रावलपिंडी। पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज़ हारिस रऊफ ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के दबाव और आलोचना पर अपनी बेबाक राय रखते हुए कहा है कि “यह खेल बेहद निर्दयी है, जहां खिलाड़ियों से उम्मीद की जाती है कि वे हर मैच में रोबोट की तरह प्रदर्शन करें।” श्रीलंका के खिलाफ पहले वनडे में शानदार गेंदबाज़ी कर टीम को जीत दिलाने के बाद हारिस ने यह बयान दिया, जिसने क्रिकेट जगत में नई बहस छेड़ दी है।
मंगलवार को खेले गए मुकाबले में रऊफ ने अपनी घातक रफ्तार और सटीक लाइन लेंथ से श्रीलंकाई बल्लेबाजों को खूब परेशान किया। उन्होंने चार विकेट चटकाकर पाकिस्तान को मात्र छह रनों से रोमांचक जीत दिलाई। यह जीत पाकिस्तान के लिए राहत लेकर आई, क्योंकि पिछले कुछ हफ्तों से टीम की फॉर्म और खिलाड़ियों के प्रदर्शन को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे।
मैच के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में हारिस रऊफ ने कहा, “लोग अक्सर भूल जाते हैं कि खिलाड़ी भी इंसान हैं। हमसे उम्मीद की जाती है कि हम हर मैच में एक जैसी परफॉर्मेंस दें, जैसे कि हम मशीन हों। लेकिन क्रिकेट एक भावनात्मक खेल है, जहां दिन-ब-दिन परिस्थितियां, मनोबल और दबाव बदलता रहता है।”
हारिस का यह बयान उस समय आया है जब हाल ही में हुए एशिया कप फाइनल में भारत के खिलाफ उनकी गेंदबाजी की काफी आलोचना हुई थी। उस मैच में भारतीय बल्लेबाजों ने उनकी गेंदों पर जमकर रन बनाए थे, जिसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी फिटनेस और लाइन-लेंथ को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएँ आई थीं।
उन्होंने कहा, “मुझे पता है कि मेरे कुछ मैच अच्छे नहीं गए। लेकिन यह भी सच है कि कोई भी खिलाड़ी हर दिन सर्वश्रेष्ठ नहीं हो सकता। फैंस और विशेषज्ञों की उम्मीदें समझ में आती हैं, लेकिन यह समझना जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट एक कठिन जगह है। यहां गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती, और अगर आप असफल होते हैं तो आलोचना आपका पीछा नहीं छोड़ती।”
रऊफ की गेंदबाजी से पलटा मैच का रुख
श्रीलंका के खिलाफ पहले वनडे में जब पाकिस्तान मुश्किल में था, तब हारिस ने टीम को वापसी दिलाई। उन्होंने अपने दूसरे स्पेल में लगातार तीन विकेट झटके — जिसमें श्रीलंकाई कप्तान और सेट बल्लेबाज दोनों शामिल थे। उनकी 4 विकेट की यह पारी निर्णायक साबित हुई। श्रीलंका 6 रन से हार गया और पाकिस्तान ने सीरीज़ में 1-0 की बढ़त हासिल की।
मैच के बाद उनके साथी गेंदबाज़ शाहीन अफरीदी ने भी हारिस की तारीफ करते हुए कहा, “हारिस ने दबाव के बीच जिस तरह वापसी की, वह काबिल-ए-तारीफ है। पिछले कुछ समय में उन्होंने काफी आलोचना झेली, लेकिन आज उन्होंने साबित किया कि वह पाकिस्तान के लिए कितने महत्वपूर्ण हैं।”
‘सोशल मीडिया ट्रोल्स ने किया परेशान’
हारिस रऊफ ने यह भी खुलासा किया कि सोशल मीडिया पर होने वाली आलोचनाओं का मानसिक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा, “कभी-कभी लगता है कि हम खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक उत्पाद हैं, जिसे हर समय परफेक्ट रहना चाहिए। लेकिन हम भी गलतियाँ करते हैं। परिवार, फिटनेस और निजी ज़िंदगी के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं है। सोशल मीडिया पर लोग बहुत जल्दी जज करते हैं, बिना यह समझे कि मैदान पर क्या हालात थे।”
पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान क्रिकेट टीम में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। कप्तानी बदलाव, चयन विवाद और फिटनेस समस्याओं ने खिलाड़ियों पर अतिरिक्त दबाव डाला है। हारिस रऊफ ने कहा, “हमारी टीम में युवा खिलाड़ी हैं जो सीख रहे हैं। उन्हें समर्थन की जरूरत है, न कि आलोचना की। अगर आप लगातार नकारात्मकता फैलाएँगे, तो खिलाड़ी का आत्मविश्वास गिरता है।”
टीम प्रबंधन का समर्थन
पाकिस्तान के मुख्य कोच गैरी कर्स्टन ने रऊफ का समर्थन करते हुए कहा कि वह टीम के ‘फाइटर’ हैं। कर्स्टन ने कहा, “हारिस अपने खेल को बहुत गंभीरता से लेते हैं। पिछले कुछ मैचों में उनका प्रदर्शन गिरा जरूर, लेकिन उनका वर्क एथिक शानदार है। आज उन्होंने दिखा दिया कि वह क्यों पाकिस्तान के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाजों में गिने जाते हैं।”
कोच ने यह भी कहा कि पाकिस्तान क्रिकेट में खिलाड़ियों को मानसिक मजबूती देने के लिए मनोवैज्ञानिक सहायता की जरूरत है। “हम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लगातार यात्रा करते हैं, अलग-अलग परिस्थितियों में खेलते हैं। खिलाड़ियों पर बहुत दबाव होता है। अब समय है कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दिया जाए,” कर्स्टन ने कहा।
फैंस ने भी दिखाई सहानुभूति
हारिस के बयान के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएँ दो हिस्सों में बँट गईं। कुछ फैंस ने कहा कि पेशेवर खिलाड़ियों को आलोचना झेलनी आनी चाहिए, वहीं कई लोगों ने उनका समर्थन किया। ट्विटर (एक्स) पर एक फैन ने लिखा, “हारिस रऊफ ने जो कहा वह हर खिलाड़ी की सच्चाई है। फैंस को समझना चाहिए कि मैदान पर हर दिन जीत नहीं होती।”
दूसरे यूजर ने लिखा, “क्रिकेटर भी इंसान हैं, और उन्हें मानसिक रूप से स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी टीम और फैंस दोनों की है।”
टीम में बढ़ेगा आत्मविश्वास
श्रीलंका के खिलाफ जीत के बाद पाकिस्तान का आत्मविश्वास बढ़ा है। अगले मैच में टीम अपने गेंदबाजी संयोजन में बदलाव कर सकती है, लेकिन हारिस रऊफ को फिर से प्लेइंग इलेवन में जगह मिलने की पूरी संभावना है। उन्होंने कहा, “यह जीत मेरे लिए खास है। मैंने अपने कोच और टीम के भरोसे को कायम रखने की कोशिश की। क्रिकेट मेरे लिए जुनून है, लेकिन मैं भी थकता हूं, गलतियां करता हूं — और यही मुझे इंसान बनाता है।”
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की हकीकत
हारिस रऊफ की बातों ने क्रिकेट के उस पहलू को उजागर किया है जो अक्सर चर्चा से बाहर रहता है — खिलाड़ी का मानसिक दबाव। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार खेलना, यात्रा करना, फिट रहना और अपेक्षाओं पर खरा उतरना आसान नहीं है। एक छोटी गलती या बुरा दिन आपके करियर पर सवाल उठा देता है।
क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि हारिस ने जिस तरह ईमानदारी से अपनी भावनाएं रखीं, वह आने वाली पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए प्रेरणादायक है। उनके शब्द सिर्फ एक शिकायत नहीं, बल्कि एक चेतावनी हैं — कि “खेल का मानवीय पक्ष भी उतना ही अहम है जितना प्रदर्शन।”
रावलपिंडी की उस शाम में जब पाकिस्तान ने रोमांचक जीत दर्ज की, स्टेडियम में गूंज रहे नारों के बीच एक सच्ची आवाज़ भी सुनाई दी — हारिस रऊफ की, जो याद दिला रही थी कि हर तेज़ गेंद के पीछे एक धड़कता हुआ दिल होता है, जो मशीन नहीं, बल्कि इंसान है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

