श्योपुर में सरकारी स्कूल के बच्चों को प्लेट की जगह रद्दी कागज़ पर परोसा गया खाना, सेहत और स्वच्छता पर सवाल

श्योपुर में सरकारी स्कूल के बच्चों को प्लेट की जगह रद्दी कागज़ पर परोसा गया खाना, सेहत और स्वच्छता पर सवाल

प्रेषित समय :21:45:27 PM / Fri, Nov 7th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

श्योपुर. मध्य प्रदेश के श्योपुर ज़िले से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक सरकारी स्कूल में बच्चों को मध्यान्ह भोजन  प्लेट की बजाय रद्दी कागज़ पर परोसा गया. घटना का वीडियो शुक्रवार को सोशल मीडिया पर वायरल होते ही प्रशासन हरकत में आया. जांच के बाद संबंधित स्वयं सहायता समूह की जिम्मेदारी तुरंत समाप्त कर दी गई और स्कूल प्राचार्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

वायरल वीडियो श्योपुर ज़िले के हुल्लपुर गांव के एक मध्य विद्यालय का बताया जा रहा है, जो विजयपुर ब्लॉक के अंतर्गत आता है. वीडियो में साफ़ दिखाई दे रहा है कि दर्जनों बच्चे ज़मीन पर बैठकर खाना खा रहे हैं. उनके सामने प्लेटें नहीं, बल्कि अख़बारों और फटे हुए कागज़ों के टुकड़े बिछाए गए हैं. बच्चे इन टुकड़ों पर चावल और दाल रखकर खा रहे हैं. आसपास कोई शेड या टेबल नहीं दिखाई दे रहा — सब कुछ खुले मैदान में हो रहा है.

यह वीडियो वायरल होते ही लोगों में भारी आक्रोश फैल गया. कई लोगों ने इसे “मानवता पर धब्बा” और “सरकारी उदासीनता का उदाहरण” बताते हुए प्रदेश सरकार पर सवाल उठाए. वीडियो सामने आने के बाद श्योपुर के  कलेक्टर अर्पित वर्मा ने मामले की तत्काल जांच के आदेश दिए. अनुविभागीय अधिकारी  ने मौके पर पहुंचकर जांच की और घटना की पुष्टि की.

SDM ने बताया कि “जांच में पाया गया कि हुल्लपुर स्कूल में मध्यान्ह भोजन बच्चों को प्लेट के अभाव में कागज़ पर परोसा गया था. यह गंभीर लापरवाही है.” इसके बाद प्रशासन ने भोजन उपलब्ध कराने वाले स्वयं सहायता समूह का अनुबंध रद्द कर दिया है.

प्रशासनिक कार्रवाई और जिम्मेदारी तय
जांच रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा विभाग ने स्कूल प्राचार्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. कलेक्टर ने निर्देश दिए हैं कि जिले के सभी स्कूलों में बर्तनों की उपलब्धता और भोजन वितरण की प्रक्रिया की समीक्षा की जाए ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो.

इस घटना ने प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना की जमीनी हकीकत पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. यह योजना देशभर के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक और स्वच्छ भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चलाई जाती है.

सूत्रों के अनुसार, प्रदेश सरकार के रिकॉर्ड में 6 नवंबर को मध्य प्रदेश के 88,299 सरकारी स्कूलों में से 87,567 में मध्यान्ह भोजन परोसा गया, जबकि 732 स्कूलों में उस दिन भोजन नहीं मिला. अब इस आंकड़े को लेकर भी प्रशासनिक जवाबदेही तय की जा रही है.

सत्ता और विपक्ष की प्रतिक्रिया
घटना के सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने सोशल मीडिया पर लिखा, “श्योपुर में बच्चों को प्लेट नहीं, रद्दी कागज़ पर खाना दिया जा रहा है. यह है मध्य प्रदेश की शिक्षा और पोषण की असल तस्वीर.”
वहीं भाजपा के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल ने कहा, “यह एक स्थानीय स्तर की गंभीर लापरवाही है. जिला प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई की है और दोषियों पर सख्त कदम उठाए जा रहे हैं.”

बच्चों की सेहत और स्वच्छता पर सवाल
हुल्लपुर स्कूल में हुई यह घटना केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा है. चिकित्सकों का कहना है कि फटे हुए कागज़ों पर खाना परोसने से संक्रमण और पेट की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल में प्लेटें पहले से थीं, लेकिन पिछले कई हफ्तों से खराब हालत में थीं और उनकी जगह नई प्लेटें नहीं मंगाई गईं.

ग्रामीणों और अभिभावकों की नाराज़गी
वीडियो सामने आने के बाद ग्रामीणों और अभिभावकों ने भी स्कूल प्रबंधन के खिलाफ आक्रोश जताया. एक स्थानीय अभिभावक ने कहा, “सरकार कहती है बच्चों को पौष्टिक खाना मिलेगा, लेकिन यहां तो सम्मानजनक तरीके से खाना भी नहीं दिया जा रहा. बच्चे स्कूल में भूखे या रद्दी कागज़ पर खाना खाने को मजबूर हैं.”

सरकार के वादे और हकीकत
2023 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने अपने घोषणापत्र में मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता सुधारने का वादा किया था. इसमें कहा गया था कि “हर बच्चे को पौष्टिक, स्वच्छ और सम्मानजनक भोजन सुनिश्चित किया जाएगा.” बाद में महिला एवं बाल विकास विभाग, पंचायत विभाग और शिक्षा विभाग के बीच बैठकों में टेट्रा पैक दूध और अतिरिक्त पौष्टिक तत्वों को मिड-डे मील में शामिल करने पर चर्चा भी हुई थी. लेकिन इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि ज़मीनी स्तर पर निगरानी और क्रियान्वयन में गंभीर कमियाँ बनी हुई हैं.

प्रशासन की सफाई और आगे की कार्यवाही
श्योपुर जिला प्रशासन ने कहा है कि ऐसी घटनाओं को “शून्य सहनशीलता” की नीति के तहत लिया जाएगा. कलेक्टर अर्पित वर्मा ने बयान जारी करते हुए कहा, “हुल्लपुर स्कूल की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है. जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. हमने निर्देश दिया है कि जिले के सभी स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता और स्वच्छता पर प्रतिदिन निरीक्षण किया जाए.”

वहीं, शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सभी स्कूलों में नए स्टील प्लेट्स की आपूर्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और यह कार्य अगले सप्ताह तक पूरा करने का लक्ष्य है.

सोशल मीडिया पर बहस जारी
इस वीडियो ने सोशल मीडिया पर नैतिकता और सरकारी जवाबदेही को लेकर बहस छेड़ दी है. कई उपयोगकर्ताओं ने लिखा कि “देश के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों को अगर सम्मानजनक भोजन नहीं मिल रहा, तो यह केवल एक प्रशासनिक गलती नहीं, बल्कि सामाजिक असफलता भी है.”श्योपुर की यह घटना सरकार के “सशक्त भारत, शिक्षित भारत” के नारे के बीच एक असहज सच्चाई को सामने लाती है — जहाँ योजनाएँ कागज़ पर मजबूत दिखती हैं, लेकिन ज़मीनी सच्चाई आज भी बच्चों को रद्दी कागज़ पर भोजन खाने को मजबूर कर रही है.

ट्विटर X लिंक  को क्लिक  कर वीडियो देखें : https://x.com/Anurag_Dwary/status/1986447323875180681

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-