फिल्म और ओटीटी की दुनिया में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करा चुकीं अभिनेत्री हुमा कुरैशी ने एक बार फिर सामाजिक मुद्दों पर मुखर होते हुए महिलाओं की सुरक्षा, ऑनलाइन उत्पीड़न और हमारे समाज में मौजूद पूर्वाग्रहों को लेकर तीखा और स्पष्ट संदेश दिया है। ‘द मेल फेमिनिस्ट’ के लिए दिए गए हालिया साक्षात्कार में हुमा ने न केवल अपने करियर, बॉलीवुड में मौजूद सौंदर्य मानकों और स्त्रीवाद पर खुलकर बात की, बल्कि ऑनलाइन और ऑफलाइन हैरेसमेंट के बीच किसी भी तरह के फर्क को नकारते हुए कहा कि दोनों के लिए सज़ा एक जैसी होनी चाहिए। उनका कहना था कि चाहे कोई महिला को सड़क पर प्रताड़ित करे या सोशल मीडिया पर गंदे कमेंट लिखे—यह व्यवहार एक समान अपराध है और इसे एक समान दंड मिलना चाहिए।
हुमा कुरैशी अपनी हालिया दो ओटीटी रिलीज़—‘दिल्ली क्राइम’ सीज़न 3 और ‘महारानी’ सीज़न 4—के लिए खूब चर्चा में हैं। उनकी परफॉर्मेंस की प्रशंसा हो रही है और दर्शक उन्हें एक मजबूत, संवेदनशील और बारीकियों को पकड़ने वाली कलाकार के रूप में सेलिब्रेट कर रहे हैं। लेकिन एक्टिंग के अलावा हुमा उन कलाकारों में गिनी जाती हैं जो सामाजिक मुद्दों पर चुप नहीं रहतीं। यही वजह है कि उनके विचार लगातार चर्चा में रहते हैं। साक्षात्कार में हुमा ने बताया कि ऑनलाइन स्पेस में महिलाओं के साथ होने वाले व्यवहार ने उन्हें गहराई से परेशान किया है। उन्होंने खुलकर कहा कि पुरुषों द्वारा महिलाओं के शरीर, कपड़ों, जीवनशैली या वजन पर किए जाने वाले कमेंट न केवल गैरज़रूरी हैं बल्कि बेहद असभ्य और अपमानजनक भी हैं।
हुमा ने साफ शब्दों में कहा, “लोग कमेंट करते हैं कि ‘बिकिनी में फोटो डालो’, और मैं सोचती हूँ कि आखिर यह लोग कर क्या रहे हैं? यह सब बेहद घिनौना है। मेरे हिसाब से जिस तरह सड़क पर लड़की को छेड़ने की सज़ा मिलती है, ऑनलाइन बदतमीज़ी की भी वही सज़ा होनी चाहिए। इसमें कोई फर्क नहीं है।” उनका यह कथन उन लाखों लड़कियों और महिलाओं की आवाज़ से मेल खाता है जिनके लिए सोशल मीडिया प्रताड़ना का सबसे आसान प्लेटफॉर्म बन चुका है। हुमा ने कहा कि डीएम में गंदे संदेश भेजना, फोटो मांगना, अपमानजनक कमेंट करना—ये सब किसी भी अन्य अपराध की तरह हैं और इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
उन्होंने पुरुषों से अपील करते हुए कहा कि महिलाओं की जीवनशैली पर अनावश्यक और अनचाही टिप्पणियां देना तत्काल बंद होना चाहिए। “कपड़े कैसे पहनती हैं, मेकअप कैसा करती हैं, किस समय घर लौटती हैं, किस तरह का काम करती हैं, उनका वजन कितना है—इन सब पर टिप्पणी करना बंद कीजिए,” उन्होंने जोर देकर कहा। उनका कहना था कि महिलाओं का निजी जीवन किसी की टिप्पणी या जजमेंट का विषय नहीं होना चाहिए और सोशल मीडिया ने जिस तरह यह ‘टिप्पणी संस्कृति’ को हवा दी है, वह बेहद हानिकारक है।
हुमा कुरैशी की इस टिप्पणी का एक बड़ा सामाजिक संदर्भ भी है। पिछले कुछ वर्षों में देश में साइबर बुलिंग, ऑनलाइन स्टॉकिंग और हैरेसमेंट के मामले बढ़े हैं। कई युवा महिलाएं बताती रही हैं कि कैसे गुमनाम आईडी से उन्हें लगातार परेशान किया जाता है और सामाजिक शर्म या परिवार के डर से वे शिकायत भी नहीं कर पातीं। ऐसे में एक लोकप्रिय और प्रभावशाली अभिनेत्री द्वारा इस मुद्दे को सामने लाना महत्वपूर्ण है। हुमा का कहना है कि कानून को इन दोनों अपराधों—ऑनलाइन और ऑफलाइन—को एक ही श्रेणी में रखना चाहिए ताकि सख्त कार्रवाई की जा सके और अपराधियों को यह एहसास हो कि सोशल मीडिया कोई ‘सेफ ज़ोन’ नहीं है जहां वे बिना डर के कुछ भी कर सकें।
उनका संदेश इसलिए भी प्रभावी है क्योंकि उन्हें खुद भी ऑनलाइन निगेटिविटी का सामना करना पड़ा है। एक पब्लिक फिगर होने के नाते, उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर लाखों लोग जुड़े हैं और ऐसे में अनुचित कमेंट्स की संख्या भी कम नहीं होती। “जो सज़ा सड़क पर बदतमीज़ी के लिए मिलती है, वही आपको ऑनलाइन भी मिलनी चाहिए,” हुमा का यह दोहराव इस बात को उजागर करता है कि महिलाओं की सुरक्षा अब सिर्फ सार्वजनिक स्थानों का मसला नहीं रह गई है, बल्कि डिजिटल स्पेस भी उतना ही महत्वपूर्ण हो गया है।
हुमा ने बातचीत में स्वीकार किया कि समाज में मौजूद सौंदर्य मानकों का दबाव भी महिलाओं पर अनावश्यक बोझ डालता है। उन्होंने कहा कि लोग अक्सर महिलाओं के शरीर और वजन पर ऐसी टिप्पणियां कर देते हैं जिनका कोई मतलब नहीं होता, और जो किसी के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकती हैं। उनके मुताबिक, समाज को यह समझना चाहिए कि हर किसी को अपनी तरह से जीने की स्वतंत्रता है और किसी को यह अधिकार नहीं कि वह किसी की निजी पसंद पर टिप्पणी करे।
काम के मोर्चे पर भी हुमा का सफर दिलचस्प रहा है। 2012 में ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर 2’ से पहचान बनाने वाली हुमा आज ओटीटी और फिल्मों दोनों की मजबूत कलाकार हैं। ‘महारानी 4’, ‘दिल्ली क्राइम 3’, ‘जॉली एलएलबी 3’ और अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित ‘बयान’ में उनके काम ने उन्हें और भी मजबूती दी है। खासकर ‘दिल्ली क्राइम 3’ में उनका एंटी-हीरो स्पेस में नजर आना उनके करियर की विविधता को दर्शाता है।
उनकी बातों से यह साफ है कि वह सिर्फ मनोरंजन उद्योग की प्रतिनिधि नहीं हैं, बल्कि उन महिलाओं की आवाज़ भी हैं जिन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में अनगिनत पूर्वाग्रहों का सामना करना पड़ता है। ऑनलाइन हो या ऑफलाइन—महिलाओं की सुरक्षा पर उनकी यह स्पष्ट राय समाज को सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम महिलाओं के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल बना पाए हैं? क्या हम अपने आसपास फैली टिप्पणी संस्कृति को रोक पा रहे हैं? और सबसे अहम—क्या हमारे कानून डिजिटल दुनिया की चुनौतियों का सामना करने के लिए पर्याप्त मजबूत हैं?
हुमा कुरैशी का यह सन्देश न सिर्फ सोशल मीडिया पर सक्रिय लोगों के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी की तरह है कि महिलाओं के प्रति असभ्य, अनचाही और अपमानजनक टिप्पणियां अब ‘मजाक’ या ‘मनोरंजन’ नहीं मानी जाएंगी, बल्कि इसे अपराध की तरह देखा जाएगा। उनकी यह स्पष्ट मांग एक बड़े बदलाव की दिशा में पहला कदम हो सकती है, जिसकी जरूरत आज के समय में पहले से कहीं ज्यादा महसूस की जा रही है।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

