जबलपुर में अवैध कॉलोनियों पर बड़ी कार्रवाई और स्कूल में AI तस्वीर विवाद से हंगामा

जबलपुर में अवैध कॉलोनियों पर बड़ी कार्रवाई और स्कूल में AI तस्वीर विवाद से हंगामा

प्रेषित समय :19:06:33 PM / Wed, Nov 26th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. मंगलवार का दिन प्रशासनिक सख्ती और शिक्षा परिसर में उभरे असामान्य विवाद के नाम रहा. एक ओर नगर निगम ने शहर की 98 अवैध कॉलोनियों में रजिस्ट्री और नामांतरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाकर एक बड़ा फैसला लिया, वहीं दूसरी ओर आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के गलत इस्तेमाल से शुरू हुआ स्कूल का विवाद देखते ही देखते सड़क तक पहुंच गया, जहां छात्रों ने निलंबन के विरोध में चक्काजाम कर दिया. दोनों घटनाओं ने शहर की सामाजिक, प्रशासनिक और शैक्षणिक व्यवस्था में गहरे सवाल खड़े कर दिए—कि अवैध निर्माणों का फैलता जाल कब थमेगा और आधुनिक तकनीक का दुरुपयोग करने की मानसिकता को कैसे रोका जाएगा.

नगर निगम की कार्रवाई से शुरू करें तो शहर में अवैध रूप से विकसित हो रही कॉलोनियों पर लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं. कई कॉलोनाइज़र बिना स्वीकृति के प्लॉट काटकर बेच रहे थे और लोग अनजाने में उन प्लॉट्स की रजिस्ट्री करवाते जा रहे थे. इससे न केवल शहर की योजनाबद्ध विकास प्रक्रिया प्रभावित हो रही थी बल्कि मकान बनाने वाले नागरिक बाद में बिजली, पानी, सड़क और सीवर जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भटकते ਰਹ जाते थे. अफसरों के अनुसार, जिन 98 कॉलोनियों में कार्रवाई हुई है, उनमें न तो विकास अनुमति ली गई थी और न ही कोई मास्टर प्लान के अनुरूप नक्शा स्वीकृत कराया गया था. इन कॉलोनियों में प्लॉट खरीदने वालों को चेतावनी भी जारी की गई है कि जब तक कॉलोनाइज़र वैध प्रक्रिया पूरी नहीं करते, तब तक न रजिस्ट्री होगी और न नामांतरण.

इस फैसले ने शहर में हलचल पैदा कर दी है. सुबह से ही तहसील और रजिस्ट्री कार्यालयों के बाहर लोगों की भीड़ दिखाई दी, जिनमें से कई को यह खबर अचानक और चौंकाने वाली लगी. कुछ नागरिकों ने नाराज़गी जताई कि वे वर्षों की जमा-पूंजी लगाकर प्लॉट खरीद चुके हैं, लेकिन अब रजिस्ट्री रोक दी गई है. वहीं, प्रशासन का कहना है कि नियमों की अनदेखी करके बनने वाली कॉलोनियाँ आने वाले दिनों में अवैध निर्माण और नागरिक सुविधाओं की भारी कमी का कारण बनती हैं, इसलिए सख्ती ज़रूरी है. निगम अधिकारियों ने साफ किया कि यह कदम किसी व्यक्ति को परेशान करने के लिए नहीं, बल्कि शहर के सुव्यवस्थित विकास के लिए उठाया गया है. उनके अनुसार, जब तक कॉलोनाइज़र लेआउट, सड़कें, नालियाँ, पार्किंग और अन्य बुनियादी ढांचे का प्रमाण नहीं देंगे, रजिस्ट्री पर रोक जारी रहेगी.

इस कार्रवाई का राजनीतिक पक्ष भी सामने आने लगा है. विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि नगर निगम चुनाव नजदीक आने के कारण यह कदम जनता को दबाव में लाने की रणनीति है. उनका कहना है कि वर्षों से अवैध कॉलोनी बनने पर नगर निगम चुप रहा और जब लोगों ने प्लॉट खरीद लिए, तब रजिस्ट्री रोकना आम नागरिकों को सजा देने जैसा है. हालांकि सत्तापक्ष का कहना है कि शहर में अवैध निर्माण रोकने के लिए यह कदम आवश्यक है और इसे पिछली सरकार ने भी सुझाया था. इस पूरे विवाद के बीच आम नागरिक असमंजस में है कि उसकी मेहनत की कमाई से खरीदा गया प्लॉट कब तक कानूनी रूप से सुरक्षित माना जाएगा.

हालाँकि छात्रों का पक्ष अलग है. चक्काजाम कर रहे छात्रों ने कहा कि निलंबन बहुत कठोर कार्रवाई है और उन्हें सुधार का मौका दिया जाना चाहिए था. कुछ छात्रों ने दावा किया कि तस्वीर के गंभीर परिणामों का उन्हें अंदाज़ा नहीं था. कई अभिभावक भी स्कूल के बाहर जमा हो गए और उनका कहना था कि डिजिटल उपकरणों के बढ़ते उपयोग के बाद स्कूलों को बच्चों को तकनीक के नैतिक और कानूनी नियमों के बारे में औपचारिक प्रशिक्षण देना चाहिए. अभिभावकों का एक वर्ग यह भी कहता दिखा कि बच्चों की गलती गंभीर है, लेकिन उन्हें शिक्षा देकर सुधारने का रास्ता भी खुला रहना चाहिए.

पुलिस भी इस मामले में सक्रिय हुई और स्कूल प्रबंधन से बातचीत कर छात्रों को शांत करने की कोशिश की. ट्रैफिक पुलिस ने जाम हटाने में लगभग एक घंटे का समय लिया. यह घटना कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े करती हैक्या स्कूलों में डिजिटल साक्षरता उतनी ही आवश्यक हो चुकी है जितनी सामान्य पाठशाला शिक्षा? क्या AI टूल्स को लेकर कड़े दिशा-निर्देश नहीं बनने चाहिए? और क्या छोटे बच्चों में तकनीक की समझ इतनी तेज़ है कि वे सामाजिक और कानूनी परिणामों को अनदेखा कर रहे हैं?

इन दोनों घटनाओं को साथ रखकर देखें तो यह साफ है कि जबलपुर उस मोड़ पर खड़ा है जहां विकास और तकनीक दोनों नई चुनौतियाँ पैदा कर रहे हैं. अवैध कॉलोनियों के फैलाव को रोकना प्रशासन के लिए आवश्यक है, लेकिन इसे इस तरह लागू करना भी उतना ही जरूरी है कि आम नागरिक को बिना वजह परेशान न होना पड़े. दूसरी ओर, AI की बढ़ती उपलब्धता बच्चों तक पहुँच चुकी है, और अगर उन्हें सही दिशा नहीं दी गई तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं. यह समय है जब स्कूल, परिवार और समाज मिलकर तकनीक के उपयोग और दुरुपयोग के बीच की बारीक रेखा को समझाएँ.

जबलपुर इन घटनाओं के बाद जागा है—एक तरफ विकास को व्यवस्थित करने की चुनौती है, दूसरी ओर भविष्य की पीढ़ी को जिम्मेदार डिजिटल नागरिक बनाने की. दोनों मोर्चों पर संतुलित और समझदार कदम ही शहर को सुरक्षित, सुचारू और आधुनिक दिशा में आगे ले जा सकते हैं.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-