दक्षिण अफ्रीका के कप्तान टेम्बा बावुमा ने भारत के खिलाफ ऐतिहासिक 2-0 टेस्ट सीरीज़ जीत के बाद न केवल टीम के प्रदर्शन को रेखांकित किया, बल्कि दो दिनों से क्रिकेट जगत में चल रही बहसों पर भी अपना पक्ष साफ किया. गुवाहाटी में मिली 408 रन की प्रचंड जीत के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने हेड कोच शुकरी कॉनराड की विवादास्पद टिप्पणी पर सफाई दी और साथ ही जसप्रीत बुमराह द्वारा पहले टेस्ट में की गई कथित टिप्पणी को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से जवाब भी दिया.
कॉनराड ने चौथे दिन की देर से आई घोषणा पर उठे सवालों के बीच कहा था कि वे चाहते थे भारत “ग्रोवेल” करे—एक ऐसा शब्द जिसका दक्षिण अफ्रीका के नस्लीय इतिहास में बेहद संवेदनशील संदर्भ रहा है. बयान जैसे ही सामने आया, भारतीय और दक्षिण अफ्रीकी दिग्गजों ने इसकी आलोचना शुरू कर दी. अनिल कुंबले और डेल स्टेन जैसे पूर्व क्रिकेटरों ने इस शब्द के उपयोग को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. पर बावुमा ने माहौल को और भड़काने की बजाय इससे दूरी बनाते हुए साफ कहा कि कोच अपने बयान पर विचार करेंगे और बात आगे नहीं बढ़नी चाहिए.
बावुमा के अनुसार, मैच और तैयारी में व्यस्त होने के कारण उन्हें शुरुआत में कॉनराड की टिप्पणी की जानकारी ही नहीं मिली थी. उन्होंने कहा कि कोच उम्र और अनुभव के साथ अपनी जिम्मेदारी तय करते हैं और यकीनन वे इस पर पुनर्विचार करेंगे. लेकिन इसके साथ ही कप्तान ने यह भी संकेत दिया कि इस सीरीज़ में सिर्फ कोच ही नहीं, भारतीय खेमे के कुछ खिलाड़ी भी मर्यादा लांघ गए थे.
इशारा जसप्रीत बुमराह की ओर था, जिन्होंने कोलकाता टेस्ट के दौरान बावुमा की लंबाई को लेकर कथित तौर पर ‘बौना’ शब्द का प्रयोग किया था. बावुमा ने बगैर नाम लिए कहा, “इस सीरीज़ में कुछ लोगों ने भी सीमाएं पार कीं. मैं नहीं कह रहा कि कोच ने ऐसा किया है, लेकिन वे अपने शब्दों पर अवश्य विचार करेंगे.” उनके इस बयान ने साफ कर दिया कि मैदान पर हुई कुछ तीखी नोकझोंक ने खिलाड़ियों को भीतर तक प्रभावित किया, हालांकि कप्तान ने इसे सार्वजनिक विवाद का रूप देने से बचने की कोशिश की.
गुवाहाटी टेस्ट दक्षिण अफ्रीका के लिए कई मायनों में यादगार रहा. दिन चार पर टीम की घोषणा को लेकर सोशल मीडिया पर बहस तेज थी, लेकिन अंततः परिणाम ने सभी संदेहों को पीछे छोड़ दिया. 408 रन के विशाल अंतर से मिली जीत दक्षिण अफ्रीका की टेस्ट इतिहास में दूसरी सबसे बड़ी जीत थी. इससे पहले 2018 में जोहानसबर्ग में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 492 रन से दर्ज जीत उनसे आगे रहती है.
इस जीत ने एक इतिहास भी दोहराया. ठीक 25 वर्ष पहले, हांसी क्रोन्ये की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका ने भारत को उसकी सरज़मीं पर 2-0 से हराया था. उस दौर में भारतीय टीम घरेलू मैदानों पर बेहद मजबूत मानी जाती थी, और अब बावुमा की कप्तानी में वही उपलब्धि दोहराई गई. इस सफलता ने न केवल युवा खिलाड़ियों में आत्मविश्वास भरा बल्कि दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट को एक नए युग में ले जाने की शुरुआत भी कर दी है.
बावुमा बतौर टेस्ट कप्तान अब तक अपराजित रहे हैं और उनकी शांत नेतृत्व शैली टीम को स्थिरता देती है. उनके खेल और कप्तानी दोनों की इस सीरीज़ में व्यापक सराहना हुई. जहां भारतीय बल्लेबाज़ बिखरते नज़र आए, वहीं अफ्रीकी गेंदबाज़ों ने बेहतरीन अनुशासन और जोश दिखाया. बल्लेबाज़ी में भी दक्षिण अफ्रीका ने भारतीय परिस्थितियों में अनुकूलन का बेहतरीन उदाहरण पेश किया.
इसके उलट भारत के लिए यह सीरीज़ कई सवाल छोड़ गई. पहले टेस्ट में 30 रन से हार और फिर गुवाहाटी में 408 रन की करारी शिकस्त ने टीम की रणनीति, संयोजन और तैयारी पर तीखे प्रश्न खड़े कर दिए. विराट कोहली, रोहित शर्मा और बुमराह जैसे दिग्गजों की मौजूदगी के बावजूद भारतीय टीम विपक्ष की रणनीति को भेद नहीं सकी. बल्लेबाज़ी क्रम में लगातार फेरबदल पर पूर्व कोच रवि शास्त्री भी सवाल उठा चुके हैं.
मैच के बाद गौतम गंभीर ने बोर्ड पर फैसला छोड़ते हुए कहा था कि भारतीय क्रिकेट किसी भी व्यक्ति से बड़ा है. यह बयान भी सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में रहा. भारतीय क्रिकेट के सामने अब अगले कुछ महीनों में बड़े बदलावों की संभावनाएं खुलती दिख रही हैं.
उधर दक्षिण अफ्रीका के ड्रेसिंग रूम में माहौल बिल्कुल विपरीत था. जीत के साथ खिलाड़ी उत्साहित नजर आए और चर्चाओं के बीच बावुमा ने टीम को केंद्र में रखते हुए किसी भी विवाद को हवा देने से इनकार किया. उनके बयान ने स्पष्ट संदेश दिया कि टीम का फोकस मैदान पर प्रदर्शन पर है, न कि शब्दों के टकराव पर.
सीरीज़ के दोनों टेस्ट में भारतीय बल्लेबाजी की विफलता, पिच का स्वभाव, कप्तानी की रणनीति और अफ्रीकी गेंदबाज़ों की आक्रामकता ने खेल को उम्मीद से ज्यादा एकतरफा बनाया. पहले टेस्ट में 30 रन की हार ने भारत को चेतावनी दे दी थी, लेकिन दूसरी पारी में टीम उस कमी को सुधार नहीं सकी. वहीं अफ्रीका ने हर मौके का फायदा उठाया.
बावुमा और बुमराह के बीच हुई मौखिक तनातनी भले ही अब शांत होती दिख रही है, लेकिन यह सीरीज़ आगे भी लंबे समय तक चर्चाओं का हिस्सा बनी रहेगी—एक ऐसी सीरीज़ जिसे दक्षिण अफ्रीका ऐतिहासिक कहेगा और भारत सख्त सबक के रूप में याद रखेगा.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

