टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी के बैंक खाते से 55 लाख रुपये की ठगी, जाली केवाईसी के जरिए साइबर अपराधियों ने उड़ाए पैसे

टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी के बैंक खाते से 55 लाख रुपये की ठगी

प्रेषित समय :18:42:49 PM / Fri, Nov 7th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

कोलकाता. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद कल्याण बनर्जी एक बड़े साइबर फ्रॉड के शिकार हो गए हैं. रिपोर्टों के अनुसार, साइबर अपराधियों ने उनके बैंक खाते से करीब 55 लाख रुपये निकाल लिए. यह पूरी ठगी नकली दस्तावेज़ों के सहारे की गई, जिसमें अपराधियों ने सांसद की पहचान का दुरुपयोग करते हुए उनके खाते तक पहुंच हासिल कर ली.

मामला सामने तब आया जब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के विधान सभा शाखा के प्रबंधक ने कल्याण बनर्जी को फोन कर खाते से हुई बड़ी निकासी की जानकारी दी. यह वही खाता था जो बनर्जी के विधानसभा कार्यकाल के दौरान खुलवाया गया था. उस समय वे आसनसोल दक्षिण से विधायक थे और बतौर विधायक उन्हें जो भत्ते और वेतन मिलते थे, वे उसी खाते में जमा होते थे. हालांकि लंबे समय से इस खाते में कोई लेनदेन नहीं हुआ था, जिसके कारण यह निष्क्रिय (डॉर्मेंट) हो गया था.

फर्जी दस्तावेज़ों से किया गया केवाईसी अपडेट
अभी तक की जांच में सामने आया है कि धोखेबाजों ने बनर्जी के नाम से जाली पैन और आधार कार्ड तैयार किए. इन नकली दस्तावेज़ों की मदद से उन्होंने बैंक में केवाईसी (Know Your Customer) प्रक्रिया को अपडेट कराया. इतना ही नहीं, अपराधियों ने खाते से जुड़ा पंजीकृत मोबाइल नंबर भी बदलवा लिया. इससे उन्हें खाते की सभी सूचनाओं और ओटीपी तक की पहुंच मिल गई. इसके बाद उन्होंने बड़ी चालाकी से पैसे विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर दिए.

बनर्जी को तब पता चला जब शाखा प्रबंधक ने दी जानकारी
जानकारी के मुताबिक, जब बैंक प्रबंधन ने खाते में असामान्य गतिविधि देखी तो उन्होंने खुद बनर्जी से संपर्क किया. तभी उन्हें इस ठगी का पता चला. बनर्जी ने तुरंत संबंधित अधिकारियों को इसकी सूचना दी और मामले की जांच की मांग की. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, “अगर बैंक में पैसा रखो तो अपराधी ले जाते हैं, और अगर घर में रखो तो नरेंद्र मोदी ले जाते हैं.” उनके इस बयान ने घटना को लेकर राजनीतिक तंज का रूप भी दे दिया.

साइबर अपराधियों ने फोटो और मोबाइल नंबर का भी किया इस्तेमाल
सूत्रों के अनुसार, अपराधियों ने न केवल फर्जी दस्तावेज़ तैयार किए बल्कि बनर्जी की असली तस्वीर और मोबाइल नंबर का भी उपयोग किया. इससे बैंक के लिए यह पहचानना मुश्किल हो गया कि केवाईसी अपडेट कराने वाला व्यक्ति असली है या नकली. चूंकि खाता वर्षों से निष्क्रिय था, इसलिए इस पर नियमित निगरानी नहीं रखी जा रही थी, जिसका फायदा अपराधियों ने उठाया.

पुलिस जांच में जुटी, साइबर सेल सक्रिय
कोलकाता पुलिस की साइबर अपराध शाखा ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है. प्रारंभिक जांच में कई डिजिटल सुराग हाथ लगे हैं और पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ठगी की रकम किन खातों में ट्रांसफर की गई. बैंक से भी इस संबंध में तकनीकी रिपोर्ट मांगी गई है ताकि ट्रांज़ैक्शन का सटीक पता लगाया जा सके.

राजनीतिक गलियारों में चर्चा
इस घटना ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है. एक ओर विपक्ष ने इसे बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा पर सवाल उठाने वाला मामला बताया, वहीं टीएमसी नेताओं ने कहा कि यह साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं का गंभीर उदाहरण है. कल्याण बनर्जी, जो लोकसभा में पार्टी के प्रमुख सांसदों में गिने जाते हैं, ने कहा कि यह घटना आम नागरिकों के लिए चेतावनी है कि वे अपने बैंक खातों से जुड़ी जानकारी समय-समय पर अपडेट करते रहें और संदिग्ध कॉल या लिंक से सावधान रहें.

तकनीकी चूक या सिस्टम फेलियर?
बैंकिंग विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रकार की ठगी तभी संभव होती है जब सिस्टम में कहीं न कहीं तकनीकी या प्रक्रिया संबंधी खामी हो. केवाईसी अपडेट जैसी प्रक्रिया में आमतौर पर बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन और रियल-टाइम फोटो की आवश्यकता होती है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि अपराधी इतने मजबूत सुरक्षा तंत्र को कैसे पार कर गए.

बढ़ते साइबर अपराधों पर चिंता
भारत में बीते कुछ वर्षों में साइबर अपराधों के मामलों में तेज़ी से वृद्धि हुई है. विशेष रूप से बैंकिंग और ऑनलाइन लेनदेन से जुड़े मामलों में अपराधी नित नए तरीके अपनाकर लोगों को निशाना बना रहे हैं. हाल ही में रिज़र्व बैंक ने भी बैंकों को फर्जी केवाईसी अपडेट और ऑनलाइन ठगी के प्रति सतर्क रहने का निर्देश दिया था.

बनर्जी की अपील – “सिस्टम को मजबूत किया जाए”
घटना के बाद कल्याण बनर्जी ने कहा कि वे इस मामले को संसद में भी उठाएंगे. उन्होंने कहा, “अगर एक सांसद का खाता सुरक्षित नहीं है, तो आम नागरिक का क्या होगा? बैंक और सरकार दोनों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए.”

फिलहाल पुलिस इस ठगी के नेटवर्क का पता लगाने में जुटी है और बैंक ने प्रभावित खाते को फ्रीज़ कर दिया है. जांच एजेंसियों का कहना है कि जल्द ही इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां हो सकती हैं. लेकिन यह घटना एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि डिजिटल युग में सुविधाओं के साथ खतरे भी बढ़े हैं — और सतर्क रहना ही सबसे बड़ी सुरक्षा है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-