जबलपुर में आधुनिक फायर स्टेशन की तैयारी तेज, 400 करोड़ की राज्य योजना से बढ़ेगी आपदा प्रतिक्रिया क्षमता

जबलपुर में आधुनिक फायर स्टेशन की तैयारी तेज, 400 करोड़ की राज्य योजना से बढ़ेगी आपदा प्रतिक्रिया क्षमता

प्रेषित समय :20:28:59 PM / Sat, Nov 22nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अग्निशमन सेवाओं को आधुनिक और सक्षम बनाने के लिए 400 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा के बाद जबलपुर शहर एक बार फिर विकास की मुख्यधारा में आता दिख रहा है। राज्य सरकार 36 नए और अत्याधुनिक फायर स्टेशनों का निर्माण करेगी, जिनमें से एक प्रमुख स्टेशन जबलपुर नगर निगम में स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। सरकारी फैसले के बाद शहर में आगजनी से निपटने की समयबद्ध क्षमता, आपदा प्रबंधन का ढांचा और शहरी सुरक्षा व्यवस्था नए चरण में प्रवेश करने वाली है। लंबे समय से व्यापक जनसंख्या और लगातार बढ़ते औद्योगिक, आवासीय और व्यावसायिक विकास के बीच जबलपुर को एक उन्नत फायर कंट्रोल नेटवर्क की जरूरत महसूस की जा रही थी, जिसे अब पूरा किए जाने का मार्ग स्पष्ट दिख रहा है।

वर्तमान में जबलपुर एक बड़े भौगोलिक विस्तार वाला शहर है, जहाँ पुरानी संकरी बस्तियों से लेकर उभरते उपनगरीय क्षेत्रों तक आग लगने की घटनाएं अक्सर सामने आती रहती हैं। कई मामलों में फायर ब्रिगेड के पास समय पर पहुंचना चुनौती बन जाता है, क्योंकि पुराने फायर स्टेशनों की स्थिति शहर की मौजूदा जरूरतों के अनुरूप नहीं है। विशेष रूप से ग्वारीघाट, अधारताल, पनागर रोड, रांझी, विजय नगर, शिवनगर, हनुमानताल और पुराने शहर के घने क्षेत्रों में आगजनी की घटनाएं हाल के वर्षों में बढ़ने लगी हैं। ऐसी स्थिति में एक आधुनिक फायर स्टेशन का निर्माण न केवल शहर की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, बल्कि यह प्रशासनिक तत्परता और संसाधनों की उपलब्धता को भी नई दिशा देगा।

सरकार की योजना के अनुसार ये नए फायर स्टेशन नवीनतम तकनीक से लैस होंगे जिनमें हाई-प्रेशर पंप, मल्टी-परपज़ फायर टेंडर, ड्रोन मॉनिटरिंग सिस्टम, उन्नत रेस्क्यू उपकरण, स्मोक-थर्मल सेंसर, रैपिड रेस्पॉन्स बाइक यूनिट और आपातकालीन संचार नियंत्रण कक्ष शामिल हो सकते हैं। इन सभी सुविधाओं से आग की घटनाओं पर प्रतिक्रिया समय को कम करने, घनी आबादी वाले क्षेत्रों में तेजी से पहुंचने और बड़े हादसों को नियंत्रित करने में काफी मदद मिलेगी। यह भी माना जा रहा है कि इन स्टेशनों के बन जाने से फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेस में जनशक्ति का विस्तार, प्रशिक्षण कार्यक्रमों में बढ़ोतरी और आधुनिक आपदा प्रबंधन प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित किया जा सकेगा।

जबलपुर के लिए यह परियोजना विशेष महत्व इसलिए भी रखती है क्योंकि शहर सैन्य और औद्योगिक दृष्टि से महत्वपूर्ण केंद्र है। रक्षा अनुसंधान और निर्माण प्रतिष्ठान, आयुध फैक्ट्रियां, रेलवे वर्कशॉप, बड़े गोदाम, पेट्रोल-डीजल भंडारण डिपो और बढ़ते व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स आग के जोखिम को कई गुना बढ़ाते हैं। नागरिक क्षेत्रों में लगी आग पर काबू पाना जितना जरूरी है, उतना ही महत्वपूर्ण है इन संवेदनशील संस्थानों के आसपास सुरक्षा घेरा मजबूत करना। वर्तमान में शहर में उपलब्ध फायर टेंडर और उपकरणों की संख्या कई बार अपर्याप्त साबित होती है, विशेष रूप से तब जब एक ही समय पर अलग-अलग स्थानों पर आपात स्थिति उत्पन्न हो जाए। ऐसे में नई इकाइयों का निर्माण आपदा प्रबंधन क्षमता को व्यापक रूप से बढ़ाएगा।

नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि नए फायर स्टेशन के लिए जमीन का चयन, पहुंच मार्ग, पानी के स्रोत और आसपास की आबादी की संरचना जैसे पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि स्थितियां ऐसी हों कि आपातकाल में वाहन न्यूनतम समय में शहर के किसी भी हिस्से में पहुंच सकें। इसके लिए शहर का एक त्वरित जोखिम विश्लेषण भी तैयार किया जा रहा है, जिसमें आग लगने की संभावना वाले प्रमुख क्षेत्रों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा। इससे फायर स्टेशन के लोकेशन को वैज्ञानिक आधार मिलेगा और फील्ड यूनिट्स की तैनाती अधिक प्रभावी होगी।

जबलपुर में बढ़ते कॉम्प्लेक्स, मल्टीस्टोरी इमारतें और नई हाउसिंग कॉलोनियों ने भी आगजनी नियंत्रण तंत्र पर दबाव बढ़ाया है। कई हाई-राइज इमारतों में फायर-सेफ्टी मानकों को लेकर शिकायतें सामने आती रही हैं। फायर एनओसी की प्रक्रिया, भवनों में लगाए जाने वाले सुरक्षा उपकरण, अलार्म सिस्टम और आपातकालीन निकास मार्ग जैसी सामान्य सुविधाओं में खामियां कई बार छोटी घटनाओं को बड़े हादसों में बदल देती हैं। शहर में हाल के वर्षों में हुए कुछ हादसों ने फायर सेवाओं की कमी को उजागर भी किया है। यही वजह है कि नई योजना को व्यापक राहत के रूप में देखा जा रहा है।

स्थानीय नागरिक संगठनों और व्यापारिक संघों ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है। शहर के व्यापारी समुदाय ने कहा है कि फायर स्टेशन का विस्तार न केवल सुरक्षा बढ़ाएगा बल्कि इंश्योरेंस जोखिम कम होने से व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर आर्थिक दबाव भी घटेगा। वहीं, रिहायशी इलाकों में रहने वाले लोगों का कहना है कि शहर में तेजी से बढ़ते निर्माण और यातायात के दबाव को देखते हुए नए फायर स्टेशन समय की जरूरत हैं। सोशल मीडिया पर भी इस निर्णय को लेकर सकारात्मक टिप्पणियां सामने आई हैं, जिनमें लोग इसे “जबलपुर की सुरक्षा में बड़ी छलांग” बता रहे हैं।

फायर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नए स्टेशन के निर्माण के साथ-साथ स्टाफ की ट्रेनिंग, तकनीकी ज्ञान का विस्तार और आपातकालीन संचार प्रणाली को अपग्रेड करना भी योजना का हिस्सा है। आधुनिक उपकरण तभी कारगर साबित होंगे जब उन्हें संभालने वाला स्टाफ प्रशिक्षित और तकनीक-सक्षम होगा। इसके लिए राज्य सरकार प्रशिक्षण केंद्रों के विकास और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में विशेष कोर्स शुरू करने की दिशा में भी चर्चा कर रही है। यह माना जा रहा है कि आने वाले समय में फायर सेवाओं में तकनीक आधारित समाधान, जैसे एआई आधारित जोखिम विश्लेषण और जीआईएस मैपिंग, भी शामिल किए जा सकते हैं।

जबलपुर नगर निगम का अनुमान है कि नया फायर स्टेशन शहर के लगभग 40 से 50 प्रतिशत क्षेत्र में प्रतिक्रिया समय को उल्लेखनीय रूप से कम कर देगा। आपात स्थितियों में शुरुआती पांच मिनट को “गोल्डन टाइम” माना जाता है, और यदि दमकल दल इस अवधि में स्थल तक पहुंच जाए तो नुकसान को 60 से 70 प्रतिशत तक रोका जा सकता है। नए स्टेशन के बनने के बाद इस ‘गोल्डन टाइम रिस्पॉन्स’ को प्राप्त करना पहले की तुलना में अधिक संभव होगा। इसके अलावा शहर के बाहरी इलाकों, जैसे रांझी-बरेला क्षेत्र और पनागर रोड, तक पहुंच आसान होने से वहां पर भी सुरक्षा मजबूत होगी।

भविष्य में जबलपुर को एक “स्मार्ट फायर सेफ्टी नेटवर्क” से जोड़ने की दिशा में भी चर्चाएं चल रही हैं, जिसमें सीसीटीवी, हाइड्रेंट लाइनें, वायरलेस अलर्ट सिस्टम और नागरिकों के लिए इमरजेंसी ऐप जैसी सुविधाएं शामिल हो सकती हैं। नए फायर स्टेशन इस नेटवर्क की आधारशिला बनेंगे। शहर की स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के साथ तालमेल बैठाकर इन्हें इंटीग्रेट करने की योजना पर भी विचार किया जा सकता है।

कुल मिलाकर, 400 करोड़ की इस राज्य स्तरीय योजना ने जबलपुर को एक ऐसे मोड़ पर ला खड़ा किया है, जहाँ सुरक्षा, संरचना और आपदा प्रतिक्रिया तंत्र को लंबे समय बाद महत्वपूर्ण मजबूती मिलने जा रही है। आने वाले महीनों में परियोजना की गति और निर्माण की शुरुआत यह तय करेगी कि शहर कितना जल्दी एक आधुनिक और सुरक्षित फायर इंफ्रास्ट्रक्चर का लाभ उठा सकेगा। फिलहाल इतना स्पष्ट है कि यह कदम शहर के नागरिकों के लिए राहत और भरोसे की नई उम्मीद लेकर आया है।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-