नई दिल्ली: जीवन में सफलता की अपनी-अपनी परिभाषाएँ होती हैं, लेकिन कभी-कभी, चमकती हुई सफलता भी दिल की आंतरिक संतुष्टि नहीं दे पाती। यह कहानी है आकृति गोयल की, जिन्होंने इंजीनियरिंग की प्रतिष्ठित डिग्री हासिल करने के बाद कॉर्पोरेट जगत में लगभग एक दशक तक शानदार करियर बनाया, लेकिन अपने बचपन के डॉक्टर बनने के अधूरे सपने को पूरा करने के लिए सब कुछ छोड़कर वापस किताबों की दुनिया में लौटीं। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का परिणाम यह रहा कि उन्होंने हाल ही में NEET UG परीक्षा में AIR 1118 रैंक हासिल की और अब वह 2026 तक डॉक्टर बनने की राह पर हैं।
आकृति ने 2015 में BITS पिलानी जैसे शीर्ष संस्थान से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और तेजी से बढ़ते स्टार्टअप्स की दुनिया में कदम रखा। उन्होंने कई वर्षों तक कॉर्पोरेट सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ीं, बड़ी टीमों का नेतृत्व किया, और उन्हें एक आकर्षक सैलरी पैकेज भी मिला। बाहरी दुनिया के लिए, उनके पास एक 'सेट' करियर और जीवन था। हालांकि, भीतर ही भीतर वह अपने काम में एक तरह की थकान और खालीपन महसूस कर रही थीं।
उनके दिल के किसी कोने में बचपन से ही डॉक्टर बनने का एक सपना दबा हुआ था। समय के साथ यह एहसास गहरा होता गया कि असली संतुष्टि उन्हें कॉर्पोरेट बैठकों या तकनीकी परियोजनाओं में नहीं, बल्कि सीधे चिकित्सा क्षेत्र के माध्यम से लोगों की सेवा करने में मिलेगी। यह आंतरिक पुकार इतनी प्रबल थी कि उन्हें एक साहसिक निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया।
2023 में, आकृति ने अपने सफल और स्थापित कॉर्पोरेट करियर को अलविदा कह दिया। यह निर्णय आसान नहीं था, क्योंकि लगभग दस साल बाद वापस प्रतियोगी परीक्षाओं की कठोर तैयारी में लौटना, खासकर NEET UG जैसी कठिन परीक्षा के लिए, किसी भी उम्र में एक चुनौतीपूर्ण कदम होता है। उन्हें फिर से स्कूली पाठ्यक्रम की किताबों में डूबना पड़ा, जो वर्षों पहले छूटी थीं।
लेकिन आकृति ने साबित कर दिया कि अगर जुनून सच्चा हो तो उम्र या करियर की दिशा मायने नहीं रखती। उन्होंने अथक मेहनत की, खुद पर विश्वास रखा और NEET UG परीक्षा को न केवल पास किया, बल्कि 1118 की प्रभावशाली अखिल भारतीय रैंक हासिल की। उनकी यह सफलता केवल एक परीक्षा पास करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस दृढ़ संकल्प का प्रतीक है जो एक इंसान को अपने सच्चे लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।
वर्तमान में, आकृति गोयल हिंदू राव मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस (MBBS) की पढ़ाई कर रही हैं और उनका लक्ष्य 2026 तक एक योग्य डॉक्टर बनना है। उनकी कहानी समाज को एक स्पष्ट संदेश देती है कि "दूसरा मौका लेने में कभी देर नहीं होती।"
आकृति अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी सक्रिय हैं, जहाँ वह अपने इस असाधारण अनुभव को साझा करती हैं। वह अपने फॉलोअर्स को यह संदेश देती हैं कि चाहे आप इंजीनियर हों, शिक्षक हों, या किसी भी अन्य पेशे में हों—अगर आपके दिल की आवाज़ आपको राह बदलने के लिए कहती है, तो हिम्मत करके उस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। उनका यह सफर दिखाता है कि सच्चा करियर तब बनता है जब आप अपने काम में न केवल सफलता, बल्कि संतोष भी पाते हैं। उनकी यह नई राह कई अन्य पेशेवरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई है जो कॉर्पोरेट जीवन की चकाचौंध को छोड़कर अपने सच्चे जुनून का पीछा करना चाहते हैं।
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

