नई दिल्ली. पूर्व टेनिस स्टार सानिया मिर्ज़ा, जो भारतीय खेल जगत में सितारे की तरह चमकती रहीं, अब अपनी निजी ज़िंदगी के एक ऐसे अध्याय पर खुलकर बोल रही हैं, जिसके बारे में वह लंबे समय से चुप थीं। करण जौहर से बातचीत में उन्होंने पहली बार स्वीकार किया कि तलाक के बाद सीमा-पार स्थितियों के बीच अकेले अपने बेटे इज़हान की परवरिश करना उनकी ज़िंदगी का सबसे ‘डराने वाला’ और चुनौतीपूर्ण सफ़र है। यह बातचीत न केवल उनके निजी संघर्षों को उजागर करती है बल्कि यह भी दिखाती है कि चमकती रोशनी के पीछे कितनी भारी खामोशी छिपी होती है।
साल 2010 में Shoaib Malik से उनकी शादी ने भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में सुर्खियां बनाई थीं। हैदराबाद में हुई पारंपरिक निकाह, दो देशों को जोड़ने वाली इस शादी की कहानी, और फिर 2018 में बेटे इज़हान के जन्म तक यह रिश्ता सार्वजनिक निगाहों में हमेशा मौजूद रहा। लेकिन 2024 में परिवार ने पुष्टि की कि दोनों अलग हो चुके हैं। महीनों पुरानी इस जुदाई ने भले ही धीरे-धीरे सुर्खियाँ छोड़ी हों, लेकिन इसका असर आज भी सोनिया की रोज़मर्रा की ज़िंदगी में साफ झलकता है।
करण जौहर से बात करते हुए सोनिया ने साफ कहा, “सिंगल पेरेंटिंग मेरे लिए बेहद कठिन है। हम काम करते हैं, अलग-अलग चीजों में व्यस्त रहते हैं, और यह सब अकेले संभालना बहुत भारी लगता है।” करण ने उनकी बात सहमति से सुनी और कहा कि उनके अपने अनुभवों की तुलना में सानिया की स्थिति कहीं अधिक जटिल है। उन्होंने स्वीकार किया, “तुम्हारी परिस्थिति सीमा-पार है, इसलिए यह ज्यादा डरावनी और भारी है।”
दरअसल सानिया दुबई में रहती हैं, जहां उनका बेटा स्कूल जाता है। लेकिन पेशेवर कारणों से उन्हें अक्सर भारत आना पड़ता है। यह आवागमन उनके लिए भावनात्मक रूप से सबसे बड़ी परीक्षा बन चुका है। वह बताती हैं, “मुझे अपने बेटे को छोड़कर भारत आना बहुत चुनौतीपूर्ण लगता है। एक हफ्ते का गैप भी मेरे लिए सबसे कठिन होता है। बाकी सब चीज़ें मैं संभाल लेती हूँ, लेकिन उससे दूर रहना मुझे तोड़ देता है।”
उनके लिए यह संघर्ष केवल दिन के काम तक सीमित नहीं है—रातें सबसे भारी हो जाती हैं। बातचीत में उन्होंने यह भी कबूल किया कि कई बार उन्होंने सिर्फ इसलिए रात का खाना छोड़ दिया क्योंकि वे अकेले खाना नहीं चाहती थीं। “कितनी बार मैंने डिनर स्किप किया है क्योंकि मुझे अकेले बैठकर खाना अच्छा नहीं लगता। शायद इसी वजह से मेरा वजन भी कम हुआ। मैं खाना खाने की बजाय कुछ देखना और सो जाना ज्यादा पसंद करती हूँ,” उन्होंने कहा। इनके शब्दों में झलकने वाली यह खामोशी, उस अकेलेपन की ओर इशारा करती है जिसके बारे में बहुत कम लोग सोचते हैं।
करण जौहर ने इस दौरान यह भी कहा कि सिंगल पेरेंटिंग का एक ‘लिबरेटिंग’ (मुक्ति देने वाला) पक्ष भी है, जहां आपको हर बात पर किसी और से सहमति की आवश्यकता नहीं रहती। लेकिन जान पड़ता है कि सानिया के लिए यह स्वतंत्रता राहत से ज़्यादा ज़िम्मेदारी का बोझ बन चुकी है। जब यात्रा लगातार हो, काम का दबाव बना रहे और बच्चा दूसरी जगह, दूसरे देश में हो—तो स्वतंत्रता का वह एहसास भी कई बार फीका पड़ जाता है।
सानिया मिर्ज़ा की कहानी सिर्फ खेल उपलब्धियों की नहीं है, बल्कि धैर्य, जिम्मेदारी और भावनात्मक संघर्षों की भी है। वह छह ग्रैंड स्लैम खिताब जीत चुकी हैं, महिला डबल्स और मिक्स्ड डबल्स में विश्व नंबर वन का मुकाम हासिल कर चुकी हैं, और एक दशक तक भारत की सर्वश्रेष्ठ सिंगल्स खिलाड़ी रहीं। लेकिन इन चमकदार रेकॉर्ड्स से परे आज वह एक ऐसी माँ हैं जो दुनिया की सबसे बड़ी जंग—अपने बच्चे के लिए हर दिन लड़ी जा रही है।
इज़हान की परवरिश, भारत-दुबई के बीच सफ़र, काम के दबाव और व्यक्तिगत जीवन के इस खुले घाव के बीच सानिया ने भले ही सार्वजनिक रूप से मुस्कान बनाए रखी हो, पर उनके शब्द बताते हैं कि हर सफलता, हर मुस्कान के पीछे एक थकान, एक खामोशी और एक अदृश्य जंग भी चल रही होती है। सिंगल पेरेंटिंग की दुनिया में वह भी कई औरों की तरह अकेलापन महसूस करती हैं, लेकिन हार नहीं मानतीं—और यही उन्हें उस खिलाड़ी की तरह मजबूत बनाए रखता है जिसने अपने करियर में दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों से टक्कर ली।
उनकी यह स्वीकारोक्ति यह भी दर्शाती है कि प्रसिद्धि, सफलता और ग्लैमर के पीछे इंसान अक्सर उतना ही संवेदनशील होता है जितना कोई भी आम व्यक्ति।सानिया का यह इंटरव्यू उन हज़ारों सिंगल माता-पिताओं की कहानी को भी आवाज देता है जो अपने बच्चों के लिए प्रतिदिन संघर्ष करते हैं, लेकिन शायद ही कभी अपने दर्द को शब्दों में बयान कर पाते हैं।
आज सोनिया भले ही कोर्ट पर रैकेट नहीं घुमातीं, लेकिन ज़िंदगी की इस चुनौतीपूर्ण पारी में वह पहले की तरह ही मजबूती से खड़ी हैं। उनका संघर्ष, उनका प्यार, और अपने बेटे के लिए उनका समर्पण यह बताता है कि जीवन की असली जीत मेडल या ट्रॉफी नहीं, बल्कि वे रिश्ते और जिम्मेदारियां हैं जिन्हें हम अपनी पूरी निष्ठा और दिल से निभाते हैं।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

