देहरादून (उत्तराखंड).वर्ष 2027 में हरिद्वार में लगने वाले ऐतिहासिक अर्धकुंभ मेले को लेकर उत्तराखंड सरकार और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में हुई एक बैठक में, अर्धकुंभ मेले के लिए कुल 10 स्नान तिथियां घोषित की गईं. इस बार के आयोजन की सबसे बड़ी और ऐतिहासिक विशेषता यह है कि पहली बार संतों और श्रद्धालुओं के लिए चार शाही अमृत स्नान आयोजित किए जाएँगे.
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने मुख्यमंत्री धामी के साथ बैठक के बाद शुक्रवार को इन तिथियों पर मुहर लगाई. इस निर्णय को संत परंपरा में एक बड़ा और अभूतपूर्व बदलाव माना जा रहा है.
मेले की शुरुआत और प्रमुख स्नान तिथियाँ
अर्धकुंभ मेला 2027 आधिकारिक तौर पर 14 जनवरी, 2027 को मकर संक्रांति के दिन से शुरू होगा. यह मेला जनवरी से अप्रैल तक आयोजित किया जाएगा.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पुष्टि की कि 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर भी एक महत्वपूर्ण स्नान होगा, हालांकि इसे शाही स्नान की श्रेणी में नहीं रखा गया है.
चार ऐतिहासिक शाही अमृत स्नान
मेले में होने वाले चार शाही अमृत स्नानों की तिथियाँ इस प्रकार हैं:
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पहला शाही स्नान: 6 मार्च, 2027 को महाशिवरात्रि के पर्व पर होगा.
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दूसरा शाही स्नान: 8 मार्च, 2027 को सोमवती अमावस्या पर आयोजित होगा.
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तीसरा शाही स्नान: 14 अप्रैल, 2027 को बैसाखी (मेष संक्रांति) के दिन होगा.
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चौथा शाही अमृत स्नान: 20 अप्रैल, 2027 को चैत्र पूर्णिमा के शुभ अवसर पर संपन्न होगा.
इन चार शाही अमृत स्नानों के अतिरिक्त, अन्य महत्वपूर्ण स्नान तिथियाँ भी घोषित की गई हैं, जो इस प्रकार हैं:
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6 फरवरी, 2027: मौनी अमावस्या
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11 फ़रवरी, 2027: बसंत पंचमी
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20 फरवरी, 2027: माघ पूर्णिमा
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7 अप्रैल, 2027: नव संवत्सर
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15 अप्रैल, 2027: राम नवमी
प्रशासनिक तैयारियों में तेजी
मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर कहा कि कुंभ के आयोजन में संतों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, और उनके सभी सुझावों पर गंभीरता से विचार करते हुए मेला व्यवस्थाओं को भव्य और व्यवस्थित बनाया जाएगा. उन्होंने आश्वासन दिया कि अर्द्धकुंभ मेला शानदार होगा और प्रशासनिक तैयारियां तेज गति से चल रही हैं.
धामी ने सभी अखाड़ों को आगामी अर्द्धकुंभ में शामिल होने के लिए व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया है. उन्होंने सभी से मेले को कुंभ की तरह ही भव्य व दिव्य बनाने के लिए सुझाव भी माँगे. उन्होंने दोहराया कि हरिद्वार का अर्द्धकुंभ देश-विश्व में सांस्कृतिक धरोहर के रूप में अपनी नई पहचान स्थापित करेगा, जो लाखों देश-विदेश के श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा.
यह अर्द्धकुंभ न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि प्रशासनिक और सांस्कृतिक समन्वय की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि चार शाही स्नानों का आयोजन हरिद्वार के इतिहास में पहली बार होने जा रहा है.
Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-

