जब बच्चा पहली बार मां की छाती से लगता है, तब होता है प्रकृति का सबसे खूबसूरत चमत्कार, देखिए यह वीडियो

जब बच्चा पहली बार मां की छाती से लगता है, तब होता है प्रकृति का सबसे खूबसूरत चमत्कार, देखिए यह वीडियो

प्रेषित समय :20:14:57 PM / Sun, Nov 9th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

हर मां बनने जा रही महिला और हर वह परिवार जो नए जीवन का स्वागत करने वाला है , उन्हें यह वीडियो ज़रूर देखना चाहिए। इंदौर की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरजा पौराणिक द्वारा प्रस्तुत यह वीडियो केवल एक मेडिकल व्याख्यान नहीं, बल्कि मां और शिशु के बीच प्रकृति द्वारा रचा गया पहला संवाद है , एक ऐसा पल जो विज्ञान और भावना, दोनों का सबसे सुंदर संगम बन जाता है।

 पूरा वीडियो देखें यहां

डॉ. पौराणिक इस वीडियो में बेहद सरल और भावनात्मक शब्दों में बताती हैं कि बच्चे के जन्म के तुरंत बाद का पहला घंटा - जिसे चिकित्सा विज्ञान “गोल्डन आवर” कहता है — जीवन का सबसे कीमती समय होता है। इसी एक घंटे में मां और बच्चे के शरीर, मन और आत्मा के बीच एक गहरा जुड़ाव बनता है।

वीडियो में दिखाया गया है कि जैसे ही नवजात को जन्म के बाद मां की छाती पर रखा जाता है, वह अपनी सहज प्रवृत्ति से मां की गंध पहचानता है और धीरे-धीरे उसकी त्वचा पर रेंगते हुए दूध की ओर बढ़ता है। यह पल भावनाओं से भरा होता है, लेकिन इसके पीछे छिपा है अद्भुत जैविक विज्ञान। बच्चे का शरीर तापमान, शुगर लेवल और हृदय गति — सब कुछ मां के शरीर के संपर्क से नियंत्रित हो जाता है।

डॉ. पौराणिक कहती हैं - “यह केवल एक स्पर्श नहीं, बल्कि प्रकृति द्वारा बनाया गया पहला संवाद है। इस क्षण में बच्चा अपने पूरे अस्तित्व से यह महसूस करता है कि वह सुरक्षित है, प्यार में है और जीवित रहने के लिए तैयार है।”

वीडियो में बताया गया है कि इस ‘गोल्डन आवर’ में मां के शरीर से निकलने वाला कोलोस्ट्रम — यानी जन्म के तुरंत बाद बनने वाला पीला गाढ़ा दूध — नवजात के लिए किसी वरदान से कम नहीं होता। यह प्राकृतिक “पहली वैक्सीन” है, जो बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है और उसे भविष्य की बीमारियों से बचाती है।

कई बार अस्पतालों में जल्दबाजी या परंपरागत मान्यताओं के कारण इस पहले घंटे को नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन डॉ. नीरजा पौराणिक यह समझाती हैं कि बच्चे को तुरंत नहलाना, कृत्रिम दूध देना या मां से अलग करना उसकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। वह कहती हैं — “बच्चे को जैसे ही मां की छाती पर रखा जाता है, उसका शरीर स्थिर होता है, उसकी सांसें सामान्य होती हैं और मां के भीतर से निकलने वाले हार्मोन दोनों को एक-दूसरे से जोड़ देते हैं।”

वीडियो का सबसे भावुक दृश्य वह है जब डॉ. पौराणिक “ब्रेस्ट क्रॉल” की प्रक्रिया समझाती हैं — यानी बच्चा स्वयं अपनी मां की छाती की ओर रेंगता है और दूध पीने की शुरुआत करता है। इसे देखना किसी चमत्कार से कम नहीं लगता। यह पल दर्शक को भीतर तक छू जाता है और यह एहसास कराता है कि प्रकृति ने मां और बच्चे के लिए हर कदम कितनी खूबसूरती से गढ़ा है।

इस वीडियो में केवल मातृत्व की बात नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं की गहराई है। यह एक ऐसा ज्ञान है जो केवल चिकित्सा नहीं, बल्कि जीवन की फिलॉसफी सिखाता है।
डॉ. पौराणिक बताती हैं कि जब मां अपने बच्चे को जन्म के बाद तुरंत छाती से लगाती है, तो दोनों के बीच ऑक्सीटोसिन हार्मोन का प्रवाह होता है — वही हार्मोन जो “लव हार्मोन” कहलाता है। यह पल न केवल स्तनपान को सफल बनाता है, बल्कि प्रसवोत्तर अवसाद (postpartum depression) के खतरे को भी कम करता है।

कई दर्शकों ने इस वीडियो पर अपने अनुभव साझा किए हैं। एक महिला ने लिखा —

“मैं दूसरी बार मां बनने जा रही हूं। यह वीडियो देखकर मुझे समझ आया कि पहले घंटे का स्पर्श ही बच्चे के पूरे जीवन की शुरुआत है।”

एक अन्य ने लिखा —

“काश, यह वीडियो हर अस्पताल में दिखाया जाता ताकि मां और बच्चे के बीच इस अनमोल रिश्ते को कोई जल्दबाजी न तोड़े।”

इस वीडियो को देखकर महसूस होता है कि मातृत्व सिर्फ जैविक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अनुभूति है। जब बच्चा मां की छाती से लगता है, तब वह केवल दूध नहीं पी रहा होता — वह सुरक्षा, प्रेम और जीवन की पहली सीख ले रहा होता है।

डॉ. पौराणिक का यह संदेश हर परिवार के लिए है — चाहे वे शहर में हों या गांव में। हर उस व्यक्ति को यह वीडियो देखना चाहिए जो किसी गर्भवती महिला के साथ है — पिता, दादी, नानी, नर्स या डॉक्टर — ताकि वे समझ सकें कि यह “पहला घंटा” कितनी बड़ी जिम्मेदारी और वरदान दोनों है।

आज जब दुनिया तकनीक और मेडिकल प्रक्रियाओं में आगे बढ़ रही है, यह वीडियो हमें याद दिलाता है कि कुछ चीज़ें अब भी स्पर्श और प्यार से ही पूरी होती हैं। यह वीडियो हमें प्रकृति के उस नियम से जोड़ता है जो लाखों वर्षों से अनकहा चला आ रहा है — मां ही बच्चे की पहली और सबसे सुरक्षित दुनिया है।

इस वीडियो को देखकर न केवल मातृत्व के वैज्ञानिक पहलू को समझा जा सकता है, बल्कि उस भावनात्मक शक्ति को भी महसूस किया जा सकता है जो हर मां के भीतर होती है।
जो कोई भी इस विषय में जागरूक होना चाहता है या अपने परिवार की नई शुरुआत को सार्थक बनाना चाहता है, उसे यह वीडियो अवश्य देखना चाहिए।

पूरा वीडियो देखें और महसूस करें यह चमत्कार:
जब बच्चा पहली बार मां की छाती से लगता है, तब होता है प्रकृति का सबसे खूबसूरत चमत्कार

यह वीडियो सिर्फ एक संदेश नहीं, बल्कि हर महिला के लिए आत्मसम्मान, आत्मविश्वास और मातृत्व का उत्सव है।
क्योंकि सच यही है —
“बच्चे के जन्म का पहला स्पर्श ही उसके जीवन का पहला वरदान होता है।”

यह वीडियो न सिर्फ देखने योग्य है, बल्कि साझा करने योग्य भी है — ताकि हर मां, हर पिता और हर परिवार इस “सुनहरे घंटे” की अहमियत को समझ सके और आने वाली पीढ़ियों को एक स्वस्थ शुरुआत दे सके।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-