धर्मेंद्र की रिश्तेदार दीप्ति भटनागर ने छोड़ी फिल्मों की दुनिया, शाहरुख खान से ट्रेनिंग पाने के बाद बनी सफल ट्रैवल ब्लॉगर

धर्मेंद्र की रिश्तेदार दीप्ति भटनागर ने छोड़ी फिल्मों की दुनिया, शाहरुख खान से ट्रेनिंग पाने के बाद बनी सफल ट्रैवल ब्लॉगर

प्रेषित समय :16:20:10 PM / Sun, Nov 16th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

मुंबई. हिंदी फिल्म उद्योग में धर्मेंद्र का परिवार लंबे समय से अभिनय और स्टारडम की परंपरा के लिए जाना जाता है. उनके दोनों बेटे सनी देओल और बॉबी देओल, बेटी ईशा देओल, भतीजे अभय देओल और पोते करन व राजवीर देओल—सभी ने कम या ज्यादा सफलता के साथ अभिनय की दुनिया में अपना नाम बनाया है. लेकिन इस चमकदार फिल्मी वंश में एक ऐसा नाम भी है जो शायद कम सुना गया हो, फिर भी अपने रास्ते खुद चुनने और नई पहचान गढ़ने का साहस रखता है. धर्मेंद्र की यह रिश्तेदार, दीप्ति भटनागर, एक समय में उभरती हुई अभिनेत्री थीं, जिन्हें 1990 के दशक में शाहरुख खान जैसे सुपरस्टार ने कभी हाँ कभी ना की तैयारी के दौरान खुद ट्रेनिंग दी थी. इसके बावजूद वे स्क्रीन टेस्ट के समय घबरा गईं और फिल्म जगत से दूरी बना ली. आज वे अभिनय से पूरी तरह अलग एक दुनिया में अपनी विशेष पहचान बना चुकी हैं—एक सफल ट्रैवल ब्लॉगर के रूप में.

उत्तर प्रदेश के मेरठ में जन्मी दीप्ति भटनागर का सफर फिल्मों का नहीं, बल्कि एक सामान्य व्यवसाय से शुरू हुआ था. वह मुंबई आकर हैंडीक्राफ्ट का कारोबार करती थीं. इस दौरान एक संयोग ने उन्हें फैशन और मॉडलिंग की दुनिया से परिचित कराया. उन्हें मॉडलिंग के लिए चुना गया और देखते ही देखते वे कई मशहूर विज्ञापन अभियानों का हिस्सा बन गईं. केवल 18 साल की उम्र में उन्होंने मिस इंडिया का खिताब जीता और इसके बाद उनका जीवन अचानक बदल गया. मॉडलिंग के पहले महीने में ही उनके बैंक खाते में एक लाख रुपये जमा हो गए और सालभर के भीतर उन्होंने मुंबई में अपना घर भी खरीद लिया.

उनकी बढ़ती लोकप्रियता ने धीरे-धीरे उन्हें फिल्मों की ओर भी खींचा. 1990 के दशक में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखना किसी भी नए कलाकार के लिए बड़ी चुनौती था, लेकिन दीप्ति को एक ऐसा अवसर मिला जो कई लोग सिर्फ सपना देख सकते हैं. फिल्म कभी हाँ कभी ना के लिए उन्हें शाहरुख खान ने स्वयं ट्रेनिंग दी. शाहरुख उस दौर में अपने करियर को मजबूती दे रहे थे और नई प्रतिभाओं को आगे लाने में भी रुचि रखते थे. दीप्ति ने बाद में एक इंटरव्यू में बताया कि शाहरुख काफी सहायक और धैर्यवान थे तथा उन्होंने दीप्ति को अभिनय के बुनियादी पहलुओं की विस्तार से समझ दी.

लेकिन इस पूरी तैयारी के बावजूद, जब स्क्रीन टेस्ट का समय आया, तो दीप्ति घबरा गईं. उन्होंने स्वीकार किया कि कैमरे के सामने आने को लेकर उन्हें हमेशा एक झिझक रहती थी. जब उन्हें लगा कि फिल्मी दुनिया की चकाचौंध और अनिश्चितता उनके स्वभाव के अनुकूल नहीं है, तब उन्होंने स्वयं को पीछे हटाने का कठिन निर्णय लिया. शाहरुख खान जैसे स्टार से प्रशिक्षण मिलना उनके लिए सम्मान की बात थी, लेकिन उन्होंने साफ कहा कि उन्हें कैमरे के सामने अपना सर्वश्रेष्ठ देने में सहजता नहीं मिल पा रही थी.

फिल्मों से दूरी बनाने के बाद दीप्ति ने कुछ समय तक छोटे-मोटे प्रोजेक्ट किए, लेकिन जल्दी ही उन्होंने समझ लिया कि यह दुनिया उनके लिए नहीं है. उस समय सोशल मीडिया का दौर शुरू नहीं हुआ था, लेकिन यात्रा को लेकर दीप्ति की रुचि और दुनिया को अपने अनुभवों से जोड़ने का विचार उनमें हमेशा मौजूद था. बाद के वर्षों में, जब डिजिटल कंटेंट और ब्लॉगिंग का दौर आया, तो उन्होंने अपने नए सफर की शुरुआत की.

आज दीप्ति भटनागर एक जानी-मानी ट्रैवल ब्लॉगर हैं. उन्होंने देश और दुनिया के कई हिस्सों की यात्रा की है और अपने अनुभवों को दर्शकों के साथ साझा करती हैं. उनके वीडियो न सिर्फ खूबसूरत लोकेशनों को दिखाते हैं, बल्कि यात्रा के दौरान आने वाली चुनौतियों, स्थानीय संस्कृति और जीवनशैली की भी झलक प्रस्तुत करते हैं. वे यह मानती हैं कि अभिनय के बजाय वास्तविक जीवन के अनुभवों को कैमरे में कैद करना उन्हें कहीं अधिक प्रेरित और संतुष्ट करता है.

दीप्ति के व्लॉग्स ने उन्हें वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई है. उनकी सरल भाषा, सहज प्रस्तुति और यात्रा के प्रति गहरा जुनून दर्शकों को उनसे जोड़ता है. वे अक्सर कहती हैं कि कैमरे के सामने आने से बचने वाली वही दीप्ति, अब कैमरे के साथ पूरी दुनिया घूम रही है और यह बदलाव उनके लिए बेहद भावनात्मक और प्रेरक भी रहा है.

दीप्ति भटनागर की कहानी इस बात का प्रमाण है कि करियर का रास्ता कभी सीधा नहीं होता. कई बार व्यक्ति जिस दिशा में चलता है, वहां से लौटकर नई राह ढूँढना ही जीवन का सही निर्णय बन जाता है. उन्होंने फिल्म जगत को छोड़कर यात्रा जगत को अपनाया और इसमें उन्होंने अपनी अलग पहचान स्थापित की.

धर्मेंद्र जैसे दिग्गज कलाकार के परिवार से होने के बावजूद दीप्ति ने अपने निर्णय खुद लिए. उन्होंने यह साबित किया कि किसी भी बड़े नाम से जुड़े रहना ही सफलता नहीं देता, बल्कि अपनी क्षमता को पहचान कर सही दिशा में आगे बढ़ना अधिक महत्वपूर्ण है.

आज वे लाखों दर्शकों को यात्रा के प्रति प्रेरित करती हैं. उनका मानना है कि दुनिया को जानने और समझने का सबसे अच्छा तरीका यात्रा है, और अगर इसका अनुभव ईमानदारी से साझा किया जाए, तो यह दूसरों के लिए भी उपयोगी और प्रेरक बन जाता है.

दीप्ति भटनागर का जीवन सफर उन युवाओं के लिए भी एक संदेश है, जो अपने करियर को लेकर असमंजस में रहते हैं. यह कहानी बताती है कि कभी-कभी सबसे बड़ी सफलता वहीं मिलती है, जहां व्यक्ति खुद को सबसे अधिक सहज और आत्मविश्वासी महसूस करता है. फिल्में भले उनके लिए नहीं थीं, लेकिन दुनिया घूमना और अपनी नजर से उसे साझा करना उनके जीवन का असली उद्देश्य बन गया.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-