जबलपुर. मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने संगठन को जमीनी स्तर पर और अधिक मजबूत तथा प्रभावी बनाने के उद्देश्य से आज एक बड़ा संगठनात्मक फेरबदल किया है. इस व्यापक पुनर्गठन के तहत, प्रदेश भाजपा ने अपने संगठनात्मक संभागों की संख्या को मौजूदा दस से बढ़ाकर तेरह कर दिया है. इस निर्णय को आगामी चुनावों के मद्देनजर क्षेत्रीय समीकरणों को साधने और हर संभाग में पार्टी की पहुँच को गहरा करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है. इस पुनर्गठन का सीधा असर महाकौशल क्षेत्र पर पड़ा है, जहाँ पुराने जबलपुर संभाग को विभाजित करके एक नया संगठनात्मक संभाग छिंदवाड़ा बनाया गया है.
संगठनात्मक बदलाव के केंद्र में उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देना है जहाँ पार्टी को अधिक मेहनत की आवश्यकता है या जहाँ का भूगोल और राजनीति संगठन को अधिक एकाग्रता से काम करने की मांग करती है. इस फेरबदल में तीन प्रमुख संभागों, जबलपुर, उज्जैन और इंदौर, का विभाजन किया गया है. महाकौशल क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जबलपुर संभाग को विभाजित कर अब एक अलग छिंदवाड़ा संभाग बना दिया गया है. इसी तरह, उज्जैन संभाग को विभाजित करके मंदसौर संभाग और इंदौर संभाग को विभाजित करके निमाड़ संभाग का गठन किया गया है. पार्टी का मानना है कि संभागों की संख्या बढऩे से प्रत्येक संभाग के प्रभारी और पदाधिकारियों के लिए अपने क्षेत्र पर अधिक ध्यान केंद्रित करना संभव होगा, जिससे संगठन की कार्यप्रणाली में तेज़ी आएगी और निर्णय प्रक्रिया विकेंद्रीकृत होगी.
नए संगठनात्मक ढांचे के तहत, चार प्रदेश महासचिवों को एक-एक संगठनात्मक संभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है. सागर से सांसद लता वानखेड़े, जिन्हें हाल ही में प्रदेश महासचिव नियुक्त किया गया था, को उज्जैन संभाग का प्रभारी बनाया गया है. राज्यसभा सांसद और प्रदेश महासचिव सुमेर सिंह सोलंकी को नवगठित छिंदवाड़ा संभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है. यह नियुक्ति विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि छिंदवाड़ा क्षेत्र में कांग्रेस का लंबे समय से प्रभाव रहा है और यहाँ संगठनात्मक मजबूती पार्टी की प्राथमिकताओं में से एक है. वहीं, प्रदेश महासचिव राहुल कोठारी को जबलपुर संभाग का प्रभारी बनाया गया है, जबकि गौरव रणदिवे को सागर संभाग की जिम्मेदारी मिली है. दो नए चेहरे—तेज बहादुर सिंह को भोपाल संभाग और सुरेश आर्य को मंदसौर संभाग का संगठनात्मक प्रभारी बनाया गया है.
पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्षों को भी महत्वपूर्ण संगठनात्मक संभागों का प्रभार दिया गया है. निशांत खरे को ग्वालियर संभाग, कांतदेव सिंह को नर्मदापुरम संभाग, और रणवीर सिंह रावत को इंदौर संभाग का प्रभार मिला है. निमाड़ संभाग, जिसका गठन इंदौर संभाग को विभाजित करके किया गया है, की कमान प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा को सौंपी गई है. यह फेरबदल केवल संभागों के विभाजन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र के आधार पर शक्ति संतुलन और जातिगत तथा क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को भी सुनिश्चित करने का प्रयास है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह पुनर्गठन राज्य में अगले विधानसभा चुनावों या स्थानीय निकाय चुनावों की पृष्ठभूमि में किया गया है. छिंदवाड़ा जैसे नए संभाग का गठन पार्टी की उस इच्छा को दर्शाता है जहाँ वह उन क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है जो पारंपरिक रूप से विरोधी दलों के गढ़ रहे हैं. छोटे संभाग बनने से संगठन की मॉनिटरिंग आसान हो जाएगी और प्रभारी अधिकारी सीधे तौर पर कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय स्थापित कर सकेंगे. इसके अलावा, भौगोलिक रूप से बड़े संभागों को संभालने में आने वाली प्रशासनिक चुनौतियों को भी यह बदलाव दूर करेगा. भाजपा का यह कदम स्पष्ट रूप से यह संकेत देता है कि वह अब माइक्रो-मैनेजमेंट (सूक्ष्म प्रबंधन) की रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसके तहत हर छोटे क्षेत्र की संगठनात्मक आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके और प्रभावी ढंग से बूथ स्तर तक पहुँच बनाई जा सके. पार्टी नेतृत्व को उम्मीद है कि यह ढांचागत परिवर्तन न केवल संगठनात्मक दक्षता बढ़ाएगा, बल्कि आगामी राजनीतिक चुनौतियों का सामना करने के लिए भाजपा को एक मजबूत और एकजुट इकाई के रूप में तैयार करेगा.
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