वर्ल्ड क्रिकेट कप में जीत दिलाने वाली खिलाड़ी क्रांति गौड़ ने कहा- अगर सपने हैं तो पीछे मुड़कर मत देखो, छतरपुर पहुंचते ही हुआ भव्य स्वागत

वर्ल्ड क्रिकेट कप में जीत दिलाने वाली खिलाड़ी क्रांति गौड़ ने कहा- अगर सपने हैं तो पीछे मुड़कर मत देखो, छतरपुर पहुंचते ही हुआ भव्य स्वागत

प्रेषित समय :21:09:55 PM / Fri, Nov 7th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

छतरपुर। मध्य प्रदेश की धरती ने एक बार फिर गौरव का अध्याय लिखा है। वर्ल्ड कप 2025 में भारत को जीत दिलाने क्रिकेट चैंपियन  वाली  क्रांति गौड़ आज जब अपने गृह नगर छतरपुर पहुंचीं, तो पूरा बुंदेलखंड उनके स्वागत में उमड़ पड़ा। भीड़ में स्कूल की बच्चियां, स्थानीय खेल प्रतिभाएं, बुजुर्ग और युवाओं के चेहरों पर गर्व झलक रहा था — सबकी जुबान पर एक ही नाम था, “क्रांति दीदी आ गईं!”

खजुराहो एयरपोर्ट पर शुक्रवार सुबह चार्टर्ड विमान से उतरते ही क्रांति का स्वागत फूलों की वर्षा और ढोल-नगाड़ों के साथ किया गया। समर्थक उन्हें देखने के लिए एयरपोर्ट के बाहर खड़े थे, जिनके उत्साह का आलम यह था कि जैसे ही वह कार में बैठीं, लोगों ने “भारत माता की जय” और “क्रांति गौड़ अमर रहो” के नारे लगाने शुरू कर दिए। रास्ते में उन्होंने गाड़ी की छत पर चढ़कर भीड़ का अभिवादन किया — इस दृश्य ने सोशल मीडिया पर भी खूब जगह बनाई।

छतरपुर पहुंचने से पहले क्रांति ने गुलगंज में रुककर अपने समर्थकों से मुलाकात की और फिर चौपरिया सरकार मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने कहा, “यह मेरी धरती है, जिसने मुझे खेल की प्रेरणा दी। आज यहाँ लौटना किसी सपने के पूरे होने जैसा है।”

इससे पहले दिन में भोपाल में मुख्यमंत्री निवास पर उनका भव्य सम्मान हुआ। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन्हें स्मृति-चिह्न और शॉल भेंट कर सम्मानित किया। इस दौरान क्रांति के माता-पिता और कोच राजीव बिल्थरे को भी सम्मानित किया गया। समारोह में खेल मंत्री विश्वास सारंग और कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि क्रांति के पिता मुन्ना सिंह, जो पहले पुलिस विभाग में कार्यरत थे, उन्हें पुनः पदस्थ किया जाएगा। साथ ही उन्होंने छतरपुर में विश्वस्तरीय खेल स्टेडियम बनाने की घोषणा की, ताकि बुंदेलखंड की प्रतिभाएँ आगे आ सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा, “क्रांति ने न केवल भारत का नाम रोशन किया है, बल्कि हर बेटी के भीतर यह विश्वास जगाया है कि परिश्रम और लगन से कुछ भी संभव है।”
कार्यक्रम में यह भी घोषणा की गई कि 15 नवंबर, आदिवासी गौरव दिवस के अवसर पर जबलपुर में एक विशेष सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें क्रांति गौड़ को राज्यस्तरीय सम्मान से नवाजा जाएगा।

सम्मान समारोह में क्रांति ने मंच से अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “वर्ल्ड कप जीतने का पल अविश्वसनीय था, लेकिन उससे बड़ा सुख आज अपने लोगों के बीच लौटने का है। अगर आपके पास सपने हैं, तो पीछे मुड़कर मत देखो। हर बेटी में शक्ति है, बस उसे पहचानना है।”

उनके इस संदेश ने उपस्थित छात्राओं और युवा खिलाड़ियों में नई ऊर्जा भर दी। कई लड़कियों ने पोस्टर लेकर लिखा था — “क्रांति दीदी, आप हमारी प्रेरणा हैं।”

समारोह में युवा खिलाड़ियों ने उनसे सवाल पूछे — अभ्यास के घंटे, फिटनेस रूटीन, मानसिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय स्तर की चुनौतियों पर। क्रांति ने सहज मुस्कान के साथ जवाब दिया, “वर्ल्ड कप मैदान में नहीं, दिल में जीता जाता है। जीत से पहले खुद पर विश्वास जरूरी है।”

क्रांति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति भी आभार व्यक्त किया और कहा कि उनसे मिलना “एक प्रेरक अनुभव” था। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने कहा कि बेटियों की जीत देश की ताकत है — यह वाक्य मेरे दिल में बस गया है।”

छतरपुर में प्रवेश करते ही शहर के कई इलाकों में तोरण द्वार लगाए गए थे। जगह-जगह बालिकाओं ने फूलों से स्वागत किया। नगर पालिका की ओर से जुलूस निकाला गया जिसमें स्कूली बच्चे तिरंगे झंडे लहराते हुए “क्रांति दीदी ज़िंदाबाद” के नारे लगा रहे थे।

सोशल मीडिया पर भी क्रांति का स्वागत ट्रेंड कर रहा है। ट्विटर (X) पर #KrantiGaud और #PrideOfBundelkhand शीर्ष ट्रेंड में रहे। इंस्टाग्राम पर उनके आगमन की तस्वीरों और वीडियो को लाखों व्यूज़ मिले। एक यूज़र ने लिखा — “क्रांति ने सिर्फ वर्ल्ड कप नहीं, बुंदेलखंड के सपनों को जीत लिया।”

फेसबुक पर छतरपुर के स्थानीय पेजों पर लोगों ने लाइव प्रसारण किया, जिसमें हजारों दर्शक जुड़े। पोस्ट्स में लोगों ने लिखा कि “क्रांति ने साबित किया कि गाँव की बेटियाँ भी विश्व मंच पर चमक सकती हैं।”

रांजनगर विधायक अरविंद पटेरिया ने उन्हें भगवान मतंगेश्वर की प्रतिमा भेंट की और कहा कि “क्रांति आज की नहीं, आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल हैं।”

शहर के नागरिकों ने भी अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब छतरपुर सिर्फ खजुराहो के लिए नहीं, बल्कि क्रिकेट के इतिहास के लिए भी जाना जाएगा।

शाम होते-होते, जब क्रांति अपने पैतृक गाँव घुवारा पहुँचीं, तो गलियों में दीपक जलाकर लोगों ने उनका स्वागत किया। बुजुर्ग महिलाएँ आरती की थाली लेकर खड़ी थीं और बच्चों ने उन्हें फूलों की माला पहनाई।

क्रांति ने वहां एक छोटे से भाषण में कहा — “मैं यह जीत हर उस बेटी को समर्पित करती हूँ जो छोटे कस्बे से बड़े सपने देखती है। मेरे लिए वर्ल्ड कप सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, यह संदेश है कि बेटियाँ अब पीछे नहीं रहेंगी।”

उनकी यह बात सुनकर तालियों की गड़गड़ाहट गूँज उठी।

छतरपुर में हुआ यह स्वागत समारोह केवल एक खिलाड़ी के सम्मान का नहीं, बल्कि उस भावना का प्रतीक बन गया जिसमें पूरे बुंदेलखंड की आकांक्षाएँ झलकती हैं।

क्रांति गौड़ आज सिर्फ क्रिकेट की नायिका नहीं, बल्कि हर उस भारतीय बेटी की प्रेरणा हैं जो जीवन की पिच पर अपने सपनों की बल्लेबाज़ी कर रही है — बिना डरे, बिना रुके, और सबसे बढ़कर, “पीछे मुड़कर देखे बिना।”

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-