भोपाल में धंसा इंदौर–जबलपुर बायपास का हिस्सा फिर हुआ वायरल, एक महीने पुरानी घटना ने सोशल मीडिया पर फिर जगाई चिंता

भोपाल में धंसा इंदौर–जबलपुर बायपास का हिस्सा फिर हुआ वायरल

प्रेषित समय :19:10:47 PM / Fri, Nov 7th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर14 अक्टूबर 2025 को भोपाल के बाहरी इलाके सुखी सेवनिया में हुई सड़क धंसने की भयावह घटना एक बार फिर सोशल मीडिया पर चर्चा में है. एक महीने पहले घटित यह हादसा — जिसमें इंदौर–जबलपुर बायपास का करीब 100 मीटर हिस्सा अचानक धंस गया था — अब दोबारा ट्रेंड कर रहा है. एक अंग्रेजी अख़बार  की 14 अक्टूबर 2025, दोपहर 12:05 बजे प्रकाशित रिपोर्ट का वीडियो और फोटो क्लिप्स इन दिनों फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर तेजी से वायरल हो रहे हैं. लोग इस पुरानी घटना को मौजूदा बुनियादी ढांचे की लापरवाही से जोड़ते हुए सवाल उठा रहे हैं कि “क्या एक महीने बाद भी हालात सुधरे हैं?”

सड़क के धंसने से लगभग 30 फीट गहरा गड्ढा बन गया था, जिसमें डामर और मिट्टी के साथ सड़क किनारे की रेलिंग तक समा गई थी. उस समय किसी वाहन या व्यक्ति के वहां मौजूद न होने से बड़ी दुर्घटना टल गई थी. हालांकि, अब नवंबर के पहले सप्ताह में, जब सोशल मीडिया यूज़र्स ने फिर से इस वीडियो को शेयर करना शुरू किया, तो यह मुद्दा एक बार फिर प्रशासन की जवाबदेही और निर्माण की गुणवत्ता पर बहस का विषय बन गया.

नई दिल्ली से  प्रकाशित  अंग्रेजी अख़बार  द्वारा साझा किया गया मूल वीडियो फेसबुक पर हजारों बार शेयर किया जा चुका है. इंस्टाग्राम पर यह दृश्य नए “रीपोस्ट” और “मेम रीमेक” रूपों में लाखों व्यूज़ पा रहा है. कई यूजर्स ने लिखा, “एक महीना बीत गया, लेकिन क्या सड़कें अब सुरक्षित हैं?” वहीं कुछ ने कमेंट किया — “यह सिर्फ सड़क नहीं, सरकारी निगरानी की गहराई का प्रतीक है.”

स्थानीय निवासियों का कहना है कि बायपास की मरम्मत का कार्य अभी भी पूर्ण रूप से नहीं हुआ है. कुछ हिस्सों में अस्थायी मिट्टी भर दी गई है, लेकिन स्थायी पुनर्निर्माण शुरू नहीं हो पाया है. इसके कारण क्षेत्रीय वाहन चालकों में डर बना हुआ है. सुखी सेवनिया और कटारा हिल्स मार्ग के बीच अब भी मिट्टी के ढेर और असमतल सड़कें देखी जा सकती हैं.

लोक निर्माण विभाग (PWD) ने एक महीने पहले दावा किया था कि तकनीकी जांच के लिए भूगर्भीय विशेषज्ञों की टीम गठित की गई है. प्रारंभिक रिपोर्ट में soil subsidence यानी भूमि धंसान को प्राथमिक कारण बताया गया था. हालांकि, सोशल मीडिया पर लोग अब पूछ रहे हैं कि जांच की अंतिम रिपोर्ट क्यों सार्वजनिक नहीं की गई. फेसबुक पर कई यूजर्स ने लिखा — “जब जनता के टैक्स से सड़कें बनती हैं, तो जवाब भी जनता को मिलना चाहिए.”

इंस्टाग्राम पर स्थानीय न्यूज़ पेजों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ने इस विषय पर नई रील्स अपलोड की हैं. एक लोकप्रिय वीडियो में ड्रोन से ली गई पुरानी फुटेज और वर्तमान स्थल की ताज़ा झलक दिखाई गई, जिसमें सड़क का बड़ा हिस्सा अब भी बदहाल नजर आ रहा है. रील पर लिखा गया कैप्शन था — “एक महीना, पर गड्ढा वही है.” यह पोस्ट हज़ारों बार शेयर किया गया और #BhopalBypassCollapse हैशटैग दोबारा ट्रेंड करने लगा.

प्रदेश के विपक्षी नेताओं ने भी इस मौके का इस्तेमाल सरकार पर निशाना साधने के लिए किया. एक पूर्व विधायक ने फेसबुक पर लिखा — “सड़कें धंस रही हैं, जवाब देने वाले गायब हैं.” वहीं भाजपा के कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने लिखा कि यह पिछली सरकार के कार्यकाल में बनी सड़क थी, इसलिए पुराने ठेकेदारों पर कार्रवाई जरूरी है. राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के बीच आम नागरिकों की चिंता वही है — “अगर फिर ऐसा हादसा हुआ तो कौन जिम्मेदार होगा?”

प्रशासन ने इस घटना के बाद सड़क के धंसे हिस्से को पूरी तरह बंद कर दिया था और आसपास सुरक्षा बलों की तैनाती की थी. भारी मशीनों की मदद से मिट्टी भरने और सतह को स्थिर करने का कार्य किया गया था, लेकिन नवंबर में बारिश की हल्की फुहारों के बाद फिर से उसी हिस्से में दरारें दिखाई देने की शिकायतें आ रही हैं.

भूगर्भ विशेषज्ञों का कहना है कि इस क्षेत्र की मिट्टी “ब्लैक कॉटन सोइल” यानी काली मिट्टी की श्रेणी में आती है, जो अत्यधिक नमी सोखने के बाद फैलती और सूखने पर सिकुड़ जाती है. यही कारण है कि यहां सड़क निर्माण के दौरान जल निकासी का सटीक प्रबंधन न होने पर जमीन का धंसना आम समस्या बन सकती है.

इस घटना का पुनः वायरल होना यह दर्शाता है कि सोशल मीडिया सिर्फ खबरों का माध्यम नहीं रहा, बल्कि जनता के दबाव की शक्ति भी बन गया है. फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लोग न केवल वीडियो साझा कर रहे हैं, बल्कि सरकार से पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं.  दिल्ली से प्रकाशित अंग्रेजी अख़बार    की पोस्ट पर एक यूजर ने लिखा — “अगर यह हादसा दिन में पीक ट्रैफिक के वक्त होता, तो कई जानें जा सकती थीं.”

एक महीने पुराने इस हादसे का डिजिटल पुनरुत्थान यह दिखाता है कि अब घटनाएँ केवल घटकर खत्म नहीं होतीं, बल्कि सोशल मीडिया पर जनता की स्मृति में बार-बार लौट आती हैं — जब तक सवालों के जवाब नहीं मिल जाते. भोपाल के पास इंदौर–जबलपुर बायपास की यह घटना अब केवल एक सड़क धंसान नहीं, बल्कि सिस्टम की स्थिरता और नागरिक जागरूकता का प्रतीक बन गई है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-