बिहार-नेपाल सीमा पर मानव तस्करी का खौफनाक जाल छह माह में सैकड़ों बेटियाँ गायब

बिहार-नेपाल सीमा पर मानव तस्करी का खौफनाक जाल छह माह में सैकड़ों बेटियाँ गायब

प्रेषित समय :22:14:12 PM / Mon, Dec 1st, 2025
Reporter : पलपल रिपोर्टर

अनिल मिश्र/ पटना।

बिहार प्रदेश और पड़ोसी देश नेपाल से सटे सीमावर्ती क्षेत्रों में पिछले छह महीनों के दौरान सैकड़ों किशोरियों और लड़कियों के रहस्यमय तरीके से गायब होने की सूचनाओं ने पूरे राज्य में एक गहरा डर और खौफ का माहौल पैदा कर दिया है। यह गंभीर मामला अब दिल्ली स्थित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की चौखट तक पहुँच गया है, जहाँ अधिवक्ता एसके झा ने न सिर्फ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में, बल्कि बिहार प्रदेश मानवाधिकार आयोग में भी दो अलग-अलग याचिकाएँ दायर की हैं। यह घटनाक्रम बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय अंतर्राष्ट्रीय मानव तस्कर गिरोहों की भयावह सक्रियता को उजागर करता है और राज्य की पुलिस तथा प्रशासनिक व्यवस्था पर गंभीर सवालिया निशान खड़े करता है।

अधिवक्ता एसके झा ने मानवाधिकार आयोग को सौंपी गई याचिका में आशंका व्यक्त की है कि बिहार की इन बेटियों को पड़ोसी देश नेपाल के अलावा चीन, ब्राजील, और गल्फ देशों में करोड़ों रुपए में बेचा जा रहा है। उनके द्वारा प्रस्तुत आँकड़े बताते हैं कि कैसे संगठित रूप से यह तस्करी का धंधा फल-फूल रहा है:

  • जुलाई माह: रक्सौल से 10, रामगढ़वा से 3, और आदापुर से 4 किशोरियाँ गायब हुईं।

  • अगस्त माह: रक्सौल जिले के भेलाही, कौड़ीहार सहित विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों से 18 लड़कियों के गायब होने की सूचना मिली।

  • सितम्बर माह: रक्सौल जिले के विभिन्न स्थानों से एक विवाहिता सहित $17$ लड़कियों की गुमशुदगी दर्ज हुई।

  • अक्टूबर माह: 15 लड़कियाँ गायब हुईं।

  • नवंबर माह: 15 लड़कियाँ और औरतें लापता हुईं।

    सिर्फ़ पाँच महीनों के ये आँकड़े ही सैकड़ों की संख्या को पार कर चुके हैं, जिससे सीमा क्षेत्र के परिवारों के बीच दहशत व्याप्त है।

मामले की गंभीरता यहीं खत्म नहीं होती। अधिवक्ता एसके झा ने बताया है कि नेपाल से सटे नशा कारोबारियों द्वारा इन गायब लड़कियों का इस्तेमाल नशीले पदार्थ की तस्करी जैसे घिनौने अपराधों में भी किया जा रहा है। पिछले दिनों राज्य पुलिस द्वारा इनमें से महज एक दर्जन लड़कियों को ही रेस्क्यू किया जा सका था, जबकि शेष अभी भी लापता हैं। रेस्क्यू की गई लड़कियों में से चार लड़कियाँ तो एक ही परिवार की थीं, जो इस बात को रेखांकित करता है कि कैसे पूरे के पूरे परिवार इस आपराधिक सिंडिकेट का शिकार बन रहे हैं।

मानवाधिकार आयोग से मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है ताकि इन अंतर्राष्ट्रीय मानव तस्कर गिरोहों की जड़ तक पहुँचा जा सके। यह सिंडिकेट न केवल नेपाल, बल्कि चीन, ब्राजील, सऊदी अरब आदि देशों के तस्करों के साथ मिलकर काम करता है और इन लड़कियों को ऊंचे मूल्य पर बेच कर लाखों-करोड़ों रुपए का मुनाफा कमाता है।

यह तस्करी केवल देह व्यापार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका जाल और भी व्यापक है। लड़कियों को फंसाकर भारत के जम्मू-कश्मीर, पांडिचेरी, चीन, सऊदी अरब, दुबई समेत गल्फ कंट्री, अर्जेंटीना जैसे देशों में भेजा जाता है। वहाँ उनसे शादी कराकर बच्चा पैदा करने, 'जनरेशन चेंज' कराने, नवजात बच्चों को दूध पिलाने जैसे कामों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, शादी के नाम पर, तथा बॉडी पार्ट्स की खरीद-फरोख्त के लिए भी इन बेटियों की बड़े पैमाने पर विदेशों में तस्करी किए जाने की प्रबल आशंका है।

बिहार प्रदेश के मोतिहारी, रक्सौल, किशनगंज, अररिया से सटे भारत-नेपाल सीमा वाले क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय मानव तस्कर गिरोहों की सक्रियता का मुख्य केंद्र बन चुके हैं। लगातार हो रही ये घटनाएँ स्पष्ट करती हैं कि सीमा सुरक्षा और पुलिस की कार्यशैली पर तुरंत समीक्षा और सुधार की जरूरत है। सीमावर्ती क्षेत्रों के निवासियों की उत्सुकता और जिज्ञासा इस बात को लेकर है कि जब यह मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुँच चुका है, तो क्या अब केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर ठोस और निर्णायक कार्रवाई करेंगी ताकि उनके घर की बेटियाँ सुरक्षित रह सकें और इस खौफनाक मानव तस्करी के धंधे को हमेशा के लिए खत्म किया जा सके।

Source : palpalindia ये भी पढ़ें :-