कुलदीप यादव और जसप्रीत बुमराह की जुगलबंदी से दक्षिण अफ्रीका पहली पारी में चकमा, गुवाहाटी टेस्ट के पहले दिन भारत की वापसी

कुलदीप यादव और जसप्रीत बुमराह की जुगलबंदी से दक्षिण अफ्रीका पहली पारी में चकमा, गुवाहाटी टेस्ट के पहले दिन भारत की वापसी

प्रेषित समय :20:16:42 PM / Sat, Nov 22nd, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

गुवाहाटी टेस्ट के पहले दिन भारतीय गेंदबाज़ी की एक अनोखी जुगलबंदी ने दक्षिण अफ्रीका की मजबूत शुरुआत को अचानक धीमा कर दिया. कुलदीप यादव की सटीक लाइन-लेंथ और जसप्रीत बुमराह की धारदार गति ने मिलकर मेहमान टीम को उस स्थिति में पहुँचाया, जहां 82.5 ओवर तक चले खेल—जिसमें आख़िरी घंटे की गेंदबाज़ी फ्लडलाइट्स के नीचे हुई—के अंत में दक्षिण अफ्रीका 247/6 पर संघर्ष करता नज़र आया.

शनिवार की सुबह चाय ब्रेक के आसपास के तीन ओवर और उसके बाद के पाँच ओवर का वह छोटा सा चरण इस मुकाबले की दिशा बदलने के लिए काफी साबित हुआ. गुवाहाटी का उत्साहित दर्शक वर्ग भारतीय गेंदबाज़ी के उस कलात्मक रुख का गवाह बना, जिसकी झलक टेस्ट क्रिकेट की बेहतरीन रचनात्मकता में देखने को मिलती है. दो अलग-अलग शैलियों वाले गेंदबाज़—एक तेज़ रफ्तार और उछाल से बल्लेबाज़ों को चकित करने वाला, और दूसरा अपनी चतुराई भरी स्पिन से उन्हें उलझाने वाला—जब तालमेल के साथ हमला करते हैं तो नतीज़ा कुछ ऐसा ही होता है.

जसप्रीत बुमराह ने अपने स्वाभाविक अंदाज़ में शुरुआती ओवरों में ही गेंदबाज़ी की बागडोर संभाल ली. जैसे-जैसे गेंद थोड़ी पुरानी होती गई, उनकी सीम पोज़िशन और अधिक खतरनाक होकर उभरती रही. बुमराह की गेंदों में उछाल और सटीकता ने दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज़ों को बैकफुट पर रखा. इसी दौरान उन्होंने एडेन मार्कराम का अहम विकेट उड़ा दिया, जिसे लेकर मैदान में मौजूद भारतीय खेमे और दर्शकों में उत्साह की लहर दौड़ गई.

दूसरी ओर कुलदीप यादव (3/48) ने अपनी धीमी कला का जादू बिखेरा. टेस्ट क्रिकेट में एक कलाई स्पिनर के लिए परिस्थितियाँ हमेशा सरल नहीं होतीं, पर गुवाहाटी की पिच में उन्हें हल्की मदद मिली, जिसे उन्होंने बेहतरीन तरीके से भुनाया. उनकी गेंदबाज़ी का सबसे बड़ा गुण है—धैर्य. उन्होंने विकेट लेने के लिए जल्दबाज़ी नहीं दिखाई, बल्कि बल्लेबाज़ों को अपनी उछाल, फ्लाइट और टर्न में फँसने दिया. मारको यानसन का विकेट इसी रणनीति का सटीक उदाहरण रहा, जहां बल्लेबाज़ को आगे खींचकर स्टंप्स पर सटीक प्रहार किया गया.

कुलदीप और बुमराह की यह साझेदारी भारतीय टीम को उस स्थिति में ले आई, जहां सुबह दक्षिण अफ्रीका की तेज़ और सकारात्मक शुरुआत ने खासी चिंता बढ़ा दी थी. शुरुआती 20–25 ओवरों में जब मेहमान टीम सधी हुई गति से रन बनाती नज़र आई, तब भारतीय गेंदबाज़ों के लिए परिस्थितियाँ आसान नहीं थीं. तापमान बढ़ा हुआ था, गेंद नई थी और पिच में उतनी सहायता नहीं दिख रही थी. लेकिन टेस्ट क्रिकेट की खूबसूरती इसी में है कि धैर्य के साथ विपक्ष पर दबाव बनाया जाए और सही समय पर आक्रमण किया जाए. भारत ने बिल्कुल वैसा ही किया.

जैसे ही गेंद पुरानी हुई, बुमराह को रिवर्स स्विंग की हल्की झलक मिली और कुलदीप ने शॉट-पिच्ड और गुगली का सही मिश्रण करते हुए बल्लेबाज़ों को जाल में फँसाना शुरू किया. दोनों छोर से दबाव बढ़ने लगा और दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज़ों की सहजता धीरे-धीरे टूटने लगी. एक समय जो साझेदारियाँ आसानी से बनती दिखाई दे रही थीं, वही बाद में मुश्किल में फँसने लगीं.

पहले दिन के अंत तक 247 रन पर 6 विकेट गिरने के बाद दक्षिण अफ्रीका न तो पूरी तरह संकट में है, न ही सुरक्षित स्थिति में. लेकिन यह साफ है कि खेल का संतुलन अब भारत की ओर झुक रहा है. दूसरे दिन अगर भारत ने शुरुआत में ही 1–2 विकेट निकाल लिए, तो दक्षिण अफ्रीका की पहली पारी 300 के भीतर ही रोकना संभव है—जो इस पिच पर एक मजबूत पकड़ साबित होगी.

गुवाहाटी के दर्शकों ने पहले दिन जिस गेंदबाज़ी प्रदर्शन को देखा, वह सिर्फ संख्याओं से दर्ज नहीं हो सकता. यह दो अलग-अलग शैलियों वाले गेंदबाज़ों की वह बेमिसाल साझेदारी थी, जो दर्शाती है कि आधुनिक टेस्ट क्रिकेट में भी कला और निरंतरता का महत्व उतना ही है जितना कभी था. बुमराह की गति और तीक्ष्णता तथा कुलदीप की स्पिन और चतुराई का यह संगम भारत के लिए आगामी दिनों में मैच की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है.

भारतीय टीम अब दूसरे दिन इस बढ़त को मजबूत करने के इरादे से उतरेगी. वहीं दक्षिण अफ्रीका अपने निचले क्रम से कुछ उपयोगी रन जोड़ने की उम्मीद करेगा. हालांकि पहला दिन साफ तौर पर भारत के नाम रहा, और उसकी वजह है—बुमराह और कुलदीप की वह जुगलबंदी जिसे गुवाहाटी की शाम लंबे समय तक याद रखेगी.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-