वर्ग ने भी इस कार्रवाई का समर्थन किया. कई व्यापारियों ने सुझाव दिया कि प्रशासन छोटे दुकानदारों के पुनर्वास की दिशा में भी ध्यान दे. निगमायुक्त अहिरवार ने भरोसा दिया कि प्रभावित लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था पर विचार किया जाएगा ताकि शहर के विकास के साथ उनका जीवन भी संतुलित रहे.
जबलपुर के वरिष्ठ नागरिकों को आठ साल पहले की वह तस्वीर याद है जब वेद प्रकाश के नेतृत्व में इसी तरह का अभियान चला था. उस समय कुछ ही महीनों में कई प्रमुख चौराहों पर लेफ्ट टर्न व्यवस्थित किए गए थे और ट्रैफिक में उल्लेखनीय सुधार हुआ था. लेकिन योजना अधूरी रह गई, और अतिक्रमण फिर लौट आया. अब जब वही मुहिम फिर शुरू हुई है, तो उम्मीदें भी फिर से जाग उठी हैं कि शायद इस बार शहर को उसका “लेफ्ट टर्न” सचमुच मिल जाएगा.
ट्रैफिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगर प्रशासन अतिक्रमण हटाने के साथ लेफ्ट टर्न की चौड़ाई बढ़ाने, सिग्नल सिंक्रोनाइजेशन और पार्किंग व्यवस्था पर भी ध्यान दे तो जबलपुर की ट्रैफिक स्थिति आदर्श बन सकती है. आई.एस.बी.टी. और गोरखपुर क्षेत्र में इस पहल के शुरुआती परिणाम सकारात्मक हैं और लोगों ने राहत महसूस की है.
सामाजिक संगठनों का मानना है कि यह केवल यातायात सुधार नहीं बल्कि शहरी संस्कृति की बहाली का संकेत है. अगर यह मुहिम लगातार चली तो यह आंदोलन का रूप ले सकती है—एक ऐसा आंदोलन जो शहर की पहचान उसके अनुशासन, स्वच्छता और सहयोग से तय करेगा.
जब जबलपुर की सड़कों पर वाहन बिना रुके सहजता से लेफ्ट टर्न ले सकेंगे, तब समझिएगा कि शहर ने केवल ट्रैफिक नहीं सुधारा—उसने अपनी रफ्तार, अपना अनुशासन और अपनी आत्मा वापस पा ली है. अब वक्त है कि हर नागरिक बोले—“मेरा शहर, मेरा लेफ्ट टर्न.”
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

