Rail News- दयोदय एक्सप्रेस 18 दिनों तक नहीं जाएगी जयपुर-अजमेर, कोटा तक चलेगी, कई ट्रेनें रूट बदलेंगीजबलपुर-अजमेर दयोदय एक्सप्रेस आठ दिन कोटा से वापसी करेगी ,हजारों यात्रियों का सफर हुआ मुश्किल
प्रेषित समय :21:36:19 PM / Mon, Nov 10th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर
जबलपुर .जबलपुर और अजमेर के बीच रोज चलने वाली पश्चिम मध्य रेल (WCR) की महत्वपूर्ण दयोदय एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 12181/12182) के हजारों यात्रियों को आगामी सप्ताह भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। रेलवे ने जयपुर स्टेशन पर चल रहे अति आवश्यक इंटरलॉकिंग और यार्ड रीमॉडलिंग कार्यों के चलते इस लोकप्रिय ट्रेन के मार्ग को आठ दिनों के लिए आंशिक रूप से निरस्त करने का निर्णय लिया है। जारी आदेशों के मुताबिक दयोदय एक्सप्रेस अपने गंतव्य अजमेर तक नहीं जाएगी, बल्कि कोटा जंक्शन से ही वापस जबलपुर के लिए रवाना हो जाएगी। इस अचानक लिए गए निर्णय से उन यात्रियों में भारी निराशा है, जिन्होंने अजमेर, जयपुर या इसके आस-पास के तीर्थस्थलों और पर्यटन स्थलों की यात्रा की योजना बना रखी थी। रेलवे ने यह आंशिक निरस्तीकरण 15 नवंबर से शुरू होकर 22 नवंबर 2025 तक प्रभावी रहने की घोषणा की है, जिसका सीधा असर पूरे मध्य प्रदेश और राजस्थान के लाखों लोगों पर पड़ेगा।
यह खबर जैसे ही जबलपुर रेलवे स्टेशन के पूछताछ काउंटर और इंटरनेट मीडिया पर फैली, यात्रियों के बीच हड़कंप मच गया। दयोदय एक्सप्रेस को जबलपुर से रात के समय रवाना होने के कारण मध्य प्रदेश के कई जिलों जैसे कटनी, दमोह, सागर और गुना के यात्रियों के लिए यह एकमात्र सुविधाजनक ट्रेन मानी जाती है जो उन्हें सीधे राजस्थान के प्रमुख शहरों से जोड़ती है। खासकर, अजमेर शरीफ की जियारत करने वाले या पुष्कर मेले के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं का एक बड़ा समूह हर साल इस ट्रेन पर निर्भर रहता है। यात्री दीपक साहू ने अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा, "हमने चार महीने पहले अजमेर शरीफ जाने के लिए टिकट बुक कराया था। अब जब यात्रा का समय आया है, तो ट्रेन कोटा से ही वापस आ जाएगी। हमें कोटा से अजमेर तक की यात्रा के लिए अलग से बस या ट्रेन का इंतजाम करना होगा, जिसमें समय और पैसा दोनों अधिक लगेंगे। रेलवे को कम से कम यात्रियों को कोटा से आगे तक पहुँचाने की वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए थी।" वहीं, चिकित्सा कारणों से जयपुर जा रहे श्रीमती रजनी तिवारी के परिवार ने बताया कि अचानक हुए इस बदलाव से उनका सारा यात्रा कार्यक्रम गड़बड़ा गया है, और अब उन्हें मजबूरन आखिरी समय में हवाई यात्रा का विकल्प देखना पड़ रहा है।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जयपुर यार्ड में चल रहा इंटरलॉकिंग कार्य रेलवे के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और भविष्य में ट्रेनों की गति तथा सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह कार्य एक साथ कई लाइनों को जोड़ने और सिग्नलिंग सिस्टम को आधुनिक बनाने का काम है, जिसके कारण कुछ दिनों के लिए ट्रेनों का आवागमन बाधित करना अनिवार्य हो जाता है। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यात्रियों की असुविधा को कम करने के लिए ही ट्रेन को पूरी तरह से निरस्त करने के बजाय केवल आंशिक रूप से निरस्त किया गया है। ट्रेन संख्या 12181 जबलपुर-अजमेर दयोदय एक्सप्रेस इस दौरान कोटा तक जाएगी, जबकि ट्रेन संख्या 12182 अजमेर-जबलपुर दयोदय एक्सप्रेस कोटा से ही जबलपुर के लिए अपनी यात्रा शुरू करेगी। इसका मतलब यह है कि आठ दिनों तक अजमेर और कोटा के बीच का रूट इस ट्रेन के लिए पूरी तरह से कटा रहेगा।
इस आंशिक निरस्तीकरण का सबसे बड़ा बोझ अब कोटा जंक्शन पर पड़ने वाला है। कोटा मध्य भारत का एक महत्वपूर्ण जंक्शन है, जहाँ अब आठ दिनों तक इस ट्रेन के सभी यात्रियों को जयपुर और अजमेर के लिए वैकल्पिक साधन ढूंढने पड़ेंगे। इससे कोटा के स्थानीय परिवहन साधनों जैसे टैक्सी, बस और निजी कैब की मांग अचानक बढ़ जाएगी, जिससे इनके किराए में मनमाना इजाफा होने की संभावना है। स्थानीय परिवहन व्यवस्था पर दबाव बढ़ने से अव्यवस्था की स्थिति भी पैदा हो सकती है। रेलवे के वाणिज्य विभाग ने हालांकि यह भरोसा दिलाया है कि टिकट निरस्त कराने वाले सभी यात्रियों को नियमानुसार पूरा रिफंड प्रदान किया जाएगा, लेकिन जिन यात्रियों को आवश्यक कार्य से यात्रा करनी है, उनके लिए रिफंड मात्र एक औपचारिकता है, वास्तविक समाधान नहीं। उन्हें तत्काल टिकट की ऊँची दरें और अन्य साधनों के लिए अधिक भुगतान करना होगा।
यह पहली बार नहीं है जब रेलवे ने विकास कार्यों के नाम पर लंबी दूरी की ट्रेनों के परिचालन को बाधित किया हो। पिछले कुछ महीनों में भी जबलपुर मंडल और कोटा मंडल के कई हिस्सों में ट्रैक दोहरीकरण और विद्युतीकरण के चलते कई ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। हालांकि, रेलवे हमेशा तर्क देता है कि यह अल्पकालिक पीड़ा भविष्य में एक मजबूत और सुरक्षित रेल नेटवर्क सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है, लेकिन सोशल मीडिया पर यात्रियों का गुस्सा साफ दिख रहा है। कई उपयोगकर्ताओं ने हैशटैग रेलवेअसुविधा और दयोदयमुश्किल का प्रयोग करते हुए अपनी भड़ास निकाली है। एक यूज़र ने लिखा, "हर बार यात्रियों को ही क्यों विकास कार्यों की कीमत चुकानी पड़ती है? क्या ये काम व्यस्त सीज़न से हटकर नहीं किए जा सकते?"
रेलवे को अब इस संकट की घड़ी में अपनी संचार रणनीति को मजबूत करने की जरूरत है। यात्रियों को न केवल आंशिक निरस्तीकरण की सूचना देनी चाहिए, बल्कि उन्हें कोटा से जयपुर/अजमेर तक पहुँचने के लिए नजदीकी वैकल्पिक ट्रेनों और बसों की जानकारी भी उपलब्ध करानी चाहिए। आठ दिनों की यह अवधि जबलपुर, अजमेर और जयपुर के बीच दैनिक आवागमन करने वाले व्यापारियों, सरकारी कर्मचारियों और छात्रों के लिए एक बड़ी चुनौती बनने वाली है। उन्हें अपने साप्ताहिक या मासिक पास का उपयोग करने का लाभ नहीं मिलेगा, और उन्हें मजबूरन अधिक लागत वाली यात्रा करनी पड़ेगी। यह आंशिक निरस्तीकरण दिखाता है कि भारतीय रेलवे आधुनिकीकरण के दौर से गुजर रहा है, लेकिन इसका सीधा और तात्कालिक प्रभाव आम जनता की जेब और सुविधा पर पड़ रहा है। रेलवे को जल्द से जल्द यह सुनिश्चित करना होगा कि इंटरलॉकिंग का काम निर्धारित समय सीमा यानी 22 नवंबर 2025 तक पूरा हो जाए, ताकि यात्रियों को और अधिक विलंब का सामना न करना पड़े और यह लोकप्रिय एक्सप्रेस ट्रेन अपनी पूरी क्षमता के साथ एक बार फिर दोनों प्रमुख शहरों को जोड़ सके।
Source : palpalindia
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