AajKaDin: 28 नवम्बर 2025, देवी त्रिपुरा दुर्गा द्वात्रिंश नामावली!

AajKaDin: 28 नवम्बर 2025, देवी त्रिपुरा दुर्गा द्वात्रिंश नामावली!

प्रेषित समय :21:31:36 PM / Thu, Nov 27th, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

* प्रदीप लक्ष्मीनारायण द्विवेदी, बॉलीवुड एस्ट्रो एडवाइजर (व्हाट्सएप- 8875863494)
* मासिक त्रिपुराष्टमी - 28 नवम्बर 2025, शुक्रवार
* अष्टमी प्रारम्भ - 12:29 एएम, 28 नवम्बर 2025
* अष्टमी समाप्त - 12:15 एएम, 29 नवम्बर 2025

देवी त्रिपुरा दुर्गा की द्वात्रिंश नामावली....
दुर्गा, दुर्गातिशमनी, दुर्गापद्धिनिवारिणी, दुर्गमच्छेदनी, दुर्गसाधिनी, दुर्गनाशिनी, दुर्गतोद्धारिणी, दुर्गनिहन्त्री, दुर्गमापहा, दुर्गमज्ञानदा, दुर्गदैत्यलोकदवानला, दुर्गमा, दुर्गमालोका, दुर्गमात्मस्वरूपिणी, दुर्गमार्गप्रदा, दुर्गमविद्या, दुर्गमाश्रिता, दुर्गमज्ञानसंस्थाना, दुर्गमध्यानभासिनी, दुर्गमोहा, दुर्गमगा, दुर्गमार्थस्वरूपिणी, दुर्गमासुरसंहन्त्रि, दुर्गमायुधधारिणी, दुर्गमांगी, दुर्गमता, दुर्गम्या, दुर्गमेश्वरी, दुर्गभीमा, दुर्गभामा, दुर्गभा, दुर्गदारिणी
श्री त्रिपुरा सुंदरी दैनिक धर्म-कर्म पंचांग - 28 नवम्बर 2025
शक सम्वत 1947, विक्रम सम्वत 2082, अमान्त महीना मार्गशीर्ष, पूर्णिमान्त महीना मार्गशीर्ष, वार शुक्रवार, पक्ष शुक्ल, तिथि अष्टमी - 12:15 एएम (29 नवम्बर 2025) तक, नक्षत्र शतभिषा - 02:49 एएम (29 नवम्बर 2025) तक, योग व्याघात - 11:05 एएम तक, करण विष्टि - 12:28 पीएम तक, द्वितीय करण बव - 12:15 एएम (29 नवम्बर 2025), सूर्य राशि वृश्चिक, चन्द्र राशि कुम्भ, राहुकाल 11:02 एएम से 12:23 पीएम, अभिजित मुहूर्त 12:02 पीएम से 12:45 पीएम
दैनिक चौघड़िया - 28 नवम्बर 2025
* दिन का चौघड़िया
चर - 07:00 से 08:21
लाभ - 08:21 से 09:42
अमृत - 09:42 से 11:02
काल - 11:02 से 12:23
शुभ - 12:23 से 01:44
रोग - 01:44 से 03:05
उद्वेग - 03:05 से 04:25
चर - 04:25 से 05:46
* रात्रि का चौघड़िया
रोग - 05:46 से 07:25
काल - 07:25 से 09:05
लाभ - 09:05 से 10:44
उद्वेग - 10:44 से 12:23
शुभ - 12:23 से 02:03
अमृत - 02:03 से 03:42
चर - 03:42 से 05:22
रोग - 05:22 से 07:01 
* चौघडिय़ा का उपयोग कोई नया कार्य शुरू करने के लिए शुभ समय देखने के लिए किया जाता है.
* दिन का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* रात का चौघडिय़ा- अपने शहर में सूर्यास्त से अगले दिन सूर्योदय के बीच के समय को बराबर आठ भागों में बांट लें और हर भाग का चौघडिय़ा देखें.
* अमृत, शुभ, लाभ और चर, इन चार चौघडिय़ाओं को अच्छा माना जाता है और शेष तीन चौघडिय़ाओं- रोग, काल और उद्वेग, को उपयुक्त नहीं माना जाता है.
* यहां दी जा रही जानकारियां संदर्भ हेतु हैं, विभिन्न पंचांगों, धर्मग्रथों से साभार ली गई है, स्थानीय समय, परंपराओं और धर्मगुरु-ज्योतिर्विद् के निर्देशानुसार इनका उपयोग कर सकते हैं, क्योंकि यहां दिया जा रहा समय अलग-अलग शहरों में स्थानीय समय के सापेक्ष थोड़ा अलग हो सकता है.
* अपने ज्ञान के प्रदर्शन एवं दूसरे के ज्ञान की परीक्षा में समय व्यर्थ न गंवाएं क्योंकि ज्ञान अनंत है और जीवन का अंत है!

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-