जबलपुर के जंगलों में खूनी खेल, गौरहा बीट में 20 दिन में दूसरा तेंदुआ मृत सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल

जबलपुर के जंगलों में खूनी खेल, गौरहा बीट में 20 दिन में दूसरा तेंदुआ मृत सुरक्षा पर उठे गंभीर सवाल

प्रेषित समय :20:52:22 PM / Wed, Nov 12th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. संस्कारधानी जबलपुर से सटे वन क्षेत्रों में पिछले बीस दिनों के भीतर दो तेंदुओं की रहस्यमय मौत ने वन विभाग के भीतर और वन्यजीव प्रेमियों के बीच हड़कंप मचा दिया है. नवीनतम घटना में, आज सुबह गौरहा बीट के सघन वन क्षेत्र में एक और वयस्क तेंदुए का शव संदिग्ध परिस्थितियों में मिला है. वन विभाग ने तत्काल शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है, लेकिन प्रारंभिक जाँच और स्थानीय लोगों की बातचीत से संकेत मिल रहे हैं कि यह मौत सामान्य नहीं है, बल्कि इसके पीछे शिकार या अवैध गतिविधियों का गहरा हाथ हो सकता है. यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब पूरे मध्य प्रदेश को 'टाइगर स्टेट' का तमगा प्राप्त है और वन्यजीवों के संरक्षण पर लगातार बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं.

आज सुबह जब वनकर्मियों का एक दल गौरहा बीट में नियमित गश्त पर था, तो उन्हें घनी झाड़ियों के पास तेंदुए का क्षत-विक्षत शव मिला. शव पर कुछ बाहरी चोटों के निशान पाए गए हैं, जो किसी नुकीली वस्तु या तीव्र संघर्ष की ओर इशारा कर रहे हैं. गौरतलब है कि इससे ठीक बीस दिन पहले, इसी क्षेत्र में एक अन्य तेंदुए का शव भी बरामद किया गया था, जिसकी मौत के कारणों को लेकर अभी भी जाँच जारी है. दो तेंदुओं की इतने कम समय में एक ही बीट में मौत होना एक बड़ा और गंभीर संकेत है कि वन क्षेत्र के अंदर या तो कोई शिकारी गिरोह सक्रिय है, या फिर वन भूमि पर अतिक्रमण और अवैध गतिविधियों के कारण वन्यजीवों और स्थानीय लोगों के बीच संघर्ष बढ़ा है.

सोशल मीडिया पर इस खबर के आते ही वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चर्चा छिड़ गई है. पर्यावरण प्रेमियों ने सीधे तौर पर वन विभाग की पेट्रोलिंग और सुरक्षा प्रोटोकॉल पर सवाल खड़े किए हैं. ट्विटर (अब X) और फेसबुक पर यूजर्स यह चिंता व्यक्त कर रहे हैं कि जंगलों में अवैध कटाई, महुआ बीनने के नाम पर हो रही घुसपैठ और वन्यजीवों के प्राकृतिक गलियारों पर बढ़ रहे मानवीय दबाव के चलते वन्यजीवों के लिए सुरक्षित ठिकाने कम होते जा रहे हैं. लोगों का कहना है कि जब जबलपुर जैसे शहरी क्षेत्र के करीब स्थित वन बीट में भी तेंदुए सुरक्षित नहीं हैं, तो दूरदराज के जंगलों की क्या स्थिति होगी.

वन विभाग के उच्चाधिकारियों ने तुरंत मौके पर पहुँचकर मामले की गंभीरता को देखते हुए गहन जाँच के आदेश दिए हैं. उनका कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के वास्तविक कारण (शिकार, ज़हर, या आपसी संघर्ष) का पता चल पाएगा. हालाँकि, स्थानीय सूत्रों का दावा है कि जंगल के आस-पास के गाँवों में इन दिनों मवेशियों की चोरी की घटनाएं बढ़ी हैं, और कुछ क्षेत्रों में बिजली के तार बिछाकर अवैध शिकार के प्रयास किए जाने की भी आशंका है. अगर यह शिकार का मामला साबित होता है, तो यह मध्य प्रदेश के वन्यजीव संरक्षण के लिए एक बड़ा झटका होगा और इसमें शामिल दोषियों पर राष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

यह घटना उन सभी दावों पर एक प्रश्नचिह्न लगाती है जो वन्यजीवों की सुरक्षा और उनके प्राकृतिक आवासों को बचाने के लिए किए जाते हैं. जबलपुर की यह घटना एक तत्काल चेतावनी है कि वन्यजीवों को बचाने के लिए कागज़ी योजनाओं से आगे बढ़कर जमीनी स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना होगा, जिसमें स्थानीय समुदायों को शामिल करना और जंगल के अंदर अवैध घुसपैठ को रोकना शामिल है. इस दोहरी मौत ने न केवल स्थानीय वन प्रशासन की नींद उड़ा दी है, बल्कि पूरे राज्य के वन्य जीव संरक्षण प्रयासों को सवालों के घेरे में ला दिया है.

इस मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया है, जो बीस दिन पहले हुई पहली तेंदुए की मौत और आज की घटना के बीच किसी भी संभावित संबंध की तलाश करेगी. वन्यजीव प्रेमियों की मांग है कि इस मामले की जांच त्वरित और पारदर्शी तरीके से की जानी चाहिए ताकि शिकारियों या अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों को जल्द से जल्द पकड़ा जा सके और आगे होने वाली वन्यजीवों की मौत को रोका जा सके.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-