कोलकाता। “शांति कहीं बाहर नहीं, हर व्यक्ति के हृदय में जन्म लेती है।” ग्लोबल पीस एंड डेवलपमेंट सर्विस एलायंस के अध्यक्ष और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित भारतीय विद्वान डॉ. मार्कंडेय राय के इन आत्मीय शब्दों ने IIMC सोनारपुर में आयोजित वार्षिक COVA Meet 2025 की शुरुआत को अर्थपूर्ण और भावपूर्ण ऊर्जा से सराबोर कर दिया। दुनिया के अनेक देशों से आए प्रतिनिधियों और लगभग 60 सामाजिक संगठनों के सदस्यों ने शांति और मानवता के इस साझा संकल्प को गंभीरता से आत्मसात किया।
डॉ. मार्कंडेय राय केवल एक प्रतिष्ठित वैश्विक व्यक्तित्व नहीं, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को वर्षों से बढ़ाने वाले समाजसेवी, शिक्षाविद् और कूटनीतिक विशेषज्ञ हैं। वे भारतीय अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष तथा भारत स्थित IGTAMS विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं। संयुक्त राष्ट्र मानव बस्ती कार्यक्रम (यूएन-हैबिटैट) में वे पूर्व वरिष्ठ सलाहकार रहे हैं और नैरोबी स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालयों को प्रशासनिक मुद्दों पर सलाह देने वाली संयुक्त सलाहकार समिति के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। यूएन-हैबिटैट में उनका 17 वर्षों का कार्यकाल वैश्विक शहरी विकास, मानव बस्ती सुधार और मानवीय सहायता कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

वर्ष 2000–2003 तक वे नैरोबी स्टाफ यूनियन के अध्यक्ष चुने गए। दुनिया के कई देशों की सांस्कृतिक, शक्षणिक और सामाजिक संस्थाओं के बोर्ड में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा है। जनवरी 2006 में उन्हें हिंदू रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2009 में स्टॉकहोम स्थित स्वीडिश संसद में यूरोपीय संघ की अध्यक्षता के लिए आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार और वाशिंगटन डीसी में हैबिटैट सम्मेलन में उन्होंने वैश्विक सांसदों को संबोधित किया। वर्तमान में वे ग्लोबल पीस फाउंडेशन की वैश्विक नेतृत्व परिषद के सदस्य भी हैं।
ऐसे विशिष्ट अनुभवों के धनी जब IIMC के मंच पर शांति, सहानुभूति और सामाजिक जिम्मेदारी की बात करते हैं, तो उनके शब्द ज्ञान से अधिक अनुभव और आत्मीयता की गूंज बन जाते हैं।
उन्होंने अपने प्रेरणादायी संबोधन में कहा कि समाज में स्थायी शांति तभी उत्पन्न होती है जब साधारण लोग असाधारण करुणा दिखाते हैं। “जीवन बदलने की ताकत हर व्यक्ति में निहित है; बस उसे जागृत करने की जरूरत है,” उन्होंने कहा। उनकी भावनात्मक अपील ने सभी प्रतिभागियों—विशेषकर सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत युवाओं—को भीतर तक छू लिया।
सम्मेलन की शुरुआत IIMC के निदेशक डॉ. सुजीत ब्रह्मचारी के प्रेरणादायी संबोधन से हुई। उन्होंने IIMC की तीन दशक की मानवीय यात्रा, मातृ-शिशु स्वास्थ्य, शिक्षा, माइक्रो-क्रेडिट और ग्रामीण विकास के मॉडल को ऑडियो-वीडियो प्रस्तुति के माध्यम से सभी के सामने रखा। उन्होंने बताया कि सामाजिक कार्य “सेवा” नहीं, बल्कि “समर्पण और आध्यात्मिक साधना” है, जिसे निःस्वार्थता और मानवीय दृष्टि से समझा जाता है। उल्लेखनीय है कि आईआईएमसी की परिकल्पना और स्थापना डॉ. सुजीत कुमार ब्रह्मचारी ने 1991 में की थी। उन्होंने कलकत्ता (कोलकाता) से चिकित्सा की डिग्री प्राप्त की और बेल्जियम रेड क्रॉस से छात्रवृत्ति प्राप्त कर बेल्जियम में बाल रोग में विशेषज्ञता हासिल की।
लंच के बाद हुए तकनीकी सत्रों में 15 विशेषज्ञों ने महिला सशक्तिकरण, घरेलू हिंसा की रोकथाम, आर्थिक आत्मनिर्भरता, शिक्षा और ग्राम नेतृत्व पर अपने अनुभव साझा किए। श्रीमती बरनाली ब्रह्मचारी ने बताया कि शिक्षा किस तरह ग्रामीण महिलाओं के जीवन को नयी दिशा देती है और कैसे आर्थिक आत्मनिर्भरता उन्हें सुरक्षा और सम्मान दिलाती है। IIMC द्वारा गठित माइक्रो-क्रेडिट समूहों और उनसे आगे विकसित महिला शांति परिषद (Women Peace Council) ने कई गाँवों में शांति और सामाजिक समरसता की नई मिसालें कायम की हैं।
शाम को प्रतिभागियों ने ‘डिशारी’ गृह का दौरा किया, जहां 18 विशेष बालिकाओं ने संगीत, नृत्य और कला के माध्यम से अपनी प्रतिभा प्रस्तुत की। इस सांस्कृतिक प्रस्तुति ने सम्मेलन को एक मानवीय स्पर्श दिया, जिसने कई प्रतिभागियों को भावुक कर दिया।
अगले दो दिन सुंदरबन के धाकी क्षेत्र को समर्पित रहे, जहाँ प्रतिभागियों ने IIMC के स्कूलों, महिला परिषदों, माइक्रो-क्रेडिट इकाइयों और वृद्ध सेवा केंद्रों का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। धाकी, देवीपुर और जाटा के द्वीपों तक मोटर वैन, नाव और स्टीमर से पहुंचकर उन्होंने उस कठिन जीवन को महसूस किया, जहाँ IIMC पिछले तीन दशकों से सेवा और बदलाव का प्रकाश जला रहा है। यह अनुभव कई प्रतिभागियों के लिए आत्मबोध और कर्तव्यबोध की नई प्रेरणा बन गया।
पूरे कार्यक्रम का संचालन माइक्रो-क्रेडिट समन्वयक श्री अलीम शारदार और धाकी कैंपस प्रभारी श्री शमल मोय साहा ने कुशलता से संभाला। आज IIMC करीब 30,000 सक्रिय सदस्यों और लाखों लाभार्थियों के साथ भारत की सबसे बड़ी स्वैच्छिक सेवा संस्थाओं में गिना जाता है।
नेपाल से आए प्रतिभागियों ने सम्मेलन में विविधता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की नई ऊर्जा जोड़ी। यद्यपि कुछ तकनीकी कारणों से कार्यक्रम में थोड़ी देरी हुई, मगर सभी प्रतिनिधियों ने भविष्य में फॉलो-अप सत्र की मांग व्यक्त की ताकि इस यात्रा से प्राप्त अनुभव और प्रेरणाएं नये आयामों में आगे बढ़ सकें।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

