मुंबई. अभिनेत्री और पूर्व मिस इंडिया सेलिना जेटली ने अपने पति, ऑस्ट्रियाई व्यवसायी पीटर हाग के खिलाफ गंभीर घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए की अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत का दरवाज़ा खटखटाया है। अदालत ने मंगलवार को हाग को नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर तय की है। यह मामला केवल एक सेलिब्रिटी विवाद नहीं बल्कि विदेश में रह रही एक भारतीय महिला की सुरक्षा, बच्चों से अलगाव और हिंसा के आरोपों के चलते एक संवेदनशील कानूनी लड़ाई में बदल गया है।
सेलिना जेटली, जिन्होंने ‘नो एंट्री’, ‘गोलमाल रिटर्न्स’ जैसी हिंदी फिल्मों में अभिनय किया है, ने अदालत में दायर अर्जी में दावा किया है कि उन्हें लंबे समय से मानसिक, शारीरिक, मौखिक और आर्थिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि स्थिति इतनी बदतर हो गई कि उन्हें ऑस्ट्रिया स्थित अपने घर से आधी रात को भागकर भारत लौटना पड़ा। अर्ज़ी के अनुसार, 11 अक्टूबर को वे बिना किसी सामान के, केवल अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारत आईं, जबकि उनके तीनों बच्चे वहीं रह गए।
सेलिना ने अदालत को बताया है कि पीटर हाग ने न सिर्फ उनके साथ दुर्व्यवहार किया, बल्कि उनके बच्चों से मिलने और बात करने तक पर रोक लगाई। उन्होंने दावा किया कि हाग ने उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से तोड़ने की कोशिश की, उनके वित्तीय संसाधनों को नियंत्रित किया और बार-बार गाली-गलौज व अपमानजनक व्यवहार किया। सेलिना के मुताबिक, स्थिति इतनी भयावह थी कि उन्हें लगातार अपनी और अपने बच्चों की सुरक्षा की चिंता सताती रही।
अदालत में दायर याचिका में सेलिना ने कहा है कि विवाह के शुरुआती वर्षों में सब कुछ सामान्य था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में हाग के व्यवहार में नाटकीय बदलाव आया। उन्होंने कहा कि हाग अक्सर बिना वजह क्रोधित हो जाते, उन्हें धमकाते और कई बार बच्चों के सामने भी अपमानित करते। सेलिना ने आरोप लगाया कि हाग का रवैया इतना हिंसक हो गया था कि उनके लिए और उनके बच्चों के लिए घर में रहना असुरक्षित हो गया था।
कानूनी दस्तावेजों के अनुसार, सेलिना का कहना है कि हाग ने उनके काम, उनकी कमाई और उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर भी नियंत्रण की कोशिश की। वह न तो स्वतंत्र रूप से काम कर सकती थीं, न ही अपनी मर्जी से किसी से मिल-जुल सकती थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह नियंत्रण और हिंसक व्यवहार धीरे-धीरे एक "घुटन भरे वातावरण" में बदल गया, जहां उनका मानसिक संतुलन तक प्रभावित होने लगा।
भारत लौटने के बाद सेलिना ने यह मामला अदालत में लाने का फैसला किया ताकि वह कानूनी तौर पर अपनी बात रख सकें और अपने बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित कर सकें। उनके अनुसार, बच्चों से दूर रहना उनके जीवन के सबसे कठिन अनुभवों में से एक है, लेकिन ऑस्ट्रिया में रहना उनके लिए जानलेवा खतरा बन सकता था।
अंधेरी मजिस्ट्रेट अदालत ने महिला सुरक्षा कानूनों के दायरे में इस मामले को गंभीर मानते हुए पीटर हाग को नोटिस जारी किया है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि वह तय तारीख पर अदालत में अपना पक्ष रखें। भारत में ‘घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम, 2005’ उन महिलाओं को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है जो दांपत्य संबंधों में उत्पीड़न का शिकार होती हैं। इस कानून के तहत सेलिना ने राहत, संरक्षण, शारीरिक सुरक्षा, निवास अधिकार और बच्चों तक पहुँच जैसी मांगें की हैं।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला जटिल है, क्योंकि इसमें दो देशों के कानून, बच्चे, कस्टडी, और घरेलू हिंसा के गंभीर आरोप शामिल हैं। ऐसे मामलों में अक्सर लंबी कानूनी प्रक्रिया होती है, और न्यायालय दोनों पक्षों के दावों और दस्तावेज़ों को विस्तार से परखता है।
सोशल मीडिया पर यह मामला तेजी से सुर्खियों में आ गया है। कई लोगों ने सेलिना के साहस की सराहना की है, जिन्होंने एक कठिन स्थिति में आवाज़ उठाई। वहीं कुछ लोगों ने चिंता व्यक्त की है कि सेलिना के बच्चे इस पूरे मामले का सबसे संवेदनशील हिस्सा हैं और उनकी सुरक्षा व मनोवैज्ञानिक स्थिति को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
सेलिना ने अपने इंस्टाग्राम और सार्वजनिक बयानों में संकेत दिया है कि वह वर्षों से चुप थीं और उन्होंने अपने परिवार की सुरक्षा और बच्चों की भलाई को ध्यान में रखते हुए संघर्ष किया। लेकिन अब हालात ऐसे हो गए कि उनके पास कानूनी कदम उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।
पीटर हाग की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यह देखना होगा कि अदालत में वह इन आरोपों का क्या जवाब देते हैं और दोनों पक्ष आगे किस तरह की कानूनी रणनीति अपनाते हैं।
कानूनी प्रक्रिया के अगले चरण में यह तय होगा कि क्या अदालत कोई अंतरिम आदेश जारी करेगी—जैसे संरक्षण आदेश, संपर्क आदेश, या बच्चों से बातचीत की अनुमति। इसके साथ ही अदालत यह भी तय करेगी कि बच्चों की कस्टडी से जुड़े मुद्दों पर किस अदालत का अधिकार क्षेत्र होगा—भारत का या ऑस्ट्रिया का।
यह मामला केवल एक घरेलू विवाद नहीं, बल्कि घरेलू हिंसा, महिला सुरक्षा, अंतरराष्ट्रीय विवाह, बच्चों की कस्टडी और मानसिक प्रताड़ना जैसे बड़े सवालों को सामने लेकर आया है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या दिशा देती है और क्या दोनों पक्ष किसी समझौते की ओर बढ़ते हैं या मामला लंबे कानूनी संघर्ष में बदलता है।
फिलहाल, सेलिना जेटली ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी सुरक्षा और अपने बच्चों की भलाई को सबसे ऊपर रखती हैं और इसके लिए हर कानूनी कदम उठाने को तैयार हैं।
50 करोड़ रुपये का दावा, 10 लाख महीना गुजारा भत्ता
सेलीना जेटली ने अपनी याचिका में पति पर उनके करियर को बर्बाद करने, काम करने से रोकने और उनकी आय छीन लेने का आरोप लगाते हुए 50 करोड़ रुपये का मुआवज़ा मांगा है। उन्होंने कोर्ट से 10 लाख रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता देने की मांग भी की है।
उनका आरोप है कि पति ने शादी और बच्चों के जन्म के बाद उन्हें लगातार काम करने से रोका और “सिर्फ उनकी अनुमति से छोटे-मोटे प्रोजेक्ट” करने की इजाज़त दी। इससे न केवल वह आर्थिक रूप से निर्भर हो गईं, बल्कि अपमान और दुव्र्यवहार का भी सामना करना पड़ा।
पीटर हेग एक ऑस्ट्रियाई उद्यमी और होटल कारोबारी हैं, जिन्होंने अगस्त 2025 में ऑस्ट्रिया में तलाक की अर्जी भी दायर कर दी थी।
तीन बच्चे, दो बार जुड़वा और एक की दर्दनाक मौत
सेलीना और पीटर ने 2010 में शादी की थी।
2012 में उनके पहले जुड़व बेटे विंस्टन और विराज पैदा हुए।
2017 में एक बार फिर जुड़वाँ बच्चे हुए, लेकिन उनमें से एक का जन्म के तुरंत बाद हाइपोप्लास्टिक हार्ट कंडीशन की वजह से निधन हो गया।
वर्तमान में तीनों बच्चे पीटर हेग के साथ ऑस्ट्रिया में हैं। सेलीना ने याचिका में बच्चों की कस्टडी भी मांगी है और कोर्ट से अनुरोध किया है कि पीटर को उनके मुंबई स्थित घर में प्रवेश से रोका जाए।
यौन, शारीरिक और मानसिक हिंसा के आरोप
सेलीना जेटली ने कई चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं—
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पति द्वारा नार्सिसिस्टिक व्यवहार,
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शारीरिक हिंसा,
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यौन उत्पीड़न,
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मानसिक प्रताड़ना,
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और वित्तीय नियंत्रण।
सेलीना ने दावा किया कि पति का व्यवहार ऐसा था कि “वह दूसरों की भावनाओं की परवाह नहीं करता और खुद को श्रेष्ठ समझता है।”
याचिका में आरोप है कि लगातार दुर्व्यवहार के कारण उन्हें “जीवन को खतरा महसूस होने लगा” और इसी वजह से उन्होंने घर छोड़ने का फैसला किया।
सोशल मीडिया पर चर्चा—पुराना मामला, नई बहस
इस मामले की पहली खबर कुछ दिन पहले सामने आई थी, लेकिन मंगलवार को यह मुद्दा इसलिए ज़्यादा वायरल हो गया क्योंकि—
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मुआवजा राशि और नए आरोपों का विवरण सार्वजनिक हुआ।
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कोर्ट की तारीख और नोटिस की पुष्टि हुई।
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सेलीना की पुराने रोमांटिक पोस्ट और आज की कानूनी लड़ाई के बीच विरोधाभास को लेकर बहस शुरू हो गई।
एक पोस्ट जो सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो रही है, वह सेलीना का 2021 का इंस्टाग्राम नोट है, जिसमें वह लिखती हैं—
“गलत इंसान आपको शांति में ढूंढ कर टुकड़ों में छोड़ देगा, सही इंसान आपको टुकड़ों में ढूंढ कर शांति देगा।”
बहुत से यूज़र्स इस पोस्ट को आज की घटना से जोड़कर वायरल कर रहे हैं।
भाई के अपहरण का मामला भी अदालत में
दिल्ली में सेलीना ने हाल ही में अपने भाई मेजर (रि.) विक्रांत जेटली के मामले में भी कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है, जिनके बारे में उनका दावा है कि—
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UAE में सितंबर 2024 से “गैरकानूनी हिरासत” में रखे गए हैं,
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और भारत के विदेश मंत्रालय ने उनके बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं दी।
दिल्ली की अदालत ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह सेलीना और उनके भाई के बीच संपर्क सुनिश्चित करें।
ट्विटर और इंस्टाग्राम पर चल रही चर्चाओं में सबसे बड़ा सवाल यही है कि—
क्या बच्चे भारत लाए जाएंगे?
कुछ यूज़र्स यह भी पूछ रहे हैं कि ऑस्ट्रिया की तलाक प्रक्रिया और भारतीय घरेलू हिंसा कानून—दोनों का असर इस केस पर कैसे पड़ेगा।
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार,
यह दो देशों के कानूनों से जुड़ा जटिल मामला है,
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और बच्चों की कस्टडी का निर्णय भारतीय कोर्ट में लंबी सुनवाई का विषय बन सकता है।

