गौमूत्र पीकर मुस्लिम परिवारों ने की 'घर वापसी' संस्कारधानी जबलपुर में गर्माया माहौल

गौमूत्र पीकर मुस्लिम परिवारों ने की

प्रेषित समय :19:08:37 PM / Wed, Nov 26th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

जबलपुर. संस्कारधानी जबलपुर में बीते दिनों एक बेहद संवेदनशील और चर्चा का विषय बना घटनाक्रम सामने आया, जब कुछ मुस्लिम परिवारों ने विधिवत तरीके से हिंदू धर्म में वापसी की. अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद (AHP) और राष्ट्रीय बजरंग दल (RBD) के बैनर तले आयोजित यह 'घर वापसी' की प्रक्रिया शहर के एक प्राचीन शिव मंदिर में संपन्न कराई गई. इस पूरे घटनाक्रम ने सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, जहां धर्म परिवर्तन और 'घर वापसी' जैसे विषय हमेशा से ही तीखी बहस का केंद्र रहे हैं.

विश्वसनीय सूत्रों और मौके पर मौजूद कार्यकर्ताओं से प्राप्त जानकारी के अनुसार, धर्म परिवर्तन कर हिंदू धर्म अपनाने वाले परिवारों ने दावा किया है कि उन्होंने स्वेच्छा से यह निर्णय लिया है. उनका कहना है कि वे वर्षों से सनातन धर्म की परंपराओं और जीवनशैली से प्रभावित थे और अब कानूनी व धार्मिक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए अपनी जड़ों की ओर लौट रहे हैं. यह प्रक्रिया अत्यंत गोपनीयता और सुरक्षा के बीच संपन्न हुई, लेकिन जैसे ही इसकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हुईं, यह जबलपुर की टॉप ट्रेंडिंग न्यूज़ में शुमार हो गई.

बताया गया है कि 'घर वापसी' के इस अनुष्ठान के दौरान परिवारों को विधि-विधान के साथ शुद्धिकरण की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा. धार्मिक शुद्धिकरण के तहत उन्हें गो-मूत्र का सेवन कराया गया, जिसे सनातन परंपरा में पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. इसके अलावा, उन्हें गंगाजल और पंचगव्य से स्नान कराया गया और मंत्रोच्चार के बीच शिव मंदिर में पूजा-अर्चना कराई गई. अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद के पदाधिकारियों ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि यह 'घर वापसी' किसी दबाव या प्रलोभन के तहत नहीं हुई है, बल्कि ये परिवार खुद कई महीनों से संगठन के संपर्क में थे और उन्होंने अपनी मूल पहचान में लौटने की इच्छा व्यक्त की थी. संगठन ने दावा किया कि उन्होंने इन परिवारों को कानूनी सलाह भी दी ताकि भविष्य में उन्हें किसी प्रकार की समस्या का सामना न करना पड़े.

राष्ट्रीय बजरंग दल के एक स्थानीय नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि संगठन ऐसे परिवारों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने जोर दिया कि उनका उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक एकता को मजबूत करना है और जो लोग अपनी सनातन जड़ों की ओर लौटना चाहते हैं, उनका वे खुले दिल से स्वागत करते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि 'घर वापसी' करने वाले परिवारों के लिए नए हिंदू नाम भी सुझाए गए हैं और उन्हें जल्द ही नए पहचान पत्र और कानूनी दस्तावेजों को अपडेट कराने में सहायता की जाएगी.

यह घटनाक्रम उस समय सामने आया है जब मध्य प्रदेश सरकार धार्मिक स्वतंत्रता और धर्म परिवर्तन से जुड़े कानूनों को लेकर पहले से ही सख्त रुख अपनाए हुए है. राज्य में 'मध्य प्रदेश धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम' लागू है, जिसके तहत जबरन, धोखे से या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराना एक गंभीर अपराध है. हालांकि, मौजूदा मामले में 'घर वापसी' करने वाले परिवारों ने खुद ही स्वेच्छा से धर्म बदलने का दावा किया है, जिसने कानूनी पेंच को कुछ हद तक सरल बनाया है. बावजूद इसके, पुलिस और प्रशासन इस पूरे घटनाक्रम पर बारीकी से नजर बनाए हुए है ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति या कानून व्यवस्था भंग होने की स्थिति न बने. शहर के संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

सोशल मीडिया पर इस खबर को लेकर दो खेमों में बंटी हुई प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. एक ओर, हिंदूवादी संगठन और उनके समर्थक इसे 'ऐतिहासिक कदम' और 'अपनी संस्कृति की ओर लौटना' बताकर इसका पुरजोर समर्थन कर रहे हैं. वे इस प्रक्रिया को 'भारत के गौरव की पुनर्स्थापना' के रूप में देख रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद व राष्ट्रीय बजरंग दल की सराहना कर रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर, कुछ अल्पसंख्यक समूहों और उदारवादी विचारकों ने इस पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए हैं. उनका तर्क है कि भले ही यह स्वेच्छा से हो, लेकिन धार्मिक संगठनों द्वारा सार्वजनिक रूप से ऐसे अनुष्ठान आयोजित करना समाज में विभाजन और तनाव पैदा कर सकता है. कुछ लोगों ने शुद्धिकरण के लिए गो-मूत्र के उपयोग पर भी टिप्पणी की है, इसे अंधविश्वास और रूढ़िवादिता को बढ़ावा देने वाला बताया है.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम आगामी स्थानीय निकाय चुनावों और राज्य की राजनीति पर गहरा असर डाल सकता है. सत्तारूढ़ दल के समर्थक इस घटना को अपनी विचारधारा की जीत के रूप में पेश कर सकते हैं, जबकि विपक्षी दल इस मामले को अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सामाजिक सद्भाव के मुद्दे पर उठाकर सरकार पर निशाना साध सकते हैं. जबलपुर में फिलहाल माहौल शांत है, लेकिन सोशल मीडिया पर चल रही तीखी बहस बताती है कि यह मामला अभी थमने वाला नहीं है. यह घटना जबलपुर की धार्मिक और सामाजिक ताने-बाने में एक नया अध्याय जोड़ गई है, जिसकी गूंज आने वाले दिनों तक सुनाई देती रहेगी. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन और पुलिस इस संवेदनशील मामले में आगे क्या रुख अपनाते हैं और 'घर वापसी' करने वाले इन परिवारों का भविष्य सामाजिक और कानूनी रूप से कैसा रहता है.

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-