अनिल मिश्र/ पटना
बिहार प्रदेश में विधानसभा चुनाव का कल दूसरे और अंतिम चरण के मतदान होना है.इसकी तैयारी आज पूरी कर ली गई है.आज सुबह से ही 20 जिले के 122 विधानसभा क्षेत्रों के मतदान केन्द्रों पर मतदान कर्मियों और सुरक्षा बलों की टीम भेजने की प्रक्रिया शुरू किए गये हैं. इन लोगों को भेजने के लिए जिला मुख्यालय से गंतव्य स्थानों पर भेजने की प्रक्रिया जारी है. जहां कल के मतदान के लिए चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों का पालन किया जाएगा. वहीं कल के दूसरे और अंतिम चरण का मतदान बिहार प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतकर आखिर कौन बिहार प्रदेश के रहनुमा बनेगा यह भी इवीएम में कैद होकर रह जाएगा. जबकि 14 नवंबर को यह पता चल पायेगा कि बिहार प्रदेश में अगला मुख्यमंत्री कौन होकर बिहार का कायाकल्प अगले पांच साल तक रहकर करेंगे.
इन विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार के लिए ये चरण सत्ता में लौटने का एक तरह से परीक्षण है, जहां उन्हें अपने पिछले कार्यकाल के अनुभवों और विकास कार्यों के आधार पर जनता का भरोसा दोबारा जीतना होगा. दूसरी ओर, तेजस्वी यादव के लिए ये मौका है युवा नेतृत्व को स्थापित करने का. जनता के सामने ये स्पष्ट विकल्प है, पुराने और अनुभवी नेतृत्व पर कायम रहना या नई उम्मीद के तौर पर उभर रहे युवा नेता को मौका देना.बिहार चुनाव का दूसरा चरण सत्ता का दरवाजा साबित हो सकता है. 2020 के चुनाव में एनडीए के प्रमुख घटक भाजपा ने 42 और जदयू ने 20 सीटें जीती थीं, जबकि महागठबंधन की ओर से राजद को 33 और कांग्रेस को 11 सीटों पर जीत मिली थी.
इस बार, जिन सीटों पर जीत का फासला कम था, वे सबसे बड़ी चुनौती पेश कर रही हैं. राजनीति के जानकारों के मुताबिक, इस चरण के परिणाम से ये लगभग तय हो जाएगा कि बिहार में सत्ता किसकी ओर झुकेगी. पहले चरण में मतदाताओं की बड़ी संख्या में भागीदारी ने मुकाबले को और भी रोमांचक बना दिया है.दूसरे चरण में महागठबंधन की सबसे बड़ी घटक पार्टी राजद ने सबसे ज्यादा 71 उम्मीदवार उतारे हैं. इसके बाद भाजपा के 53 और जदयू के 44 उम्मीदवार मैदान में हैं. कल की एक खास बात महिला प्रतिनिधित्व का मजबूत होना है. महागठबंधन की 15 महिला प्रत्याशी मैदान में हैं, जबकि एनडीए के 25 महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही हैं. ये आंकड़ा बिहार चुनाव में महिला प्रतिनिधित्व का अब तक का सबसे मजबूत प्रदर्शन माना जा रहा है. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का सेकंड फेज सिर्फ वोटिंग डेट नहीं, बल्कि सत्ता की दिशा तय करने वाला निर्णायक रण है. 20 जिलों की 122 सीटों पर होने वाला ये मुकाबला न सिर्फ नीतीश कुमार की सियासी साख की परीक्षा है, बल्कि बिहार की जनता के मूड को भी साफ-साफ दिखाएगा कि राज्य पुराने अनुभव पर भरोसा रखेगा या नई उम्मीद के तौर पर उभर रहे तेजस्वी यादव को मौका देगा.
ये चरण इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछली बार 2020 में इन्हीं 122 सीटों पर एनडीए ने 66 और महागठबंधन ने 49 सीटें जीती थीं. दोनों गठबंधनों की पूरी रणनीति इन इलाकों पर केंद्रित है. वैसे कल दूसरा चरण चुनावी भविष्य की दिशा तय करने वाला माना जा रहा है. तीन दर्जन सीटों पर बेहद कम अंतर से हुई पिछली जीत-हार ने इस बार मुकाबले को और रोमांचक बना दिया है.बिहार चुनाव के दूसरे चरण में सीमांचल एक बार फिर सियासत का केंद्र बन गया है.यहां मुस्लिम वोटों में बिखराव का असर निर्णायक हो सकता है. सुरजापुरी और शेरशाहवादी मुसलमानों के अलग-अलग रुझान ने समीकरण उलझा दिए हैं. ओवैसी, प्रशांत किशोर और महागठबंधन सभी इस वर्ग को साधने में जुटे हैं, जबकि एनडीए इसे अवसर मान रहा है. 6 नवम्बर को बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान संपन्न हो गया है. अब 11 नवंबर को दूसरे चरण की वोटिंग होगी. फर्स्ट फेज में 65.08% मतदान हुआ है. ऐसे में सेकंड फेज में भी बंपर वोटिंग की उम्मीद जताई जा रही है. दूसरे चरण में सीमांचल की 24 सीटों पर भी मतदान होगा. जो बेहद अहम होने वाला है. सीमांचल की 24 सीटें बिहार की नई सरकार तय करेगी. लेकिन इस बार सियासी समीकरण बदले हुए हैं.
प्रशांत किशोर की जन सुराज की एंट्री से यहां मुकाबला चौतरफा हो गया है. एक तरफ बीजेपी-जेडीयू वाला एनडीए है, दूसरी तरफ आरजेडी-कांग्रेस वाला महागठबंधन है. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी सीमांचल की 15 सीटों पर लड़ रही है. वहीं जन सुराज सभी सीटों पर चुनावी मैदान में है.गौरतलब हो कि 2020 के चुनाव में सीमांचल की 24 सीटों में एनडीए को 12, महागठबंधन को 7, और ओवैसी की एआईएमआईएम को 5 सीटें मिली थीं. लेकिन बाद में एआईएमआईएम के 4 विधायक राजद में शामिल हो गए थे. मुस्लिम बाहुल्य वाली इन सीटों पर एनडीए और एमजीबी के लिए चुनौती कड़ी है. सीमांचल की 24 सीटों का गणित पूर्णिया और कटिहार की 7-7 अररिया की 6 और किशनगंज की 4 सीटों पर टिकी हुई है.अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कल के 20 जिले के 122 विधानसभा के मतदाताओं आखिर किस पार्टी को 122 के जादुई आंकड़े तक पहुंचाने में मदद करते हैं.यह तो शुक्रवार यानी 14 नवंबर को ही पता चल पायेगा. अनुभवी नीतीश कुमार, युवा तेजस्वी यादव या पीके के जनसुराज पार्टी बिहार प्रदेश में अगले पांच सालों तक बिहार प्रदेश के रहनुमा बनेंगे.

