गांधीनगर में रैगिंग का बड़ा मामला उजागर, जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज के 14 एमबीबीएस छात्र हॉस्टल से निलंबित

गांधीनगर में रैगिंग का बड़ा मामला उजागर, जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज के 14 एमबीबीएस छात्र हॉस्टल से निलंबित

प्रेषित समय :21:04:01 PM / Tue, Nov 25th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

 गांधीनगर.  गुजरात की राजधानी गांधीनगर स्थित जीएमईआरएस (GMERS) मेडिकल कॉलेज में रैगिंग का गंभीर मामला सामने आने के बाद प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए दूसरे और तीसरे वर्ष के 14 एमबीबीएस छात्रों को हॉस्टल से छह महीने से लेकर दो साल तक के लिए निलंबित कर दिया है. यह कार्रवाई कॉलेज की ओर से गठित जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर की गई, जिसमें पाया गया कि वरिष्ठ छात्रों ने पहले वर्ष के विद्यार्थियों के साथ रैगिंग की थी.

इस विवाद ने सोमवार को तब बड़ा रूप ले लिया, जब प्रशासन ने आधिकारिक रूप से पुष्टि की कि शुरुआती जांच में आरोप सही पाए गए हैं. पीड़ित छात्रों की शिकायत कॉलेज प्रशासन के पास पिछले हफ्ते दर्ज कराई गई थी. शिकायत में कहा गया था कि सीनियर छात्रों ने हॉस्टल परिसर में प्रथम वर्ष के छात्रों को देर रात इकट्ठा किया और ‘इंट्रोडक्शन’ के नाम पर घंटों तक खड़े रखा, जो रैगिंग की परिभाषा में स्पष्ट रूप से मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न की श्रेणी में आता है.

शिकायत के बाद शुरू हुई कार्रवाई

सूत्रों के अनुसार, पहले वर्ष के कुछ छात्रों ने हिम्मत जुटाकर अपने विभागाध्यक्ष और एंटी-रैगिंग कमेटी को शिकायत दी थी. शिकायत के मुताबिक,

  • सीनियर छात्रों ने उन्हें कमरे से बाहर बुलाया,

  • लाइन में खड़ा किया,

  • ऊँची आवाज़ में आदेश दिए,

  • और उन्हें लंबे समय तक अपनी "फॉर्मल इंट्रोडक्शन" देने के लिए बाध्य किया.

यही नहीं, कुछ शिकायतों में यह भी बताया गया कि छात्रों पर मानसिक दबाव डाला गया और उनसे "कोड ऑफ कंडक्ट" का उल्लंघन करते हुए निजी सवाल पूछे गए.

एंटी-रैगिंग कमेटी ने तत्परता दिखाते हुए संबंधित छात्रों के बयान दर्ज किए और सीसीटीवी फुटेज, हॉस्टल वार्डन की रिपोर्ट और सुरक्षा कर्मचारियों की गवाही के आधार पर पूरे मामले की विस्तृत जांच की.

जांच समिति ने रैगिंग की पुष्टि की

जांच रिपोर्ट में साफ लिखा गया कि सीनियर छात्रों का व्यवहार रैगिंग रोधी नियमों का उल्लंघन है. यूजीसी (UGC) और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के दिशा-निर्देशों के अनुसार—
किसी भी प्रथम वर्ष के छात्र को मानसिक, सामाजिक, शारीरिक या यौन रूप से उत्पीड़ित करना, धमकाना, अपमानित करना या असुविधा पैदा करना रैगिंग माना जाता है.

जांच समिति ने पाया कि कॉलेज के 14 छात्रों ने इस नियम का उल्लंघन किया है, जिसके बाद कॉलेज ने कड़ा फैसला लेते हुए—

  • कुछ छात्रों को छह महीने,

  • जबकि कुछ को पूरा दो साल तक हॉस्टल से निलंबित कर दिया.

हालांकि, फिलहाल उन्हें शैक्षणिक कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति बरकरार रखी गई है ताकि उनकी पढ़ाई बाधित न हो, लेकिन अनुशासनात्मक कार्रवाई उनके रिकॉर्ड में दर्ज कर दी गई है.

कॉलेज प्रशासन का बयान

कॉलेज प्रशासन ने साफ कहा कि संस्थान में रैगिंग के लिए ज़ीरो टॉलरेंस पॉलिसी लागू है. कॉलेज के डीन ने बयान जारी करते हुए कहा—

“हमने किसी भी प्रकार की रैगिंग को कड़ा अपराध माना है. छात्रों की सुरक्षा और मानसिक शांति हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है. जिन छात्रों ने नियम तोड़े हैं, उन्हें उचित दंड दिया गया है ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की हरकत करने की हिम्मत न करे.”

डीन ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आवश्यकता पड़ी तो संबंधित छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई भी संभव है, क्योंकि रैगिंग एक दंडनीय अपराध है और इसके खिलाफ देशभर में सख्त कानून लागू हैं.

पीड़ित छात्रों की प्रतिक्रिया

हालाँकि प्रथम वर्ष के छात्रों के नाम गोपनीय रखे गए हैं, लेकिन सूत्र बताते हैं कि कई छात्र इस घटना के बाद मानसिक रूप से असहज थे. कुछ छात्रों ने कहा कि वे घटना के बाद डरे हुए थे और पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे थे.

एंटी-रैगिंग सेल ने इन छात्रों के लिए काउंसलिंग सत्र भी आयोजित किए, ताकि वे मानसिक तनाव से निकल सकें और उन्हें हॉस्टल में सुरक्षित वातावरण महसूस हो सके.

रैगिंग के बढ़ते घटनाक्रम पर चिंता

गांधीनगर का यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब पूरे देश में मेडिकल कॉलेजों और यूनिवर्सिटी परिसरों में रैगिंग की घटनाएँ बढ़ती दिख रही हैं. पिछले कुछ वर्षों में कई गंभीर मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें कुछ छात्रों ने मानसिक दबाव के कारण चरम कदम भी उठाए.

विशेषज्ञ मानते हैं कि

  • शुरुआती स्तर पर शिकायतों को गंभीरता से लेना,

  • कड़े दंड,

  • हॉस्टल निगरानी को बढ़ाना,

  • और जागरूकता कार्यक्रम ही ऐसे मामलों को रोक सकते हैं.

जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज में 14 छात्रों पर की गई कार्रवाई ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया है कि रैगिंग को किसी भी रूप में सहन नहीं किया जाएगा. यह कदम उन छात्रों के लिए राहत लेकर आया है जो वर्षों से इस डर के साथ कॉलेज आते हैं कि सीनियर छात्रों के दबाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ेगा.

गांधीनगर में सामने आया यह मामला एक मजबूत उदाहरण है कि यदि पीड़ित छात्र आवाज उठाएँ और प्रशासन तत्परता दिखाए, तो रैगिंग जैसी प्रथाएं समाप्त हो सकती हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-