एमपी के चर्चित 2023 भोपाल आतंकी साजिश मामले में NIA ने दाखिल की नई चार्जशीट, छह आरोपियों पर बढ़ेगी कानूनी कार्रवाई

एमपी के चर्चित 2023 भोपाल आतंकी साजिश मामले में NIA ने दाखिल की नई चार्जशीट, छह आरोपियों पर बढ़ेगी कानूनी कार्रवाई

प्रेषित समय :22:24:06 PM / Fri, Nov 7th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मध्यप्रदेश के चर्चित 2023 भोपाल आतंकी साजिश मामले में ताजा कार्रवाई करते हुए एक नए आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दायर की है, जबकि पहले से आरोपित पांच अन्य के खिलाफ अतिरिक्त धाराएं जोड़ी गई हैं। यह मामला प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (Hizb-ut-Tahrir) से जुड़ा हुआ है। एजेंसी ने शुक्रवार को जारी आधिकारिक बयान में बताया कि यह कार्रवाई गुरुवार को भोपाल स्थित एनआईए की विशेष अदालत में पहली पूरक चार्जशीट दाखिल करने के बाद की गई है। इस कदम के साथ अब तक इस मामले में कुल 18 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है।

एनआईए ने बताया कि पहली चार्जशीट नवंबर 2023 में 17 आरोपियों के खिलाफ दायर की गई थी। ताजा पूरक चार्जशीट में जिन छह आरोपियों को नामजद किया गया है, उनमें मोहसिन खान उर्फ दाऊद, मोहम्मद आलम, मिसबह-उल-हसन, यासिर खान, सैयद दानिश अली और मोहम्मद शाहरुख शामिल हैं। जांच एजेंसी के अनुसार, ये सभी आरोपी एक आतंकी घटना में शामिल थे जिसमें अपने विदेशी हैंडलर के आदेश पर एक पुलिस अधिकारी की कार को आग के हवाले किया गया था।

एनआईए ने बताया कि मोहसिन खान के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत नए आरोप लगाए गए हैं, जबकि बाकी पांच आरोपियों के खिलाफ पहले से दर्ज चार्जशीट में अतिरिक्त प्रावधान जोड़े गए हैं। एजेंसी ने कहा कि यह कार्रवाई देश के खिलाफ आतंकी षड्यंत्र रचने वाले नेटवर्क को समाप्त करने के उद्देश्य से की जा रही है।

मामले की शुरुआत मई 2023 में हुई थी जब भोपाल की एंटी-टेरर स्क्वॉड (ATS) ने हिज्ब-उत-तहरीर के सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। जांच के दौरान यह जानकारी सामने आई थी कि यह संगठन गुप्त रूप से मध्यप्रदेश सहित देश के अन्य हिस्सों में मुस्लिम युवाओं की भर्ती कर रहा था। उनका उद्देश्य भारत की लोकतांत्रिक सरकार को उखाड़ फेंककर शरीयत-आधारित खिलाफत (Caliphate) की स्थापना करना था।

एनआईए के अनुसार, संगठन के सदस्य धार्मिक सभाओं के नाम पर गुप्त बैठकें करते थे, जहाँ लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ विचारधारा फैलाई जाती थी। इन बैठकों में युवाओं को कट्टरपंथी विचारों से प्रभावित किया जाता था और उन्हें हिंसक जिहाद के लिए मानसिक रूप से तैयार किया जाता था। एजेंसी ने बताया कि संगठन के सदस्य केवल वैचारिक गतिविधियों तक सीमित नहीं थे, बल्कि उन्होंने शारीरिक प्रशिक्षण और युद्ध जैसी कवायदें भी शुरू की थीं ताकि भविष्य में किसी भी हिंसक कार्रवाई के लिए वे तैयार रह सकें।

एनआईए ने अपने बयान में कहा कि जांच में यह भी सामने आया है कि इन आरोपियों को विदेशों में बैठे उनके ‘हैंडलर्स’ से निर्देश मिलते थे। ये हैंडलर सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म्स के ज़रिए लगातार संपर्क में रहते थे। एजेंसी का कहना है कि कई आरोपी अब भी फरार हैं, जिनकी तलाश जारी है। इन फरार आरोपियों और उनके विदेशी संपर्कों की गतिविधियों पर एनआईए की विशेष टीम लगातार नज़र रख रही है।

मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, अब तक एनआईए ने दर्जनों इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, दस्तावेज़ों और बैंक रिकॉर्ड्स को जब्त कर उनकी जांच की है। जांच में यह भी पाया गया कि संगठन युवाओं को ‘धार्मिक अध्ययन’ और ‘इस्लामी व्यवस्था’ के नाम पर भ्रमित कर अपनी विचारधारा से जोड़ रहा था। इसके लिए देश के कई हिस्सों में छोटे-छोटे गुप्त समूह बनाए गए थे, जिनके ज़रिए भर्ती और प्रशिक्षण दोनों की प्रक्रिया चलाई जा रही थी।

एनआईए ने स्पष्ट किया कि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था को अस्थिर करने या किसी प्रकार की वैचारिक हिंसा फैलाने की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एजेंसी का कहना है कि इस मामले में मिली जानकारी देश के अन्य हिस्सों में सक्रिय आतंकी स्लीपर सेल्स तक पहुँचने में मददगार साबित हो सकती है।

एनआईए ने यह भी बताया कि जांच अभी जारी है और एजेंसी हिज्ब-उत-तहरीर के अन्य फरार सदस्यों, समर्थकों और विदेशी नेटवर्क से जुड़े व्यक्तियों की गतिविधियों की बारीकी से निगरानी कर रही है। एजेंसी के मुताबिक, इस मामले में आगे और गिरफ्तारियाँ संभव हैं क्योंकि कई संदिग्धों के खिलाफ ठोस डिजिटल और भौतिक सबूत एकत्र किए जा चुके हैं।

गौरतलब है कि हिज्ब-उत-तहरीर को भारत में प्रतिबंधित आतंकी संगठन घोषित किया गया है, क्योंकि इसका घोषित उद्देश्य लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को समाप्त कर शरीयत-आधारित शासन स्थापित करना है। यह संगठन कई देशों में प्रतिबंधित है और लंबे समय से युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश में लगा रहा है।

एनआईए की इस कार्रवाई से यह संकेत मिलता है कि केंद्रीय एजेंसी न केवल आतंकी घटनाओं के दोषियों पर शिकंजा कस रही है बल्कि उनके वैचारिक नेटवर्क को भी तोड़ने की दिशा में सक्रिय है। विशेषज्ञों का कहना है कि भोपाल का यह मामला देश में आतंकी संगठनों की नई रणनीति को उजागर करता है, जहाँ धार्मिक सभाओं के नाम पर आतंक की विचारधारा को फैलाया जा रहा था।

एनआईए का दावा है कि आने वाले हफ्तों में जांच के और आयाम खुल सकते हैं, जिससे यह स्पष्ट होगा कि भारत में आतंकी संगठनों की वैचारिक जड़ें कितनी गहरी तक फैली हुई हैं। एजेंसी ने भरोसा जताया है कि आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत पेश कर न्यायालय में सख्त सजा सुनिश्चित की जाएगी।

इस प्रकार, भोपाल आतंकी साजिश केस में नई चार्जशीट दाखिल होने के साथ ही एनआईए की जांच अब निर्णायक चरण में पहुँच गई है, जहाँ एजेंसी का लक्ष्य न केवल अपराधियों को सजा दिलाना है बल्कि उनके नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करना भी है।

भोपाल आतंकी साजिश मामला 2023 क्या है?

भोपाल आतंकी साजिश मामला (Bhopal Terror Conspiracy Case 2023) एक ऐसा मामला है जिसमें प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (Hizb-ut-Tahrir या HuT) से जुड़े लोगों पर भारत की लोकतांत्रिक सरकार को उखाड़ फेंकने और शरिया कानून पर आधारित “खिलाफत” शासन स्थापित करने की साजिश रचने का आरोप है.यह मामला मई 2023 में तब सामने आया जब भोपाल एंटी टेरर स्क्वॉड (ATS) को सूचना मिली कि कुछ लोग मध्यप्रदेश में गुप्त रूप से युवाओं की भर्ती कर रहे हैं और उन्हें धार्मिक कट्टरपंथ के नाम पर भड़काकर जिहाद की तैयारी करा रहे हैं।इन लोगों का संबंध हिज्ब-उत-तहरीर (HuT) नामक संगठन से पाया गया — यह एक अंतरराष्ट्रीय इस्लामी संगठन है जो दुनिया के कई देशों में प्रतिबंधित है और शरिया-आधारित शासन प्रणाली लागू करने की वकालत करता है।भोपाल से लेकर दिल्ली तक, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने एक ऐसे आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश किया था  जो देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को गिराकर शरिया कानून पर आधारित “खिलाफत शासन” स्थापित करने की साजिश रच रहा था। यह मामला वर्ष 2023 में उजागर हुए भोपाल आतंकी साजिश प्रकरण से जुड़ा है, जिसमें प्रतिबंधित संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (Hizb-ut-Tahrir) के सदस्य शामिल पाए गए थे। शुक्रवार को NIA ने इस मामले में नई पूरक चार्जशीट दाखिल की है, जिससे यह साफ होता जा रहा है कि मध्यप्रदेश के भोपाल से शुरू हुआ यह नेटवर्क देशभर में अपनी जड़ें फैलाने की कोशिश में था।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने बताया कि इस साजिश में शामिल आरोपियों का उद्देश्य भारत सरकार को उखाड़ फेंकना और एक शरिया-आधारित इस्लामी शासन प्रणाली लागू करना था। इन लोगों ने “धार्मिक सभाओं” और “अध्ययन वर्गों” के नाम पर गुप्त बैठकें आयोजित कीं, जिनमें युवाओं को कट्टर विचारधारा के ज़रिए प्रभावित किया जाता था। जांच में यह भी सामने आया कि संगठन के सदस्य विदेशी हैंडलर्स के संपर्क में थे और उनसे प्राप्त आदेशों पर काम कर रहे थे।

भोपाल एंटी टेरर स्क्वॉड (ATS) को जानकारी मिली कि कुछ युवक धार्मिक शिक्षण के नाम पर चरमपंथी विचारधारा का प्रचार कर रहे हैं। ATS ने छापेमारी में 17 लोगों को गिरफ्तार किया और उनके पास से लैपटॉप, मोबाइल, पेन ड्राइव और जिहादी साहित्य बरामद किया। शुरुआती जांच में ही यह खुलासा हुआ कि आरोपी हिज्ब-उत-तहरीर (HuT) संगठन से जुड़े हैं, जो कई देशों में प्रतिबंधित है। संगठन का घोषित उद्देश्य इस्लामी खिलाफत स्थापित करना है।जांच का दायरा बढ़ने पर मामला NIA को सौंपा गया, जिसने नवंबर 2023 में पहली चार्जशीट दाखिल की। इसमें आरोप था कि संगठन के सदस्य भारत के विभिन्न हिस्सों में युवाओं को भर्ती कर रहे थे और उन्हें मानसिक, धार्मिक और शारीरिक प्रशिक्षण दे रहे थे ताकि वे भविष्य में “जिहाद” के नाम पर हिंसक गतिविधियाँ अंजाम दे सकें। एजेंसी को यह भी जानकारी मिली कि आरोपी कंप्यूटर और मोबाइल ऐप्स के माध्यम से विदेशी हैंडलर्स से एन्क्रिप्टेड संदेशों में निर्देश प्राप्त करते थे।

7 नवंबर 2025 को NIA ने इस केस में नई चार्जशीट दाखिल की। इसमें एक नए आरोपी मोहसिन खान उर्फ दाऊद को शामिल किया गया है, जबकि पांच पहले से आरोपित व्यक्तियों — मोहम्मद आलम, मिसबह-उल-हसन, यासिर खान, सैयद दानिश अली और मोहम्मद शाहरुख — पर अतिरिक्त धाराएं लगाई गई हैं। एजेंसी का कहना है कि इन आरोपियों ने अपने विदेशी संचालक के आदेश पर एक पुलिस अधिकारी की कार को जलाने की साजिश रची थी, जो आतंकवादी गतिविधि के अंतर्गत आता है। इस कार्रवाई के साथ अब तक कुल 18 आरोपी इस मामले में चार्जशीटेड हो चुके हैं, जबकि कुछ अभी भी फरार हैं।

NIA के अनुसार, हिज्ब-उत-तहरीर के कार्यकर्ता भोपाल, इंदौर और अन्य इलाकों में गुप्त रूप से धार्मिक सभाओं का आयोजन करते थे। इन बैठकों में युवाओं को यह समझाया जाता था कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था इस्लाम विरोधी है और इसे समाप्त कर शरीयत कानून लागू करना “धार्मिक कर्तव्य” है। कई जगह इन युवकों को आत्मरक्षा के नाम पर कॉम्बैट ट्रेनिंग और शारीरिक अभ्यास भी कराया गया। एजेंसी ने जांच के दौरान कई वीडियो और ऑडियो क्लिप जब्त किए हैं, जो इस साजिश की गहराई को दर्शाते हैं।

हिज्ब-उत-तहरीर की स्थापना वर्ष 1953 में फिलिस्तीन में हुई थी। इस संगठन का मकसद दुनिया में एक वैश्विक इस्लामी खिलाफत की स्थापना करना है। भारत सहित अनेक देशों में इसे प्रतिबंधित किया गया है, क्योंकि इसकी गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द के लिए गंभीर खतरा मानी जाती हैं। भारतीय कानून के तहत यह संगठन गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम – UAPA के अंतर्गत आता है।

भोपाल आतंकी साजिश मामले ने इस बात की ओर ध्यान खींचा है कि भारत में चरमपंथी विचारधाराएँ अब सोशल मीडिया और डिजिटल नेटवर्क के माध्यम से युवाओं तक पहुँच रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक नई चुनौती है, जहाँ आतंकवाद का चेहरा धार्मिक प्रशिक्षण या वैचारिक जागरूकता के नाम पर छिपा होता है।NIA की जांच अब अंतिम चरण में है, और एजेंसी का ध्यान न केवल आरोपी व्यक्तियों को सजा दिलाने पर है, बल्कि इस पूरे नेटवर्क की जड़ों तक पहुँचने पर केंद्रित है। एजेंसी ने यह भी संकेत दिया है कि कुछ आरोपी विदेशी संगठनों से वित्तीय मदद प्राप्त कर रहे थे, जिसकी जानकारी जुटाई जा रही है।

सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस केस ने खुफिया एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है। केंद्र सरकार ने राज्यों को निर्देश दिया है कि धार्मिक संगठनों या शैक्षणिक मंचों के नाम पर चल रही किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर सख्त निगरानी रखी जाए।मामले के ताज़ा घटनाक्रम में, NIA की चार्जशीट दाखिल होने के बाद अदालत ने आरोपियों को समन जारी किया है और अगली सुनवाई की तारीख तय की जा रही है। यह केस सिर्फ एक आतंकी साजिश का खुलासा नहीं, बल्कि इस बात का सबूत है कि भारत में कट्टरपंथ का नया रूप डिजिटल माध्यमों से आकार ले रहा है, और सुरक्षा एजेंसियाँ अब इसे रोकने के लिए व्यापक रणनीति पर काम कर रही हैं।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-