नई दिल्ली. लाल किला क्षेत्र में हुए कार विस्फोट की जांच एक बार फिर तेज हो गई है। इसी क्रम में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी करते हुए फरीदाबाद स्थित अल फलाह यूनिवर्सिटी के ट्रस्टी और प्रमोटरों के खिलाफ कार्रवाई को आगे बढ़ाया। इस सिलसिले में एजेंसी ने अल फलाह समूह के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार कर लिया है। ईडी ने उनकी गिरफ्तारी मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 19 के तहत की है। गिरफ्तारी के बाद उन्हें रिमांड के लिए संबंधित अदालत में पेश किया जा रहा है। यह पूरी कार्रवाई उस समय हुई जब जांच एजेंसी की टीमें एक साथ कई परिसरों पर दस्तक दे रही थीं और विश्वविद्यालय तथा उससे जुड़े संस्थानों के वित्तीय लेनदेन की पड़ताल कर रही थीं।
फरीदाबाद के अल फलाह स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर के बाहर मंगलवार सुबह से ही मीडिया कर्मियों की भारी भीड़ देखने को मिली। परिसर में ईडी टीम के प्रवेश के साथ ही स्थिति तनावपूर्ण हो गई। एजेंसी के अधिकारियों ने यहां मौजूद कर्मचारियों और प्रशासकीय स्टाफ से पूछताछ की और कई दस्तावेज जब्त किए। सूत्रों के मुताबिक, ईडी को संदेह है कि विश्वविद्यालय तथा इससे जुड़े संगठनों के खातों के माध्यम से संदिग्ध लेनदेन हुए हैं, जिनकी कड़ियां लाल किले के पास हुए कार धमाके से जुड़े धन प्रवाह के साथ जुड़ सकती हैं। इसी आधार पर ईडी ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाते हुए यूनिवर्सिटी के ट्रस्ट, उसके प्रमोटरों और वित्तीय प्रबंधन से जुड़े प्रमुख लोगों पर निगरानी तेज की है।
जावेद अहमद सिद्दीकी की गिरफ्तारी को जांच के महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। अधिकारी मानते हैं कि उनसे पूछताछ के दौरान विस्फोट मामले में छिपे वित्तीय पहलुओं पर अहम जानकारी मिल सकती है। पीएमएलए की धारा 19 के तहत एजेंसी तभी गिरफ्तारी करती है जब उसके पास किसी व्यक्ति के मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने के ‘रेज़नेबल ग्राउंड’ यानी ठोस आधार हों। इसलिए यह कदम संकेत देता है कि एजेंसी को अब तक की जांच में कुछ ऐसे तथ्य या दस्तावेज मिले हैं जो वित्तीय अनियमितताओं और संदिग्ध धन के प्रवाह की ओर इशारा करते हैं। हालांकि अभी तक जांच एजेंसी की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक विस्तृत बयान जारी नहीं किया गया है।
अल फलाह यूनिवर्सिटी पिछले कुछ महीनों से लगातार विवादों में रही है। लाल किला क्षेत्र में हुए कार ब्लास्ट के बाद जब दिल्ली पुलिस की विशेष सेल और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने जांच शुरू की, तभी से कुछ संदिग्ध गतिविधियों और वित्तीय लेनदेन को लेकर विश्वविद्यालय का नाम बीच-बीच में सामने आ रहा था। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने अब तक इन आरोपों से इंकार किया है और कहा है कि उनका कोई भी संस्थान किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं है। इसके बावजूद, जांच एजेंसियों ने चुप्पी साधे रखते हुए अपने स्तर पर सभी दस्तावेज, खातों और गतिविधियों पर करीब से निगरानी बनाए रखी।
ईडी की ताजा कार्रवाई को लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन ने फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। परिसर के बाहर मौजूद कुछ कर्मचारियों ने बताया कि उन्हें अचानक छापेमारी की जानकारी मिली और सभी से पहचान पत्र सहित आवश्यक विवरण मांगे गए। कई कर्मचारियों के मोबाइल फोन भी जांच के लिए जब्त किए गए हैं। इस बीच, परिसर के बाहर बड़ी संख्या में छात्रों का जमावड़ा भी देखने को मिला, जो विश्वविद्यालय से जुड़े विवादों और ईडी की कार्रवाई को लेकर चिंतित नज़र आए।
जांच एजेंसी की कार्रवाइयों ने इस मामले को एक बार फिर राष्ट्रीय सुर्खियों में ला दिया है। लाल किले जैसे ऐतिहासिक और अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्र के पास हुए धमाके ने सुरक्षा एजेंसियों को शुरुआत से ही सतर्क कर दिया था। यह मामला न सिर्फ दिल्ली बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े बड़े सवालों को जन्म देता है, इसलिए केंद्र और राज्य स्तर पर कई एजेंसियां मिलकर इसकी तह तक पहुंचने में जुटी हैं। ईडी की जांच मुख्य रूप से यह समझने पर केंद्रित है कि क्या ब्लास्ट की साजिश रचने वालों को किसी प्रकार का वित्तीय सहयोग किसी संगठित नेटवर्क के जरिए मिला था और क्या विश्वविद्यालय या उससे जुड़े व्यक्तियों की भूमिका इस नेटवर्क में शामिल हो सकती है।
प्रवर्तन निदेशालय अब सिद्दीकी से हिरासत में विस्तृत पूछताछ करेगा। एजेंसी यह जानने की कोशिश करेगी कि विश्वविद्यालय के फंड, ट्रस्ट के खाते और व्यक्तिगत लेनदेन के जरिए किन-किन लोगों तक धन पहुंचा और इन लेनदेन का उद्देश्य क्या था। यदि पूछताछ में नए नाम सामने आते हैं तो आने वाले दिनों में और गिरफ्तारियां और व्यापक छापेमार कार्रवाई संभव है। इस बीच, दिल्ली-एनसीआर में विश्वविद्यालय के अन्य परिसरों और उससे जुड़े संगठनों पर भी नजर रखी जा रही है।
यह मामला लगातार गंभीर होता जा रहा है, और इसकी दिशा आने वाले कुछ दिनों में बहुत कुछ तय करेगी। ईडी की कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि जांच एजेंसियां इस केस को सिर्फ धमाके की घटना तक सीमित नहीं मान रही हैं, बल्कि वे इसके संभावित नेटवर्क, फंडिंग और जुड़ी संस्थाओं की गहराई से छानबीन कर रही हैं। सिद्दीकी की गिरफ्तारी इस बात का संकेत है कि जांच अब निर्णायक चरण में प्रवेश कर रही है और किसी भी स्तर की ढिलाई नहीं बरती जाएगी।
यदि कोर्ट ईडी की रिमांड याचिका स्वीकार कर लेती है, तो एजेंसी को पूछताछ में कई महत्वपूर्ण सूत्र मिलने की उम्मीद है, जो न सिर्फ इस केस की गुत्थी सुलझाने में मदद करेंगे, बल्कि नेटवर्क की व्यापकता और उसकी कार्यप्रणाली को भी उजागर कर सकते हैं। फिलहाल सभी की निगाहें अदालत की अगली सुनवाई और ईडी की आगे की कार्रवाई पर टिकी हैं।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

