कोटा. पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा वर्कशॉप के रेलकर्मी जगदीश प्रसाद की संदिग्ध मौत का मामला अब और उलझ गया है. मौत के बाद सामने आए सुसाइड नोट की लिखावट मृतक जगदीश की लिखावट से मेल नहीं खा रही है, जिससे यह मामला गहरा गया है.
सूत्रों के अनुसार, जगदीश की लिखावट और सुसाइड नोट में लिखी लिखावट में काफी अंतर है, जिसे कोई भी साधारण व्यक्ति आसानी से पहचान सकता है. यह सुसाइड नोट मौत के तुरंत बाद वायरल हुआ था, लेकिन इसे किसने और क्यों वायरल किया, इसका पता अभी तक नहीं चल पाया है.
9 महीने बाद था रिटायरमेंट, संदेह गहराया
यह बात ध्यान देने योग्य है कि जगदीश प्रसाद का अगले साल जुलाई में यानी 9 महीने बाद रिटायरमेंट होने वाला था. वह अपने रिटायरमेंट को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थे और साथियों से अक्सर इसका जिक्र भी करते थे. ऐसे में उनके द्वारा आत्महत्या किए जाने की बात लोगों के गले नहीं उतर रही है, जिससे मौत के कारणों पर संदेह बढ़ गया है.
सुपरवाइजर का तबादला और विरोध प्रदर्शन
मामले के तूल पकडऩे पर, वर्कशॉप प्रशासन ने आनन-फानन में मशीन विभाग के सुपरवाइजर लोकेश रंगलावत का वर्कशॉप में ही दूसरी जगह स्थानांतरण कर दिया. इस बीच, यह जानकारी भी सामने आई है कि लोकेश रंगलावत मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ नहीं हैं और उनका इलाज भी चल रहा है. इसी कारण अधिकारियों ने उन्हें मशीन विभाग में हल्का काम सौंप रखा था. जगदीश की मौत से गुस्साए मशीन विभाग के कर्मचारियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने काम ठप कर सुपरवाइजर का घेराव किया और निष्पक्ष जांच की मांग की.
जांच टीम का गठन
इसी तरह, श्रमिक संगठनों के पदाधिकारियों ने भी मुख्य कारखाना प्रबंधक सुधीर सरवरिया से मिलकर मामले की जांच की मांग की. इसके बाद सुधीर सरवरिया ने उपमुख्य कारखाना प्रबंधक दिलीप सिंह मीणा के नेतृत्व में एक जांच टीम के गठन का आदेश दिया.
पोस्टमार्टम के बाद सौंपा गया शव
रेलवे कॉलोनी थाना पुलिस ने शनिवार को जगदीश का पोस्टमार्टम करवाया और शव परिजनों को सौंप दिया. उल्लेखनीय है कि शुक्रवार रात को रंगपुर रोड स्थित भदाना में जगदीश के जहरीला पदार्थ खा लेने से मौत का मामला सामने आया था. जगदीश मशीन विभाग में टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत थे.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-



