नई दिल्ली.भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर ने बुधवार को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 0-2 की करारी हार के बाद आलोचनाओं का सामना करते हुए कहा कि टीम की हार की जिम्मेदारी सामूहिक रूप से सभी को लेनी चाहिए. दूसरे टेस्ट मैच में भारत को 408 रन से बड़ी शिकस्त मिलने के बाद, गंभीर के भविष्य को लेकर उठ रहे सवालों पर उन्होंने स्पष्ट किया कि इस पर अंतिम फैसला भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को करना है. गंभीर ने जोर देकर कहा, "भारतीय क्रिकेट जरूरी है, मैं जरूरी नहीं हूं." उन्होंने याद दिलाया कि वह वही कोच हैं जिनके मार्गदर्शन में टीम ने इंग्लैंड में महत्वपूर्ण परिणाम हासिल किए, चैंपियंस ट्रॉफी और एशिया कप जैसे बड़े टूर्नामेंट जीते हैं, और यह टीम अभी भी सीखने की प्रक्रिया में है.
कोच गंभीर ने हार को किसी एक व्यक्ति या किसी खास शॉट पर दोष मढ़ने के बजाय, इसे सबकी कमी बताया. उन्होंने विशेष रूप से तीसरे दिन भारत का स्कोर 95 रन पर एक विकेट से गिरकर 122 रन पर सात विकेट हो जाने का जिक्र किया, जिसे उन्होंने अस्वीकार्य बताया और मजबूत एग्जिक्यूशन की आवश्यकता पर जोर दिया. गंभीर ने कहा कि गलती सबकी है और इसमें सबसे पहले वह खुद शामिल हैं. उन्होंने अतीत में कभी भी किसी एक व्यक्ति को दोष नहीं देने की अपनी नीति दोहराई और कहा कि वह आगे भी ऐसा नहीं करेंगे.
टेस्ट क्रिकेट में बेहतर प्रदर्शन के लिए गंभीर ने देश भर में रेड-बॉल क्रिकेट को प्राथमिकता देने में बदलाव लाने की अपील की. उन्होंने कहा कि टेस्ट क्रिकेट खेलने के लिए आपको केवल सबसे तेज़-तर्रार या सबसे टैलेंटेड क्रिकेटरों की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि "कम स्किल वाले मजबूत लोगों" की जरूरत होती है, जो अच्छे टेस्ट क्रिकेटर बनते हैं. गंभीर ने भारतीय क्रिकेट की बेहतरी के लिए सभी के सामूहिक प्रयास की मांग की और कहा कि केवल खिलाड़ियों या किसी खास इंसान को दोष देना समाधान नहीं है. उन्होंने टेस्ट क्रिकेट के प्रति गंभीरता दिखाने और इसे प्राथमिकता देना शुरू करने पर ज़ोर दिया.
वहीं, भारतीय टीम के पूर्व मुख्य कोच श्रीकांत ने गंभीर की कोचिंग शैली पर कड़ी आलोचना की है. उन्होंने गंभीर पर "बहुत अधिक प्रयोग" करने का आरोप लगाया और कहा कि चयन में लगातार बदलाव करने से टीम की स्थिरता (स्टेबिलिटी) बुरी तरह प्रभावित हुई है. श्रीकांत के अनुसार, गंभीर भले ही इन बदलावों को 'ट्रायल एंड एरर' कहें, लेकिन उनका व्यक्तिगत अनुभव यह बताता है कि कंसिस्टेंसी से समझौता नहीं किया जा सकता. उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि भारतीय टीम पिछले 18 टेस्ट मैचों में से नौ हार चुकी है, जिसमें न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज में क्लीन स्वीप भी शामिल है, और इन प्रयोगों ने टीम की स्थिति को और खराब किया है. श्रीकांत का यह बयान गंभीर की कुर्सी के लिए खतरे की घंटी के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि एक पूर्व कोच द्वारा सीधे कोच की रणनीति पर सवाल उठाना गंभीर चर्चा का विषय है. अब सबकी निगाहें BCCI पर टिकी हैं कि वह इस करारी हार और मुख्य कोच के भविष्य को लेकर क्या फैसला लेती है.
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