बिहार चुनाव के पहले चरण में 64.6 प्रतिशत रिकॉर्ड मतदान, एनडीए और महागठबंधन दोनों ने जीत का दावा किया, मतदाताओं ने बदला राजनीति का मिज़ाज

बिहार चुनाव के पहले चरण में 64.6 प्रतिशत रिकॉर्ड मतदान

प्रेषित समय :22:09:58 PM / Thu, Nov 6th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

पटना. बिहार की राजनीति में गुरुवार का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ. विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान में राज्य ने पिछले तीन दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, पहले चरण में 64.66 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जो 2020 के पहले चरण के 56.1 प्रतिशत से लगभग नौ फ़ीसदी अधिक है. यह मतदान न केवल पिछले चुनावों के मुकाबले उल्लेखनीय वृद्धि है, बल्कि राज्य में पिछले 25 वर्षों का सबसे ऊँचा मतदान प्रतिशत भी है.

चुनाव आयोग ने देर शाम जारी बयान में बताया कि वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में बिहार ने 62.57 प्रतिशत मतदान दर्ज किया था, जो अब पीछे छूट गया है. गुरुवार को हुए मतदान ने इस आंकड़े को पार कर दिया, जिससे यह साफ संकेत मिला कि जनता इस बार कुछ नया तय कर चुकी है. आयोग ने बताया कि पहले चरण में 71 विधानसभा क्षेत्रों में वोटिंग शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुई, हालांकि कुछ इलाकों से ईवीएम खराब होने और बूथ पर झड़प की मामूली घटनाएं भी सामने आईं.

बिहार के सियासी गलियारों में इस रिकॉर्ड मतदान ने हलचल मचा दी है. सत्ता पक्ष एनडीए और विपक्षी महागठबंधन दोनों ने इस भारी मतदान को अपने पक्ष में बताया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शाम को पटना में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “जनता ने हमारे काम और विकास मॉडल पर भरोसा जताया है. बिहार में स्थिरता और प्रगति के पक्ष में वोट पड़ा है.” वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने दावा किया कि यह उत्साह केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों में जनता के विश्वास का परिणाम है.

उधर, महागठबंधन के नेताओं ने इस मतदान को सरकार के खिलाफ जन असंतोष का संकेत बताया. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा, “इतने बड़े पैमाने पर लोगों का घर से निकलना यह दिखाता है कि जनता बदलाव चाहती है. गरीब, किसान और नौजवान ने इस बार निर्णायक मतदान किया है.” कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी दावा किया कि महागठबंधन की लहर पूरे राज्य में चल रही है और पहला चरण इसका प्रमाण है.

इस बीच, जन सुराज पार्टी के संस्थापक और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मतदान के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “पिछले 30 वर्षों में इतना ऊँचा मतदान यह दिखाता है कि बिहार में बदलाव की बयार चल पड़ी है. जनता अब परंपरागत जातीय राजनीति से आगे बढ़कर विकास की राजनीति पर वोट कर रही है.” प्रशांत किशोर की यह टिप्पणी राजनीतिक विश्लेषकों के बीच चर्चा का विषय बनी रही, क्योंकि यह सीधे तौर पर दोनों प्रमुख गठबंधनों की परंपरागत राजनीति को चुनौती देती है.

ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी केंद्रों तक, मतदान केंद्रों के बाहर लंबी कतारें इस बात की गवाही दे रही थीं कि मतदाता इस बार उदासीन नहीं हैं. बेगूसराय, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, और भागलपुर जैसे जिलों में सुबह से ही वोटिंग का उत्साह देखा गया. महिलाओं और युवा मतदाताओं की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही. चुनाव आयोग के मुताबिक, महिला मतदाताओं का प्रतिशत इस बार पुरुषों से अधिक दर्ज किया गया, जो 66.12 प्रतिशत तक पहुँचा. विशेषज्ञों का मानना है कि महिला मतदाताओं की यह बढ़ती सक्रियता चुनावी नतीजों को निर्णायक रूप से प्रभावित कर सकती है.

पहले चरण में मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच ही देखा गया. एनडीए में जनता दल (यूनाइटेड), भारतीय जनता पार्टी और हम (सेक्युलर) मैदान में हैं, जबकि महागठबंधन में राजद, कांग्रेस और वामदलों की साझेदारी है. इसके अलावा, जन सुराज पार्टी और चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने भी कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है.

मतदान के बाद चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि यह रिकॉर्ड वोटिंग सत्ता विरोधी लहर का संकेत भी हो सकती है, लेकिन बिहार की जटिल सामाजिक संरचना को देखते हुए किसी नतीजे पर पहुँचना जल्दबाज़ी होगी. राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर अरुण पाठक ने कहा, “इतिहास गवाह है कि बिहार में उच्च मतदान हमेशा सत्ता परिवर्तन का संकेत नहीं रहा है. लेकिन इस बार जोश और जागरूकता का जो माहौल दिखा, वह निश्चित रूप से एक नए राजनीतिक अध्याय की ओर इशारा करता है.”

मतदान के दिन सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही. केंद्रीय सशस्त्र बलों की 350 कंपनियाँ विभिन्न जिलों में तैनात की गईं. चुनाव आयोग ने बताया कि कुछ मतदान केंद्रों पर ईवीएम की तकनीकी खराबी के कारण मतदान थोड़ी देर के लिए बाधित हुआ, लेकिन उसे शीघ्र ठीक कर लिया गया. शाम छह बजे तक अधिकांश मतदान केंद्रों पर 60 प्रतिशत से अधिक लोग मतदान कर चुके थे, जबकि अंतिम घंटों में ग्रामीण इलाकों में भारी भीड़ उमड़ी.

बेगूसराय में पहली बार मतदान करने वाली 19 वर्षीय छात्रा प्रियंका कुमारी ने कहा, “यह हमारा अधिकार है और हम चाहते हैं कि बिहार में नौकरी और शिक्षा पर गंभीरता से काम हो.” वहीं भागलपुर में 70 वर्षीय किसान गोपाल राय ने बताया, “इतने सालों बाद पहली बार लगा कि हमारी आवाज़ सुनी जा रही है, इसलिए वोट देना ज़रूरी था.” ऐसे हजारों मतदाताओं की आवाज़ आज बिहार के लोकतंत्र की ताकत बनकर उभरी.

राजनीतिक दलों ने भी सोशल मीडिया पर मतदाताओं को धन्यवाद दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा, “बिहार के मतदाताओं ने लोकतंत्र को मजबूत किया है. यह उत्साह दिखाता है कि जनता विकास और सुशासन के साथ है.” तेजस्वी यादव ने भी ट्वीट कर कहा, “जनता का यह मतदान एक नए बिहार की नींव रखेगा.”

पहले चरण की सफलता के बाद अब सबकी निगाहें दूसरे चरण पर हैं, जो 12 नवंबर को होना है. बिहार में कुल पांच चरणों में मतदान संपन्न होगा और मतगणना 3 दिसंबर को होगी. आयोग ने बताया कि पहले चरण की शांतिपूर्ण वोटिंग से शेष चरणों के लिए उत्साह बढ़ा है.

इस बीच, मतदाता सूचियों और बूथवार मतदान प्रतिशत के विश्लेषण से यह भी सामने आया कि इस बार बड़ी संख्या में युवाओं ने वोट किया. करीब 22 लाख नए मतदाताओं ने पहली बार मतदान किया. यह संख्या 2020 के मुकाबले लगभग 14 प्रतिशत अधिक है. यह बढ़ोत्तरी इस बात की ओर संकेत करती है कि बिहार की नई पीढ़ी अब राजनीतिक रूप से अधिक सक्रिय और सजग हो चुकी है.

राज्य के विभिन्न जिलों में शाम तक मतदान का औसत प्रतिशत 64.66 पर स्थिर हुआ, लेकिन कई सीटों पर यह 70 प्रतिशत से भी अधिक रहा. अरवल, जहानाबाद, नवादा और लखीसराय में महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय रूप से बढ़ी. चुनाव आयोग ने बताया कि शांतिपूर्ण माहौल में मतदान सम्पन्न कराने के लिए लगभग 60,000 पुलिस कर्मियों और सुरक्षा बलों को तैनात किया गया था.

राजनीतिक हलकों में अब यह चर्चा तेज है कि यह रिकॉर्ड मतदान किसके पक्ष में जाएगा. हालांकि हर दल अपने-अपने तरीके से इसे जीत का संकेत बता रहा है, मगर असली तस्वीर 3 दिसंबर को मतगणना के बाद ही साफ होगी. फिर भी इतना तय है कि 7 नवंबर 2025 का यह दिन बिहार की चुनावी राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ बनकर दर्ज हो गया है—जहाँ जनता ने अपने उत्साह और भागीदारी से यह संदेश दिया कि लोकतंत्र की असली ताकत जनता के हाथों में ही है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-