कोलकाता. दक्षिण अफ्रीका के कप्तान टेम्बा बावुमा ने कोलकाता टेस्ट में अपनी टीम की जीत के बाद भारतीय परिस्थितियों में खेलने के अनुभव पर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि जब कोई टीम भारत दौरे पर आती है, तो उन्हें ठीक इसी तरह की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों और मुश्किल पिचों की उम्मीद होती है.
क्रिकेट जगत में अब यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि खासकर गेंदबाजों के पक्ष में अत्यधिक झुकी हुई पिचों पर, आक्रामक बल्लेबाजी ही बचाव का सबसे अच्छा तरीका है. लेकिन टेम्बा बावुमा एक पुरानी शैली के बल्लेबाज हैं जो शायद अन्यथा सोचते हैं. उनकी कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका ने दिखाया कि सिर्फ आक्रामकता ही नहीं, बल्कि दृढ़ता और पारंपरिक रक्षात्मक खेल भी सफलता की कुंजी हो सकते हैं, खासकर उपमहाद्वीप की स्पिन-अनुकूल परिस्थितियों में.
कोलकाता टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका की जीत एक ऐसे प्रदर्शन का प्रमाण थी जहां बल्लेबाजों ने 'गेंदबाजी-अनुकूल' मानी जाने वाली पिच पर टिके रहने और धैर्य दिखाने पर अधिक जोर दिया. बावुमा खुद एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो जोखिम लेने के बजाय विकेट पर समय बिताना पसंद करते हैं. उनका मानना है कि भारत में सफल होने के लिए, आपको पिच के स्वभाव को स्वीकार करना होगा और अपने खेल को उसके अनुसार ढालना होगा, न कि उस पर हावी होने की कोशिश करनी होगी.
जीत के बाद, बावुमा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, "जब आप भारत आते हैं, तो आप ऐसी ही चुनौतीपूर्ण पिचों की उम्मीद करते हैं. यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है. हमने जानते थे कि यह आसान नहीं होने वाला है. एक बल्लेबाज के रूप में, आपको यह स्वीकार करना होगा कि गेंद कभी भी टर्न ले सकती है या नीची रह सकती है. हमारी तैयारी इसी मानसिकता के इर्द-गिर्द केंद्रित थी कि हम विकेट पर कैसे टिके रह सकते हैं और अपने रक्षात्मक खेल पर कैसे भरोसा कर सकते हैं."
उन्होंने अपनी टीम के प्रदर्शन की सराहना करते हुए कहा कि उनके खिलाड़ियों ने मुश्किल परिस्थितियों में असाधारण दृढ़ता दिखाई. यह जीत केवल बल्लेबाजों के रक्षात्मक कौशल का ही नहीं, बल्कि गेंदबाजों के सटीक प्रदर्शन का भी परिणाम थी, जिन्होंने भारतीय बल्लेबाजों को लगातार दबाव में रखा.
बावुमा की यह टिप्पणी आधुनिक क्रिकेट की 'सब कुछ तेज गति से' वाली मानसिकता से एक विचलन को दर्शाती है. जहां दुनिया भर की टीमें स्पिनिंग ट्रैक पर भी तेजी से रन बनाने की कोशिश करती हैं, वहीं बावुमा की टीम ने साबित किया कि धैर्य और अपने बुनियादी सिद्धांतों पर टिके रहना—विशेषकर उन पिचों पर जहां गेंद काफी घूम रही होती है—आज भी बेहद प्रभावी रणनीति हो सकती है.
कोलकाता टेस्ट की पिच ने निश्चित रूप से स्पिनरों को काफी मदद की, और बावुमा का दृष्टिकोण इस बात का संकेत है कि उनकी टीम ने भारतीय परिस्थितियों के लिए एक पुरानी लेकिन प्रभावी योजना बनाई थी. उनकी सफलता न केवल दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट के लिए, बल्कि दुनिया भर के उन टेस्ट बल्लेबाजों के लिए भी एक सबक है जो उपमहाद्वीप में संघर्ष करते हैं: कभी-कभी, सबसे अच्छी आक्रामकता केवल आपका सबसे अच्छा बचाव होता है. बावुमा की कप्तानी में यह जीत दक्षिण अफ्रीका को आगामी मैचों के लिए एक बड़ा मनोवैज्ञानिक बढ़ावा देगी.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

